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जंग के साए में भारत और पाकिस्तान: जानिए कब-कब दोनों पड़ोसी युद्ध के मुहाने पर पहुंचे - PAHALGAM TERRORIST ATTACK

पहलगाम आतंकी घटना के बाद भारत-पाक ने सैन्य अभ्यास शुरू कर दिये. जानते हैं, इससे पहले कब-कब दोनों देश युद्ध के मुहाने पर पहुंचा था.

PAHALGAM TERRORIST ATTACK
जम्मू में बुधवार, 23 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान नारे लगाते हुए. (फाइल फोटो) (PTI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : April 26, 2025 at 8:14 PM IST

9 Min Read

हैदराबादः पहलगाम में हालिया आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में जबरदस्त तनाव आया है. भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई प्रतिबंध लगाए हैं. दोनों देशों ने सैन्य तैयारियों को तेज करते हुए अभ्यास भी शुरू कर दिए हैं. हालात ऐसे बन रहे हैं जैसे कभी भी जंग का बिगुल बज सकता है. सीमाओं पर सेना की हलचल बढ़ गई है और दोनों तरफ से तल्ख बयानबाजी भी जारी है, जिससे माहौल और ज्यादा गरमाया हुआ है.

यह कोई पहली बार नहीं है जब भारत और पाकिस्तान युद्ध के मुहाने पर पहुंचे हों. इससे पहले भी कई मौके आए हैं जब दोनों मुल्कों के बीच तनाव इस कदर बढ़ा कि हालात जंग जैसे बन गए. 1947, 1965 और 1971 में तो दोनों देशों के बीच युद्ध भी हुए थे. अब एक बार फिर इतिहास दोहराने की स्थिति में दोनों देश खड़ा है. आईये जानते हैं कि, 1971 युद्ध के बाद कब-कब भारत और पाकिस्तान जंग के करीब पहुंचा और क्या परिणाम रहे.

PAHALGAM TERRORIST ATTACK
LoC पर पाकिस्तान की फायरिंग का जवाब देते भारतीय सैनिक. (फाइल फोटो) (ANI)

ऑपरेशन ब्रासस्टैक्स से जब भारत ने पाकिस्तान को डराया था:

  • दिसंबर 1986 में भारत ने ऑपरेशन ब्रासस्टैक्स शुरू किया था. इसकी कल्पना तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल कृष्णास्वामी सुंदरजी ने की थी. 1986-1987 की सर्दियों में, भारत ने टैंकों और सैनिकों को ऐसे उतारा, जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से शांति के समय में नहीं देखा गया था. भारत के ऑपरेशन ब्रासस्टैक्स ने पाकिस्तान को चौंका दिया. जनवरी 1987 में, लगभग आधी भारतीय सेना पाकिस्तान सीमा के पास तैनात थी. जिसमें 10 डिवीजन और तीन ब्रिगेड शामिल थे, जो पाकिस्तान सीमा से 180 किमी के भीतर तैनात थे. ऑपरेशन ब्रासस्टैक्स दुनिया द्वारा देखे गए किसी भी नाटो अभ्यास से बड़ा था. पंजाब में उग्रवाद और कश्मीर में पाकिस्तान निर्मित अशांति ने भारत की स्थिरता को चुनौती दी, जिसके कारण भारत को 1987 में ऑपरेशन ब्रासट्रैक का सहारा लेना पड़ा.
  • कश्मीर-पंजाब की सीमाओं पर लामबंदी: जल्द ही ऑपरेशन ब्रासटैक्स का ध्यान जम्मू-कश्मीर और पंजाब पर चला गया. क्योंकि पाकिस्तान ने अपने स्ट्राइक रिजर्व को इन संवेदनशील क्षेत्रों के करीब पहुंचा दिया. इसका मुकाबला करने के लिए, भारत ने किसी भी आश्चर्यजनक हमले को रोकने के लिए अपनी सैन्य स्थिति का विस्तार किया.
  • पाकिस्तान की इस तैनाती से भारत के प्रमुख क्षेत्रों, गुरदासपुर, अमृतसर और फिरोजपुर को अलग-थलग करने की धमकी दी गई. क्योंकि उसने हरिके बैराज पर पुल को निशाना बनाया, जिससे जम्मू और कश्मीर क्षेत्र तक पहुंच बंद हो गई. "इसके बाद भारत ने सीमा पर अपनी रक्षात्मक स्थिति पर कब्जा करने के लिए सैनिकों की एक बड़ी हवाई और जमीनी आवाजाही की, जिसके परिणामस्वरूप तनाव और बढ़ गया.
  • इन बढ़ते तनावों के बीच ए.क्यू. खान ने खुलासा किया कि पाकिस्तान ने हथियार स्तर तक यूरेनियम को समृद्ध कर लिया है और वह परमाणु परीक्षण कर सकता है. उन्होंने चेतावनी दी कि, "कोई भी पाकिस्तान को नष्ट नहीं कर सकता या हमें हल्के में नहीं ले सकता... यदि आवश्यक हुआ तो हम बम का उपयोग करेंगे."
  • मार्च 1987 में भारत और पाकिस्तान ने कश्मीर क्षेत्र से 1,50,000 सैनिकों को वापस बुलाने के लिए एक समझौता किया. जिसके बाद उसी महीने राजस्थान और दक्षिणी पंजाब के रेगिस्तानी इलाकों में सैन्य उपस्थिति को कम करने के लिए एक दूसरा समझौता हुआ. हालांकि, मार्च 1987 में भारतीय सेना ने 1,50,000 सैनिकों के साथ ऑपरेशन ब्रासट्रैक्स का अंतिम चरण शुरू किया.
PAHALGAM TERRORIST ATTACK
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के एक दिन बाद सुरक्षाकर्मी पहरा देते हुए. (फाइल फोटो) (PTI)

बुश प्रशासन के मुताबिक 1990 में परमाणु युद्ध के करीब पहुंच गया था भारत-पाकिस्तानः

  • 1990 में दोनों देश फिर से एक बड़े युद्ध के मुहाने पर खड़े थे. खबरों के मुताबिक, भारत ने एक बार फिर हथियारों और सैन्य उपकरणों के विशाल जखीरे के साथ राजस्थान की सीमा पर सशस्त्र बटालियनों को तैनात किया था.
  • कश्मीर और पंजाब में सशस्त्र समूहों की गतिविधियों से चिंतित होकर, अगस्त 1989 के प्रारम्भ में, भारत सरकार ने अपने बलों की संख्या बढ़ाने का निर्णय लिया, जिसमें मुख्य रूप से अर्धसैनिक बल शामिल थे. बाद में पैदल सेना बटालियनों को भी इसमें शामिल किया गया.
  • पाकिस्तान ने भारत के साथ सीमा के उसी हिस्से में ‘ज़र्ब-ए-मोमिन’ नाम से कोर-स्तरीय सैन्य अभ्यास भी शुरू किया. बड़े पैमाने पर किए गए इस अभ्यास में तीन फील्ड कोर, दो बख्तरबंद ब्रिगेड, दो आर्टिलरी डिवीजन और पाकिस्तानी सेना की एक एयर-डिफेंस डिवीजन की तैनाती शामिल थी. इसे देश का अब तक का सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास माना गया.
  • 13 मार्च, 1990 को पाकिस्तान की तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो ने पीओके में उतरकर कश्मीरी उग्रवादियों के समर्थन में भारत के खिलाफ "हजार साल तक युद्ध" की घोषणा की. मई में, अमेरिकी जासूसी उपग्रहों ने कथित तौर पर कहुटा में शीर्ष-गुप्त परमाणु हथियार परिसर से भारतीय सीमा के पास एक सेना के एयरबेस की यात्रा कर रहे पाकिस्तानी सैन्य वाहनों की तस्वीरें खींचीं.
  • पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख जनरल मिर्जा असलम बेग ने कहा है कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो ने 1990 में वायु सेना (पीएएफ) को भारतीय परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमला करने के लिए तैयार रहने को कहा था.
  • खोजी पत्रकार सेमोर हर्ष के अनुसार, भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह ने परमाणु खतरे की आशंका नहीं जताई थी. लेकिन उन्होंने पाकिस्तान को चेतावनी दी थी कि वह बिना युद्ध के कश्मीर पर कब्जा नहीं कर सकता.
  • आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन के अनुसार, मई 1990 में राष्ट्रपति बुश ने अपने उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट गेट्स को इस क्षेत्र में भेजा. भारतीय और पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ उनकी बैठकों ने स्थिति को शांत करने में मदद की. भारत ने वर्ष की शुरुआत में तैनात की गई कुछ इकाइयों को वापस बुलाने की घोषणा की और संकट कुछ ही हफ्तों में समाप्त हो गया. बुश प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा बाद में दिए गए विवरणों में संकट को परमाणु युद्ध के करीब बताया गया.
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पहलगाम में तैनात सुरक्षा कर्मी. (फाइल फोटो) (ANI)

कारगिल में भारत और पाकिस्तान पूर्ण युद्ध के करीबः 1999 में, कश्मीरी लड़ाकों की वेशभूषा में पाकिस्तानी सैनिकों ने कश्मीर के कारगिल सेक्टर में रणनीतिक चोटियों पर कब्ज़ा कर लिया था. भारत ने चोटियों को वापस पाने के लिए बड़े पैमाने पर सैन्य अभियान चलाया. भारी तोपखाने की लड़ाई और हवाई हमलों के साथ स्थिति तेज़ी से बिगड़ती गई. भारत ने संघर्ष को आगे नहीं बढ़ाया और LOC के अपने हिस्से पर ही रहा. आखिरकार भारत पाकिस्तानी घुसपैठियों को भारतीय क्षेत्र से बाहर निकालने में कामयाब रहा.

भारतीय संसद पर हमला: 2001 में जब जैश-ए-मोहम्मद ने भारतीय संसद पर हमला किया, तब भारत और पाकिस्तान लगभग युद्ध के कगार पर थे. संसद पर हमले के बाद भारत ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बड़े पैमाने पर सेना जुटाई. भारत ने ऑपरेशन पराक्रम के तहत अपनी सेना जुटाई और पाकिस्तान ने भी इसी तरह की सेना जुटाई. लगभग 10 महीनों तक, दक्षिण एशिया हाई अलर्ट पर रहा. तनाव को कम करने के लिए विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य राज्यों द्वारा गहन कूटनीतिक प्रयास किए गए. आखिरकार, दोनों पक्षों ने अपनी सेना वापस बुला ली.

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पीएम मोदी के आवास पर CCS की बैठक. (फाइल फोटो) (ANI)

26/11 आतंकवादी हमला: 26 नवंबर 2008 को, भारत और पाकिस्तान एक बार फिर प्रत्यक्ष सैन्य टकराव की ओर अग्रसर होने की आशंका तब बढ़ गई जब आतंकवादियों ने मुंबई की घेराबंदी की. तीन दिनों में, 166 लोग मारे गए, जिनमें छह अमेरिकी शामिल थे. भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों ने पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा को हमले के लिए दोषी ठहराया. यद्यपि युद्ध के लिए व्यापक सार्वजनिक समर्थन था, लेकिन भारत सरकार ने तनाव बढ़ाने के बजाय, हमले के अपराधियों को न्याय दिलाने के लिए पाकिस्तानी सरकार के साथ सहयोग की मांग करके कूटनीतिक मार्ग अपनाया.

उरी में आतंकवादी हमला और भारत का सर्जिकल स्ट्राइक: सितंबर 2016 में आतंकवादियों ने नियंत्रण रेखा के पास उरी में एक दूरस्थ भारतीय सेना के बेस पर हमला किया. 18 भारतीय सैनिक मारे गए. भारतीय अधिकारियों ने हमले के पीछे आईएसआई से कथित संबंध रखने वाले एक अन्य समूह जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) का हाथ होने का आरोप लगाया. जवाब में, भारतीय सेना ने घोषणा की कि उसने पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर के अंदर आतंकवादी शिविरों पर "सर्जिकल स्ट्राइक" की है. इस अवधि को सीमा पर झड़पों में उछाल द्वारा चिह्नित किया गया था जो 2016 के अंत में शुरू हुआ और 2018 तक जारी रहा. नियंत्रण रेखा के दोनों ओर दर्जनों लोग मारे गए और हजारों नागरिक विस्थापित हुए.

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आतंकी हमले के विरोध में प्रदर्शन. (फाइल फोटो) (PTI)

पुलवामा और बालाकोट हमला: फरवरी 2019 में, भारतीय प्रशासित कश्मीर के पुलवामा में भारतीय अर्धसैनिक बलों के काफिले पर हुए हमले में कम से कम 40 सैनिक मारे गए. पाकिस्तानी आतंकवादी समूह JeM द्वारा लिया गया. यह हमला तीन दशकों में कश्मीर में सबसे घातक हमला था. भारत ने पाकिस्तानी क्षेत्र के भीतर आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों को निशाना बनाकर हवाई हमला करके जवाबी कार्रवाई की. इनका जवाब पाकिस्तानी हवाई हमलों से भारतीय प्रशासित कश्मीर पर दिया गया. यह हवाई मुठभेड़ में बढ़ गया, जिसके दौरान पाकिस्तान ने दो भारतीय सैन्य विमानों को मार गिराया और एक भारतीय पायलट को पकड़ लिया. पायलट को दो दिन बाद रिहा कर दिया गया. पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने अपने नये संस्मरण में कहते हैं, "फरवरी 2019 में भारत-पाकिस्तान प्रतिद्वंद्विता परमाणु युद्ध में तब्दील होने के कितने करीब पहुंच गई थी."

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पंजाब में पुलिस अलर्ट. (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

इसे भी पढ़ेंः पाकिस्तान ने LoC पर रातभर की फायरिंग, भारतीय सेना ने दिया मुंहतोड़ जवाब - FIRING AT THE LOC

पाकिस्तान का वाघा सीमा बंद करने का ऐलान, भारतीय एयरलाइनों के लिए हवाई क्षेत्र बंद, व्यापार भी किया निलंबित

हैदराबादः पहलगाम में हालिया आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में जबरदस्त तनाव आया है. भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई प्रतिबंध लगाए हैं. दोनों देशों ने सैन्य तैयारियों को तेज करते हुए अभ्यास भी शुरू कर दिए हैं. हालात ऐसे बन रहे हैं जैसे कभी भी जंग का बिगुल बज सकता है. सीमाओं पर सेना की हलचल बढ़ गई है और दोनों तरफ से तल्ख बयानबाजी भी जारी है, जिससे माहौल और ज्यादा गरमाया हुआ है.

यह कोई पहली बार नहीं है जब भारत और पाकिस्तान युद्ध के मुहाने पर पहुंचे हों. इससे पहले भी कई मौके आए हैं जब दोनों मुल्कों के बीच तनाव इस कदर बढ़ा कि हालात जंग जैसे बन गए. 1947, 1965 और 1971 में तो दोनों देशों के बीच युद्ध भी हुए थे. अब एक बार फिर इतिहास दोहराने की स्थिति में दोनों देश खड़ा है. आईये जानते हैं कि, 1971 युद्ध के बाद कब-कब भारत और पाकिस्तान जंग के करीब पहुंचा और क्या परिणाम रहे.

PAHALGAM TERRORIST ATTACK
LoC पर पाकिस्तान की फायरिंग का जवाब देते भारतीय सैनिक. (फाइल फोटो) (ANI)

ऑपरेशन ब्रासस्टैक्स से जब भारत ने पाकिस्तान को डराया था:

  • दिसंबर 1986 में भारत ने ऑपरेशन ब्रासस्टैक्स शुरू किया था. इसकी कल्पना तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल कृष्णास्वामी सुंदरजी ने की थी. 1986-1987 की सर्दियों में, भारत ने टैंकों और सैनिकों को ऐसे उतारा, जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से शांति के समय में नहीं देखा गया था. भारत के ऑपरेशन ब्रासस्टैक्स ने पाकिस्तान को चौंका दिया. जनवरी 1987 में, लगभग आधी भारतीय सेना पाकिस्तान सीमा के पास तैनात थी. जिसमें 10 डिवीजन और तीन ब्रिगेड शामिल थे, जो पाकिस्तान सीमा से 180 किमी के भीतर तैनात थे. ऑपरेशन ब्रासस्टैक्स दुनिया द्वारा देखे गए किसी भी नाटो अभ्यास से बड़ा था. पंजाब में उग्रवाद और कश्मीर में पाकिस्तान निर्मित अशांति ने भारत की स्थिरता को चुनौती दी, जिसके कारण भारत को 1987 में ऑपरेशन ब्रासट्रैक का सहारा लेना पड़ा.
  • कश्मीर-पंजाब की सीमाओं पर लामबंदी: जल्द ही ऑपरेशन ब्रासटैक्स का ध्यान जम्मू-कश्मीर और पंजाब पर चला गया. क्योंकि पाकिस्तान ने अपने स्ट्राइक रिजर्व को इन संवेदनशील क्षेत्रों के करीब पहुंचा दिया. इसका मुकाबला करने के लिए, भारत ने किसी भी आश्चर्यजनक हमले को रोकने के लिए अपनी सैन्य स्थिति का विस्तार किया.
  • पाकिस्तान की इस तैनाती से भारत के प्रमुख क्षेत्रों, गुरदासपुर, अमृतसर और फिरोजपुर को अलग-थलग करने की धमकी दी गई. क्योंकि उसने हरिके बैराज पर पुल को निशाना बनाया, जिससे जम्मू और कश्मीर क्षेत्र तक पहुंच बंद हो गई. "इसके बाद भारत ने सीमा पर अपनी रक्षात्मक स्थिति पर कब्जा करने के लिए सैनिकों की एक बड़ी हवाई और जमीनी आवाजाही की, जिसके परिणामस्वरूप तनाव और बढ़ गया.
  • इन बढ़ते तनावों के बीच ए.क्यू. खान ने खुलासा किया कि पाकिस्तान ने हथियार स्तर तक यूरेनियम को समृद्ध कर लिया है और वह परमाणु परीक्षण कर सकता है. उन्होंने चेतावनी दी कि, "कोई भी पाकिस्तान को नष्ट नहीं कर सकता या हमें हल्के में नहीं ले सकता... यदि आवश्यक हुआ तो हम बम का उपयोग करेंगे."
  • मार्च 1987 में भारत और पाकिस्तान ने कश्मीर क्षेत्र से 1,50,000 सैनिकों को वापस बुलाने के लिए एक समझौता किया. जिसके बाद उसी महीने राजस्थान और दक्षिणी पंजाब के रेगिस्तानी इलाकों में सैन्य उपस्थिति को कम करने के लिए एक दूसरा समझौता हुआ. हालांकि, मार्च 1987 में भारतीय सेना ने 1,50,000 सैनिकों के साथ ऑपरेशन ब्रासट्रैक्स का अंतिम चरण शुरू किया.
PAHALGAM TERRORIST ATTACK
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के एक दिन बाद सुरक्षाकर्मी पहरा देते हुए. (फाइल फोटो) (PTI)

बुश प्रशासन के मुताबिक 1990 में परमाणु युद्ध के करीब पहुंच गया था भारत-पाकिस्तानः

  • 1990 में दोनों देश फिर से एक बड़े युद्ध के मुहाने पर खड़े थे. खबरों के मुताबिक, भारत ने एक बार फिर हथियारों और सैन्य उपकरणों के विशाल जखीरे के साथ राजस्थान की सीमा पर सशस्त्र बटालियनों को तैनात किया था.
  • कश्मीर और पंजाब में सशस्त्र समूहों की गतिविधियों से चिंतित होकर, अगस्त 1989 के प्रारम्भ में, भारत सरकार ने अपने बलों की संख्या बढ़ाने का निर्णय लिया, जिसमें मुख्य रूप से अर्धसैनिक बल शामिल थे. बाद में पैदल सेना बटालियनों को भी इसमें शामिल किया गया.
  • पाकिस्तान ने भारत के साथ सीमा के उसी हिस्से में ‘ज़र्ब-ए-मोमिन’ नाम से कोर-स्तरीय सैन्य अभ्यास भी शुरू किया. बड़े पैमाने पर किए गए इस अभ्यास में तीन फील्ड कोर, दो बख्तरबंद ब्रिगेड, दो आर्टिलरी डिवीजन और पाकिस्तानी सेना की एक एयर-डिफेंस डिवीजन की तैनाती शामिल थी. इसे देश का अब तक का सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास माना गया.
  • 13 मार्च, 1990 को पाकिस्तान की तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो ने पीओके में उतरकर कश्मीरी उग्रवादियों के समर्थन में भारत के खिलाफ "हजार साल तक युद्ध" की घोषणा की. मई में, अमेरिकी जासूसी उपग्रहों ने कथित तौर पर कहुटा में शीर्ष-गुप्त परमाणु हथियार परिसर से भारतीय सीमा के पास एक सेना के एयरबेस की यात्रा कर रहे पाकिस्तानी सैन्य वाहनों की तस्वीरें खींचीं.
  • पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख जनरल मिर्जा असलम बेग ने कहा है कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो ने 1990 में वायु सेना (पीएएफ) को भारतीय परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमला करने के लिए तैयार रहने को कहा था.
  • खोजी पत्रकार सेमोर हर्ष के अनुसार, भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह ने परमाणु खतरे की आशंका नहीं जताई थी. लेकिन उन्होंने पाकिस्तान को चेतावनी दी थी कि वह बिना युद्ध के कश्मीर पर कब्जा नहीं कर सकता.
  • आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन के अनुसार, मई 1990 में राष्ट्रपति बुश ने अपने उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट गेट्स को इस क्षेत्र में भेजा. भारतीय और पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ उनकी बैठकों ने स्थिति को शांत करने में मदद की. भारत ने वर्ष की शुरुआत में तैनात की गई कुछ इकाइयों को वापस बुलाने की घोषणा की और संकट कुछ ही हफ्तों में समाप्त हो गया. बुश प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा बाद में दिए गए विवरणों में संकट को परमाणु युद्ध के करीब बताया गया.
PAHALGAM TERRORIST ATTACK
पहलगाम में तैनात सुरक्षा कर्मी. (फाइल फोटो) (ANI)

कारगिल में भारत और पाकिस्तान पूर्ण युद्ध के करीबः 1999 में, कश्मीरी लड़ाकों की वेशभूषा में पाकिस्तानी सैनिकों ने कश्मीर के कारगिल सेक्टर में रणनीतिक चोटियों पर कब्ज़ा कर लिया था. भारत ने चोटियों को वापस पाने के लिए बड़े पैमाने पर सैन्य अभियान चलाया. भारी तोपखाने की लड़ाई और हवाई हमलों के साथ स्थिति तेज़ी से बिगड़ती गई. भारत ने संघर्ष को आगे नहीं बढ़ाया और LOC के अपने हिस्से पर ही रहा. आखिरकार भारत पाकिस्तानी घुसपैठियों को भारतीय क्षेत्र से बाहर निकालने में कामयाब रहा.

भारतीय संसद पर हमला: 2001 में जब जैश-ए-मोहम्मद ने भारतीय संसद पर हमला किया, तब भारत और पाकिस्तान लगभग युद्ध के कगार पर थे. संसद पर हमले के बाद भारत ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बड़े पैमाने पर सेना जुटाई. भारत ने ऑपरेशन पराक्रम के तहत अपनी सेना जुटाई और पाकिस्तान ने भी इसी तरह की सेना जुटाई. लगभग 10 महीनों तक, दक्षिण एशिया हाई अलर्ट पर रहा. तनाव को कम करने के लिए विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य राज्यों द्वारा गहन कूटनीतिक प्रयास किए गए. आखिरकार, दोनों पक्षों ने अपनी सेना वापस बुला ली.

PAHALGAM TERRORIST ATTACK
पीएम मोदी के आवास पर CCS की बैठक. (फाइल फोटो) (ANI)

26/11 आतंकवादी हमला: 26 नवंबर 2008 को, भारत और पाकिस्तान एक बार फिर प्रत्यक्ष सैन्य टकराव की ओर अग्रसर होने की आशंका तब बढ़ गई जब आतंकवादियों ने मुंबई की घेराबंदी की. तीन दिनों में, 166 लोग मारे गए, जिनमें छह अमेरिकी शामिल थे. भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों ने पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा को हमले के लिए दोषी ठहराया. यद्यपि युद्ध के लिए व्यापक सार्वजनिक समर्थन था, लेकिन भारत सरकार ने तनाव बढ़ाने के बजाय, हमले के अपराधियों को न्याय दिलाने के लिए पाकिस्तानी सरकार के साथ सहयोग की मांग करके कूटनीतिक मार्ग अपनाया.

उरी में आतंकवादी हमला और भारत का सर्जिकल स्ट्राइक: सितंबर 2016 में आतंकवादियों ने नियंत्रण रेखा के पास उरी में एक दूरस्थ भारतीय सेना के बेस पर हमला किया. 18 भारतीय सैनिक मारे गए. भारतीय अधिकारियों ने हमले के पीछे आईएसआई से कथित संबंध रखने वाले एक अन्य समूह जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) का हाथ होने का आरोप लगाया. जवाब में, भारतीय सेना ने घोषणा की कि उसने पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर के अंदर आतंकवादी शिविरों पर "सर्जिकल स्ट्राइक" की है. इस अवधि को सीमा पर झड़पों में उछाल द्वारा चिह्नित किया गया था जो 2016 के अंत में शुरू हुआ और 2018 तक जारी रहा. नियंत्रण रेखा के दोनों ओर दर्जनों लोग मारे गए और हजारों नागरिक विस्थापित हुए.

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आतंकी हमले के विरोध में प्रदर्शन. (फाइल फोटो) (PTI)

पुलवामा और बालाकोट हमला: फरवरी 2019 में, भारतीय प्रशासित कश्मीर के पुलवामा में भारतीय अर्धसैनिक बलों के काफिले पर हुए हमले में कम से कम 40 सैनिक मारे गए. पाकिस्तानी आतंकवादी समूह JeM द्वारा लिया गया. यह हमला तीन दशकों में कश्मीर में सबसे घातक हमला था. भारत ने पाकिस्तानी क्षेत्र के भीतर आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों को निशाना बनाकर हवाई हमला करके जवाबी कार्रवाई की. इनका जवाब पाकिस्तानी हवाई हमलों से भारतीय प्रशासित कश्मीर पर दिया गया. यह हवाई मुठभेड़ में बढ़ गया, जिसके दौरान पाकिस्तान ने दो भारतीय सैन्य विमानों को मार गिराया और एक भारतीय पायलट को पकड़ लिया. पायलट को दो दिन बाद रिहा कर दिया गया. पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने अपने नये संस्मरण में कहते हैं, "फरवरी 2019 में भारत-पाकिस्तान प्रतिद्वंद्विता परमाणु युद्ध में तब्दील होने के कितने करीब पहुंच गई थी."

PAHALGAM TERRORIST ATTACK
पंजाब में पुलिस अलर्ट. (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

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