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सैन्य मिशनों के लिए ह्यूमनॉइड रोबोट बनाने पर काम कर रहा DRDO, क्या होता है यह और क्या हैं इसके फायदे? - HUMANOID ROBOT

DRDO ह्यूमनॉइड रोबोट बनाने पर काम कर रहे हैं. यह रोबोट तीन कंपोनेंट पर निर्भर होते हैं.

humanoid robot
ह्यूमनॉइड रोबोट बनाने पर काम कर रहा DRDO (सांकेतिक तस्वीर Getty Images)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 13, 2025 at 1:59 PM IST

4 Min Read

नई दिल्ली: डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ओर्गनाइजेशन (DRDO) के वैज्ञानिक एक मानव जैसा रोबोट (Humanoid Robot) बनाने पर काम कर रहे हैं, जो फ्रंटलाइन मिलिट्री मिशन का हिस्सा बन सकता है. एक अधिकारी ने हाल ही में शनिवार को यह जानकारी दी थी.

अधिकारी ने बताया कि डीआरडीओ के अंतर्गत आने वाली एक प्रमुख लेबोरेटरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (इंजीनियर्स) एक ऐसी मशीन विकसित कर रही है, जो सीधे मानव आदेश के तहत जटिल कार्य कर सकती है. इसका उद्देश्य हाई रिस्क वाले वातावरण में सैनिकों के जोखिम को कम करना है.

न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए रिसर्च एंड डेवलपमेंट (इंजीनियर्स) के अंतर्गत एडवांस रोबोटिक्स के लिए सिस्टम और टेकनोलॉजी सेंटर के ग्रुप डायरेक्टर एसई तलोले ने कहा कि टीम चार साल से इस परियोजना पर काम कर रही है.

'अलग-अलग प्रोटोटाइप विकसित किए'
उन्होंने कहा, "हमने ऊपरी और निचले शरीर के लिए अलग-अलग प्रोटोटाइप विकसित किए हैं और आंतरिक परीक्षणों के दौरान कुछ कार्यों को सफलतापूर्वक पूरा किया है. उन्होंने कहा कि मानव जैसा रोबोट जंगलों जैसे कठिन इलाकों में काम करने में सक्षम होगा. हाल ही में पुणे में आयोजित एडवांस लैग वाले रोबोटिक्स पर नेशनल वर्कशॉप में रोबोट का प्रदर्शन किया गया था.

तीन कंपोनेंट पर निर्भर
यह सिस्टम तीन मुख्य कंपोनेंट पर निर्भर करता है ऐक्ट्यूएटर, सेंसर और कंट्रोल सिस्टम. ऐक्ट्यूएटर मानव मांसपेशियों जैसी एक्टिविटीज करते हैं, सेंसर जो आस-पास से रियल टाइम का डेटा एकत्र करते हैं और कंट्रोल सिस्टम इस जानकारी की व्याख्या करके एक्शन का मार्गदर्शन करती है.

टालोले ने कहा, "सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक यह सुनिश्चित करना है कि रोबोट वांछित कार्यों को सुचारू रूप से कर सके, जिसके लिए संतुलन, तेजी से डेटा प्रोसेसिंग और जमीनी स्तर पर निष्पादन में महारत हासिल करना आवश्यक है." डिजाइन टीम का नेतृत्व करने वाली वैज्ञानिक किरण अकेला ने कहा कि रिसर्चर्स इन पहलुओं पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, क्योंकि वे 2027 तक परियोजना को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.

क्या होता है ह्यूमनॉइड?
ह्यूमनॉइड्स सामान्य उद्देश्य वाले, बायपेडल रोबोट होते हैं, जिन्हें ह्यूमन फॉर्म फैक्टर के अनुसार तैयार किया जाता और इन्हें प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए मनुष्यों के साथ काम करने के लिए डिज़ाइन किया जाता है. वे कई तरह के काम सीखने और करने में सक्षम होते हैं, जैसे किसी वस्तु को पकड़ना, कंटेनर को हिलाना, बक्सों को लोड या अनलोड करना, और बहुत कुछ.

ह्यूमनॉइड रोबोट कैसे काम करते हैं?
ह्यूमनॉइड रोबोट पहले से कहीं ज़्यादा तेज़ी से सीख रहे हैं और खुद को ढाल रहे हैं, वे आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस मॉडल का इस्तेमाल करके जटिल कार्यों को समझने, समझने, योजना बनाने और स्वायत्त रूप से कई तरह की सेटिंग्स में निष्पादित करते हैं। ये रोबोट परिष्कृत एक्ट्यूएटर, सेंसर और ऑन-रोबोट कंप्यूट और सॉफ़्टवेयर से लैस हैं जो उन्हें मानव निपुणता की नकल करने और यहाँ तक कि खुद से नेविगेट करने के लिए चलने और बातचीत करने में मदद करते हैं। रोबोट को नकली वातावरण में विभिन्न आंदोलनों और प्रतिक्रियाओं को सिखाया जाता है ताकि वे वास्तविक दुनिया के परिदृश्यों की अप्रत्याशितता को संभाल सकें।

ह्यूमनॉइड रोबोट के क्या लाभ हैं?
ह्यूमनॉइड रोबोट का लक्ष्य मनुष्यों के लिए बनाए गए वातावरण में कुशलतापूर्वक काम करना है. इससे रोबोट के लिए स्थानों को फिर से डिजाइन किए बिना ऑटोमैटिकली प्रगति हो सकेगी. ह्यूमनॉइड रोबोट में गोदामों और डिस्ट्रिब्यूशन सेंटर, ईंट-और-मोर्टार खुदरा, नैदानिक ​​वातावरण और बहुत कुछ में कई लाभ लाने की बहुत संभावना है.

ह्यूमनॉइड रोबोट विभिन्न कार्यों पर सहयोग के लिए लोगों के साथ काम कर सकते हैं. ह्यूमनॉइड रोबोट मूल रूप से मानव उपयोग के लिए डिजाइन किए गए इक्विपमेंट और बुनियादी ढांचे का लाभ उठा सकते हैं. ह्यूमनॉइड रोबोट अन्य मजदूरों की तरह काम करके नियमित कार्यों को पूरा करने में वृद्धि करते हैं.

ह्यूमनॉइड रोबोट खतरनाक कार्य कर सकते हैं और उन स्थानों पर काम कर सकते हैं जो मानव सुरक्षा के लिए जोखिम भरे हैं. इससे वर्कप्लेस पर होने वाली दुर्घटनाओं में कमी आ सकती है और औद्योगिक सेटिंग्स और आपदा प्रतिक्रिया सहित खतरनाक स्थितियों में मनुष्यों को उजागर करने की आवश्यकता कम हो सकती है.

यह भी पढ़ें- पाकिस्तानी सेना ने ऑपरेशन सिंदूर में नुकसान की बात कबूली, बताया कितने सैनिक मारे गए ?

नई दिल्ली: डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ओर्गनाइजेशन (DRDO) के वैज्ञानिक एक मानव जैसा रोबोट (Humanoid Robot) बनाने पर काम कर रहे हैं, जो फ्रंटलाइन मिलिट्री मिशन का हिस्सा बन सकता है. एक अधिकारी ने हाल ही में शनिवार को यह जानकारी दी थी.

अधिकारी ने बताया कि डीआरडीओ के अंतर्गत आने वाली एक प्रमुख लेबोरेटरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (इंजीनियर्स) एक ऐसी मशीन विकसित कर रही है, जो सीधे मानव आदेश के तहत जटिल कार्य कर सकती है. इसका उद्देश्य हाई रिस्क वाले वातावरण में सैनिकों के जोखिम को कम करना है.

न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए रिसर्च एंड डेवलपमेंट (इंजीनियर्स) के अंतर्गत एडवांस रोबोटिक्स के लिए सिस्टम और टेकनोलॉजी सेंटर के ग्रुप डायरेक्टर एसई तलोले ने कहा कि टीम चार साल से इस परियोजना पर काम कर रही है.

'अलग-अलग प्रोटोटाइप विकसित किए'
उन्होंने कहा, "हमने ऊपरी और निचले शरीर के लिए अलग-अलग प्रोटोटाइप विकसित किए हैं और आंतरिक परीक्षणों के दौरान कुछ कार्यों को सफलतापूर्वक पूरा किया है. उन्होंने कहा कि मानव जैसा रोबोट जंगलों जैसे कठिन इलाकों में काम करने में सक्षम होगा. हाल ही में पुणे में आयोजित एडवांस लैग वाले रोबोटिक्स पर नेशनल वर्कशॉप में रोबोट का प्रदर्शन किया गया था.

तीन कंपोनेंट पर निर्भर
यह सिस्टम तीन मुख्य कंपोनेंट पर निर्भर करता है ऐक्ट्यूएटर, सेंसर और कंट्रोल सिस्टम. ऐक्ट्यूएटर मानव मांसपेशियों जैसी एक्टिविटीज करते हैं, सेंसर जो आस-पास से रियल टाइम का डेटा एकत्र करते हैं और कंट्रोल सिस्टम इस जानकारी की व्याख्या करके एक्शन का मार्गदर्शन करती है.

टालोले ने कहा, "सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक यह सुनिश्चित करना है कि रोबोट वांछित कार्यों को सुचारू रूप से कर सके, जिसके लिए संतुलन, तेजी से डेटा प्रोसेसिंग और जमीनी स्तर पर निष्पादन में महारत हासिल करना आवश्यक है." डिजाइन टीम का नेतृत्व करने वाली वैज्ञानिक किरण अकेला ने कहा कि रिसर्चर्स इन पहलुओं पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, क्योंकि वे 2027 तक परियोजना को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.

क्या होता है ह्यूमनॉइड?
ह्यूमनॉइड्स सामान्य उद्देश्य वाले, बायपेडल रोबोट होते हैं, जिन्हें ह्यूमन फॉर्म फैक्टर के अनुसार तैयार किया जाता और इन्हें प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए मनुष्यों के साथ काम करने के लिए डिज़ाइन किया जाता है. वे कई तरह के काम सीखने और करने में सक्षम होते हैं, जैसे किसी वस्तु को पकड़ना, कंटेनर को हिलाना, बक्सों को लोड या अनलोड करना, और बहुत कुछ.

ह्यूमनॉइड रोबोट कैसे काम करते हैं?
ह्यूमनॉइड रोबोट पहले से कहीं ज़्यादा तेज़ी से सीख रहे हैं और खुद को ढाल रहे हैं, वे आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस मॉडल का इस्तेमाल करके जटिल कार्यों को समझने, समझने, योजना बनाने और स्वायत्त रूप से कई तरह की सेटिंग्स में निष्पादित करते हैं। ये रोबोट परिष्कृत एक्ट्यूएटर, सेंसर और ऑन-रोबोट कंप्यूट और सॉफ़्टवेयर से लैस हैं जो उन्हें मानव निपुणता की नकल करने और यहाँ तक कि खुद से नेविगेट करने के लिए चलने और बातचीत करने में मदद करते हैं। रोबोट को नकली वातावरण में विभिन्न आंदोलनों और प्रतिक्रियाओं को सिखाया जाता है ताकि वे वास्तविक दुनिया के परिदृश्यों की अप्रत्याशितता को संभाल सकें।

ह्यूमनॉइड रोबोट के क्या लाभ हैं?
ह्यूमनॉइड रोबोट का लक्ष्य मनुष्यों के लिए बनाए गए वातावरण में कुशलतापूर्वक काम करना है. इससे रोबोट के लिए स्थानों को फिर से डिजाइन किए बिना ऑटोमैटिकली प्रगति हो सकेगी. ह्यूमनॉइड रोबोट में गोदामों और डिस्ट्रिब्यूशन सेंटर, ईंट-और-मोर्टार खुदरा, नैदानिक ​​वातावरण और बहुत कुछ में कई लाभ लाने की बहुत संभावना है.

ह्यूमनॉइड रोबोट विभिन्न कार्यों पर सहयोग के लिए लोगों के साथ काम कर सकते हैं. ह्यूमनॉइड रोबोट मूल रूप से मानव उपयोग के लिए डिजाइन किए गए इक्विपमेंट और बुनियादी ढांचे का लाभ उठा सकते हैं. ह्यूमनॉइड रोबोट अन्य मजदूरों की तरह काम करके नियमित कार्यों को पूरा करने में वृद्धि करते हैं.

ह्यूमनॉइड रोबोट खतरनाक कार्य कर सकते हैं और उन स्थानों पर काम कर सकते हैं जो मानव सुरक्षा के लिए जोखिम भरे हैं. इससे वर्कप्लेस पर होने वाली दुर्घटनाओं में कमी आ सकती है और औद्योगिक सेटिंग्स और आपदा प्रतिक्रिया सहित खतरनाक स्थितियों में मनुष्यों को उजागर करने की आवश्यकता कम हो सकती है.

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