नई दिल्ली: पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान गई, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे. यह हमला 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद अब तक का सबसे बड़े आतंकी हमलों में से एक माना जा रहा है. इस घटना ने देश में रोष पैदा कर दिया है. सरकार और सुरक्षा एजेंसियां हमले के दोषियों को पकड़ने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठा रही हैं. यहां तक कि सरकार ने इस घटना के तुरंत बाद सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी (CCS) की बैठक बुलाई थी और एक ही हफ्ते के अंदर बुधवार को एक बार फिर से सुबह 11 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सीसीएस की बैठक बुलाई गई है.
पहलगाम हमले के बाद देश के हालात संवेदनशील बने हुए हैं और इस स्थिति में बीजेपी ने संगठनात्मक स्थिरता को प्राथमिकता देने का फैसला किया है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रीय संकट और संगठनात्मक स्थिरता को प्राथमिकता देना जरूरी है, क्योंकि अगर ऐसे माहौल में चुनाव कराए जाते हैं और नए अध्यक्ष के स्वागत में ढोल नगाड़े गीत संगीत का आयोजन कार्यकर्ता करते हैं तो देश में एक गलत संदेश जा सकता था. ऐसे में स्थिति की संवेदनशीलता को देखते हुए पार्टी ने एक बार फिर अध्यक्ष का चुनाव टाल दिया है.
भाजपा के एक राष्ट्रीय प्रवक्ता का कहना है कि पहलगाम हमले के बाद देश में उत्पन्न तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए पार्टी नेतृत्व ने संगठनात्मक चुनावों को स्थगित करने का निर्णय लिया. पार्टी का मानना है कि इस समय संगठन की स्थिरता और सरकार की नीतियों को मजबूती से लागू करना अधिक महत्वपूर्ण है. सूत्रों के अनुसार, पार्टी हालात सामान्य होने तक चुनाव प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाएगी.
वहीं, दूसरी तरफ आतंकी हमले के बाद भाजपा ने अपने नेताओं को बयानबाजी से बचने की भी सलाह दी है, ताकि स्थिति को और नाजुक न बनाया जाए, क्योंकि पहलगाम की घटना के बाद सरकार और सत्ताधारी पार्टी भाजपा लगातार विपक्ष के रडार पर हैं. विपक्ष सुरक्षा में चूक का मामला भी गाहे बगाहे उठा रहा है, ऐसे में संगठनात्मक चुनाव जैसे बड़े कदम से ध्यान भटक सकता है, जो सरकार और पार्टी की प्राथमिकताओं के लिए नुकसानदायक हो सकता है.
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वहीं भाजपा के संगठनात्मक नियमों के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव शुरू करने के लिए कम से कम 20 राज्यों में संगठन चुनाव पूरे होने जरूरी हैं. अभी तक केवल 15 राज्यों में ये चुनाव पूरे हुए हैं. पहलगाम हमले के कारण बाकी राज्यों में चुनाव प्रक्रिया को कुछ समय के लिए रोक दिया गया है, जिसके चलते राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव भी टल गया है.
केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा 2020 से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. पार्टी पिछले छह महीनों से उनके उत्तराधिकारी की तलाश में थी और मई 2025 में नए अध्यक्ष के चुनाव की योजना थी. हालांकि, मौजूदा परिस्थितियों के कारण यह प्रक्रिया अब अनिश्चित काल के लिए टल गई है. सूत्रों के अनुसार, नड्डा तब तक अध्यक्ष बने रहेंगे, जब तक स्थिति सामान्य नहीं हो जाती और पार्टी नए सिरे से चुनाव प्रक्रिया शुरू नहीं करती.
भाजपा अध्यक्ष के लिए इन नामों की चर्चा
अगर संभावित उम्मीदवारों की बात करें तो भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए कई नेताओं के नाम चर्चा में थे, जिनमें शामिल हैं-
- केंद्रीय मंत्री और हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल
- केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, जो ओडिशा से सांसद हैं तथा संगठनात्मक दक्षता और रणनीतिक कौशल के लिए जाने जाते हैं
- केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान जो मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, और पार्टी में हमेशा से जनाधार वाले नेता भी माने जाते रहे हैं
- केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, जिनका राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से गहरा जुड़ाव रहा है
- निर्मला सीतारमण, जो वर्तमान में वित्त मंत्री हैं और महिला नेतृत्व के लिए भी एक संभावित चेहरा हैं
हालांकि, इन नामों पर अंतिम फैसला अब बाद में लिया जाएगा, जब पार्टी संगठन चुनावों को फिर से शुरू करेगी.
सरकार और पार्टी दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति
पहलगाम हमले ने न केवल बीजेपी की आंतरिक प्रक्रियाओं को प्रभावित किया, बल्कि देश की राजनीति पर भी गहरा असर डाला है. विपक्षी दलों ने इस हमले को सुरक्षा चूक का मामला बताते हुए सरकार पर सवाल उठाए हैं, जबकि बीजेपी इसे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का उदाहरण बता रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमले के बाद सख्त कार्रवाई का वादा किया है, और सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाकर सभी दलों से एकजुटता की अपील भी की है. लेकिन सरकार के खिलाफ लगातार बयानबाजी भी की जा रही है, जिससे ये समय सरकार और पार्टी दोनों के लिए ही चुनौतीपूर्ण बना हुआ है.
कहा जाए तो पहलगाम आतंकी हमले ने बीजेपी की संगठनात्मक योजनाओं को अस्थायी रूप से पटरी से उतार दिया है. हालांकि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को टालने का फैसला पार्टी की रणनीति को दर्शाता है, जिसमें राष्ट्रीय संकट के समय संगठनात्मक स्थिरता और सरकारी नीतियों को प्राथमिकता दी गई है. मगर यह देरी कितने समय तक रहेगी, यह देश में सामान्य स्थिति बहाल होने पर निर्भर करेगा. तब तक जेपी नड्डा पार्टी की कमान संभालते रहेंगे.
सूत्रों की मानें तो पार्टी के वरिष्ठ नेता बिहार विधानसभा चुनाव तक संगठन में कोई बड़ा बदलाव नहीं चाहते हैं. मगर पार्टी संविधान भी मजबूरी बन हुआ है. बहरहाल इसपर पार्टी के नेता टिपण्णी करने से बच रहे हैं. मगर सच्चाई ये भी है कि पार्टी फिलहाल अपने अगले अध्यक्ष का नाम भी तय नहीं कर पाई है.
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