ETV Bharat / bharat

महाराष्ट्र की खेतिहर मजदूर महिलाएं कमा रही 30 से 40 हजार रुपए महीना, जानिये क्या है फॉर्मूला - AGRO PROCESSING INDUSTRY

महिला किसानों ने महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में कृषि प्रसंस्करण उद्योग स्थापित किया, जिससे उनमें वित्तीय स्थिति मजबूत हुई.

agro processing industry
कृषि प्रसंस्करण उद्योग. (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 19, 2025 at 7:11 PM IST

4 Min Read

छत्रपति संभाजीनगर: महाराष्ट्र में खेतिहर मजदूर के तौर पर काम करने वाली महिलाएं अब 30 से 40 हजार रुपए महीना कमा रही हैं. सावित्रीबाई फुले संस्था और नाबार्ड के जरिए यह संभव हुआ है. करमाड तालुका समेत जिले की 3 हजार 5 सौ महिलाओं की जिंदगी बदल गई है. मक्का प्रसंस्करण उद्योग और सब्जी प्रसंस्करण उद्योग के जरिए बड़ा आर्थिक कारोबार हो रहा है. वी फॉर वूमेन एम्पावरमेंट कंपनी ने 74 करोड़ का टर्नओवर हासिल किया.

कॉर्न प्रोसेसिंग कंपनी: जिस क्षेत्र में कॉर्न का उत्पादन अधिक होता है, वहां वी फॉर वूमेन एम्पावरमेंट कंपनी ने इस पर आधारित प्रोसेसिंग उद्योग लगाने का फैसला किया है. वहां से उन्होंने एक सिस्टम बनाया और आज बड़ी कंपनियों को प्रोसेस्ड कॉर्न की आपूर्ति शुरू कर दी है. मक्का की प्रोसेसिंग के बाद छह अलग-अलग तरह की सामग्री प्राप्त होती है.

agro processing industry
कृषि प्रसंस्करण उद्योग. (ETV Bharat)

इनमें सबसे महत्वपूर्ण है कुरकुरे जैसे खाद्य पदार्थों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री. कुल चार ऐसी किस्में हैं, जिनका इस्तेमाल अलग-अलग जगहों पर होता है. यह प्रोसेसिंग इंडस्ट्री उन्हें अलग-अलग करने के लिए है. रोजाना तीन टन मक्का की प्रोसेसिंग होती है और इससे छह हजार की आमदनी होती है. यानी बड़ा टर्नओवर है.

प्याज प्रसंस्करण उद्योग लाभदायक बन रहा: कई किसान अतिरिक्त प्याज और टमाटर उत्पाद भी खरीदते हैं. प्याज का प्रसंस्करण किया जा रहा है. मसाले के रूप में सूखे प्याज उपलब्ध कराने का काम चल रहा है. वसुमन कंपनी प्रसंस्करण उद्योग से इसके लिए वित्तीय टर्नओवर कर रही है. निदेशक शकुंतला घैत ने बताया कि 35 करोड़ के टर्नओवर के बाद पिछले साल 74 करोड़ का टर्नओवर हुआ था.

महिला किसानों ने बनाई कंपनी: ग्रामीण क्षेत्रों में महिला किसानों को एक साथ लाने और उद्यमी तैयार करने में नाबार्ड की अहम भूमिका मानी जाती है. ऐसे ही एक प्रयास के तहत जिले में वी फॉर वूमेन एंपावरमेंट नाम से कंपनी की स्थापना की गई. खेतों में काम करने वाली महत्वाकांक्षी महिलाओं को एक साथ लाकर कंपनी की स्थापना की गई. इसमें सात महिलाओं का निदेशक मंडल बनाया गया.

agro processing industry
कृषि प्रसंस्करण उद्योग. (ETV Bharat)

"इस कंपनी को विभिन्न प्रसंस्करण उद्योगों में प्रशिक्षित किया गया, बैंक ऋण उपलब्ध कराया गया, वित्तीय सहायता प्रदान की गई और कंपनी द्वारा उत्पादित उत्पादों के लिए बाजार उपलब्ध कराने के लिए कंपनियों के साथ समझौते किए गए."- सुरेश पटवेकर, जिला प्रबंधक

सावित्री बाई फुले संस्था ने की मदद: संस्था के सतत विकास प्रमुख कैलाश राठौड़ ने बताया, "सावित्रीबाई फुले सामाजिक संस्था कई वर्षों से ग्रामीण क्षेत्रों में पानी के लिए काम कर रही है. इसके अलावा संस्था उन किसानों की मदद करने की पहल कर रही है, जिन्हें अपनी कृषि उपज का अच्छा दाम नहीं मिल रहा है. संस्था ने सब्जी प्रसंस्करण उद्योग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. पिछले चार वर्षों में संस्था ने तीन सौ विभिन्न परियोजनाओं के माध्यम से साढ़े तीन हजार महिलाओं को आर्थिक सशक्तीकरण प्रदान करने में सफलता प्राप्त की है."

महिलाओं ने जताया संतोष: ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए काम किया जा रहा है. मक्का प्रसंस्करण उद्योग में काम करने वाली पद्मजा वेदपाठक ने कहा, "पहले मैं खेतों में मजदूरी करने जाती थी और तीन सौ रुपए प्रतिदिन कमाती थी. घर चलाने में बहुत दिक्कतें आती थीं. लेकिन अब मुझे कम से कम डेढ़ हजार रुपए प्रतिदिन मिल जाते हैं तो घर में खुशी का माहौल है. अपने पैरों पर खड़ी होना अच्छा लगता है. मैं भी कुछ कर सकती हूं."

agro processing industry
प्याज संस्करण उद्योग. (ETV Bharat)

प्याज प्रसंस्करण परियोजना में काम करने वाली रेखा मोकाले ने कहा, "अब हम पैसे बचा सकते हैं. हमने अपने कर्ज चुका दिए हैं और सोना खरीद लिया है. साथ ही, हमारा पोता अब अंग्रेजी स्कूल में पढ़ता है."

इसे भी पढ़ेंः

छत्रपति संभाजीनगर: महाराष्ट्र में खेतिहर मजदूर के तौर पर काम करने वाली महिलाएं अब 30 से 40 हजार रुपए महीना कमा रही हैं. सावित्रीबाई फुले संस्था और नाबार्ड के जरिए यह संभव हुआ है. करमाड तालुका समेत जिले की 3 हजार 5 सौ महिलाओं की जिंदगी बदल गई है. मक्का प्रसंस्करण उद्योग और सब्जी प्रसंस्करण उद्योग के जरिए बड़ा आर्थिक कारोबार हो रहा है. वी फॉर वूमेन एम्पावरमेंट कंपनी ने 74 करोड़ का टर्नओवर हासिल किया.

कॉर्न प्रोसेसिंग कंपनी: जिस क्षेत्र में कॉर्न का उत्पादन अधिक होता है, वहां वी फॉर वूमेन एम्पावरमेंट कंपनी ने इस पर आधारित प्रोसेसिंग उद्योग लगाने का फैसला किया है. वहां से उन्होंने एक सिस्टम बनाया और आज बड़ी कंपनियों को प्रोसेस्ड कॉर्न की आपूर्ति शुरू कर दी है. मक्का की प्रोसेसिंग के बाद छह अलग-अलग तरह की सामग्री प्राप्त होती है.

agro processing industry
कृषि प्रसंस्करण उद्योग. (ETV Bharat)

इनमें सबसे महत्वपूर्ण है कुरकुरे जैसे खाद्य पदार्थों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री. कुल चार ऐसी किस्में हैं, जिनका इस्तेमाल अलग-अलग जगहों पर होता है. यह प्रोसेसिंग इंडस्ट्री उन्हें अलग-अलग करने के लिए है. रोजाना तीन टन मक्का की प्रोसेसिंग होती है और इससे छह हजार की आमदनी होती है. यानी बड़ा टर्नओवर है.

प्याज प्रसंस्करण उद्योग लाभदायक बन रहा: कई किसान अतिरिक्त प्याज और टमाटर उत्पाद भी खरीदते हैं. प्याज का प्रसंस्करण किया जा रहा है. मसाले के रूप में सूखे प्याज उपलब्ध कराने का काम चल रहा है. वसुमन कंपनी प्रसंस्करण उद्योग से इसके लिए वित्तीय टर्नओवर कर रही है. निदेशक शकुंतला घैत ने बताया कि 35 करोड़ के टर्नओवर के बाद पिछले साल 74 करोड़ का टर्नओवर हुआ था.

महिला किसानों ने बनाई कंपनी: ग्रामीण क्षेत्रों में महिला किसानों को एक साथ लाने और उद्यमी तैयार करने में नाबार्ड की अहम भूमिका मानी जाती है. ऐसे ही एक प्रयास के तहत जिले में वी फॉर वूमेन एंपावरमेंट नाम से कंपनी की स्थापना की गई. खेतों में काम करने वाली महत्वाकांक्षी महिलाओं को एक साथ लाकर कंपनी की स्थापना की गई. इसमें सात महिलाओं का निदेशक मंडल बनाया गया.

agro processing industry
कृषि प्रसंस्करण उद्योग. (ETV Bharat)

"इस कंपनी को विभिन्न प्रसंस्करण उद्योगों में प्रशिक्षित किया गया, बैंक ऋण उपलब्ध कराया गया, वित्तीय सहायता प्रदान की गई और कंपनी द्वारा उत्पादित उत्पादों के लिए बाजार उपलब्ध कराने के लिए कंपनियों के साथ समझौते किए गए."- सुरेश पटवेकर, जिला प्रबंधक

सावित्री बाई फुले संस्था ने की मदद: संस्था के सतत विकास प्रमुख कैलाश राठौड़ ने बताया, "सावित्रीबाई फुले सामाजिक संस्था कई वर्षों से ग्रामीण क्षेत्रों में पानी के लिए काम कर रही है. इसके अलावा संस्था उन किसानों की मदद करने की पहल कर रही है, जिन्हें अपनी कृषि उपज का अच्छा दाम नहीं मिल रहा है. संस्था ने सब्जी प्रसंस्करण उद्योग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. पिछले चार वर्षों में संस्था ने तीन सौ विभिन्न परियोजनाओं के माध्यम से साढ़े तीन हजार महिलाओं को आर्थिक सशक्तीकरण प्रदान करने में सफलता प्राप्त की है."

महिलाओं ने जताया संतोष: ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए काम किया जा रहा है. मक्का प्रसंस्करण उद्योग में काम करने वाली पद्मजा वेदपाठक ने कहा, "पहले मैं खेतों में मजदूरी करने जाती थी और तीन सौ रुपए प्रतिदिन कमाती थी. घर चलाने में बहुत दिक्कतें आती थीं. लेकिन अब मुझे कम से कम डेढ़ हजार रुपए प्रतिदिन मिल जाते हैं तो घर में खुशी का माहौल है. अपने पैरों पर खड़ी होना अच्छा लगता है. मैं भी कुछ कर सकती हूं."

agro processing industry
प्याज संस्करण उद्योग. (ETV Bharat)

प्याज प्रसंस्करण परियोजना में काम करने वाली रेखा मोकाले ने कहा, "अब हम पैसे बचा सकते हैं. हमने अपने कर्ज चुका दिए हैं और सोना खरीद लिया है. साथ ही, हमारा पोता अब अंग्रेजी स्कूल में पढ़ता है."

इसे भी पढ़ेंः

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.