नई दिल्ली: भारत की जल चुनौतियों ने लंबे समय से स्ट्रक्चरल और पार्टिसिपेट्री हस्तक्षेप की मांग की है. इस पृष्ठभूमि में सरकार ने 'आजादी का अमृत महोत्सव' के तहत 2022 में एक प्रमुख पहल 'मिशन अमृत सरोवर'की शुरुआत की. इस मिशन का उद्देश्य देश भर के प्रत्येक जिले में 75 जल सोर्स का निर्माण और उनका पुनरुद्धार करना है, जिससे जल संरक्षण को बढ़ावा मिले, स्थिरता सुनिश्चित हो और जन भागीदारी के माध्यम से पारंपरिक सामुदायिक जल निकायों को पुनर्जीवित किया जा सके.
15 अगस्त 2023 तक 50,000 अमृत सरोवर बनाने के लक्ष्य के साथ शुरू की गई इस पहल को अब आगे बढ़ाया गया है. भूजल और ग्रामीण जल की कमी को लेकर बढ़ती चिंताओं की पृष्ठभूमि में, मिशन अमृत सरोवर परंपरा को आधुनिकता और संस्थागत गठबंधन को सार्वजनिक लामबंदी के साथ मिलाते हुए एक रणनीतिक प्रतिक्रिया के रूप में उभरा है.
इस योजना के तहत मार्च 2025 तक 68 हजार से ज़्यादा सरोवर बनकर तैयार हो चुके हैं, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में सतही और भूजल उपलब्धता में वृद्धि हुई है. महात्मा गांधी नरेगा के तहत 46 हजार से ज्यादा सरोवरों का निर्माण या पुनरुद्धार किया गया. इन सरोवरों ने न सिर्फ पानी की तात्कालिक जरूरतों को पूरा किया है, बल्कि टिकाऊ जल सोर्स भी स्थापित किए हैं, जो दीर्घकालिक पर्यावरणीय स्थिरता और सामुदायिक कल्याण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक है.

कब हुई अमृत सरोवर की घोषणा?
मिशन अमृत सरोवर की घोषणा 24 अप्रैल 2022 को प्रधानमंत्री ने जम्मू के सांबा जिले के पल्ली ग्राम पंचायत में राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर की थी. ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा संचालित इस पहल में ग्रामीण विकास मंत्रालय, जल शक्ति मंत्रालय, पंचायती राज मंत्रालय, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, रेल मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय शामिल है.
इस मिशन को भास्कराचार्य नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस एप्लीकेशन्स एंड जियो-इनफॉरमेटिक्स (BISAG-N) का भी समर्थन हासिल है. इस बहु-हितधारक दृष्टिकोण का उद्देश्य पहल के अभिसरण, एफिशिंएसी और भागीदारी स्वामित्व को सुनिश्चित करना है. राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (NIC) ने एक सेंट्रलइज डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म- amritsarovar.gov.in प्रदान किया है, जो मोटे स्तर पर वास्तविक समय की प्रगति पर निगाह रखता है, पारदर्शिता सुनिश्चित करता है और विभागों और राज्यों के बीच समन्वय को सक्षम बनाता है.
75 अमृत सरोवर का निर्माण
इस मिशन का उद्देश्य देश के हर जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवर (तालाब) का निर्माण/पुनरुद्धार करना है. प्रत्येक अमृत सरोवर को कम से कम 1 एकड़ के तालाब क्षेत्र के लिए डिजाइन किया गया है, जिसमें लगभग 10 हजार क्यूबिक मीटर की जल धारण क्षमता है. महत्वपूर्ण बात यह है कि जलाशय सामाजिक-सांस्कृतिक केंद्रों के रूप में भी काम करते हैं. साथ ही यह कई राष्ट्रीय नायकों और स्वतंत्रता सेनानियों से जुड़े हैं, जो स्वामित्व और सम्मान की भावना को बढ़ावा देते हैं.

मिशन का मुख्य उद्देश्य
- जल संरक्षण और स्थायी जल प्रबंधन कार्य प्रणालियों को बढ़ावा देना
- डिसेंट्रलाइज शासन को मजबूत करना और ग्राम पंचायतों को सशक्त बनाना
- मनरेगा और संबंधित योजनाओं के तहत रोजगार को बढ़ावा देना
- पारंपरिक और सांस्कृतिक जल संरचनाओं और सामुदायिक भागीदारी को पुनर्जीवित करना
इंस्टिट्यूशनल कंवर्जेंस और इम्पलीटेंशन मैकेनिज्म
मिशन अमृत सरोवर के कार्य राज्यों और जिलों द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना , 15वें फाइनेंस कमीशन ग्रांट, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की उप-योजनाओं जैसे वाटरशेड डेवलमेंट कंपोनेंट, हर खेत को पानी के अलावा राज्यों की अपनी योजनाओं के समन्वय से शुरू किए जा रहे हैं.
पंचायत स्तर पर अमृत सरोवर की प्रगति की निगरानी कैसे की जाएगी?
- प्रत्येक अमृत सरोवर के लिए दो समर्पित प्रभारी अर्थात पंचायत प्रतिनिधि और पंचायत स्तर के अधिकारी तैनात किए जाएंगे.
- ग्राम पंचायत पंचायत प्रतिनिधि मनोनीत करेगी, जो नागरिक पर्यवेक्षक के रूप में कार्य करेगा
- पंचायत प्रतिनिधि सामुदायिक हितों की रक्षा करते हुए पंचायत में अमृत सरोवर के ईमानदारीपूर्ण और निष्पक्ष क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदार होगा.
- पंचायत स्तर के अधिकारी प्रगति की निगरानी करेंगे और पंचायत में मिशन के ईमानदारीपूर्वक कार्यान्वयन को सुनिश्चित करेंगे
- पंचायत स्तर के अधिकारी प्रगति की रिपोर्ट दस्तावेज के रूप में, उचित फोटो और वीडियो के साथ पेश करेंगे.
आर्थिक और इकोलॉजिकल प्रभाव
मिशन अमृत सरोवर ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा दे रहा है, क्योंकि पूर्ण हो चुके सरोवरों को सिंचाई, मत्स्य पालन, बत्तख पालन, सिंघाड़े की खेती और पशुपालन आदि जैसी विभिन्न गतिविधियों के उद्देश्य से चिन्हित किया गया है. ये गतिविधियाा विभिन्न यूजर समूहों द्वारा की जा रही हैं जो प्रत्येक अमृत सरोवर से जुड़े हुए हैं.
केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) द्वारा राज्य सरकारों के सहयोग से किए गए भूजल संसाधन मूल्यांकन से पता चलता है कि निरंतर संरक्षण प्रयासों के कारण भूजल पुनर्भरण में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. टैंकों, तालाबों और जल संरक्षण संरचनाओं से पुनर्भरण 2017 में 13.98 बिलियन क्यूबिक मीटर (BCM) से बढ़कर 2024 में 25.34 BCM हो गया, जो मिशन अमृत सरोवर जैसे जल संरक्षण की सफलता और भूजल स्तर को बनाए रखने में टैंकों, तालाबों और जल संरक्षण संरचनाओं की भूमिका को दर्शाता है.
इन सरोवरों ने न केवल तत्काल जल आवश्यकताओं को पूरा किया है बल्कि स्थायी जल स्रोत भी स्थापित किए हैं जिनका उपयोग सिंचाई और अन्य उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है जिससे कृषि उत्पादकता में सुधार होता है.
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