ETV Bharat / bharat

Explainer: क्या था कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला, जो खिलाड़ियों के मेडल जीतने से अधिक घोटाले के चलते सुर्खियों में रहा - CWG SCAM 2010

सीबीआई ने करीब 19 एफआईआर दर्ज की थीं, लेकिन पिछले 15 सालों में किसी भी मामले में ‘घोटाले’ की जिम्मेदारी तय नहीं हो पाई.

क्या था कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला, जानिए
क्या था कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला, जानिए (ETV BHARAT)
author img

By ETV Bharat Delhi Team

Published : April 29, 2025 at 6:19 PM IST

Updated : April 29, 2025 at 6:44 PM IST

8 Min Read

नई दिल्लीः आज से करीब 15 साल पहले, 'साल 2010, कांग्रेस सरकार और कॉमनवेल्थ गेम्स...' इन तीनों की ही खूब चर्चा रही. दरअसल, कॉमनवेल्थ गेम्स की व्‍यवस्‍था को लेकर काफी सवाल उठे. आयोजन समिति के प्रमुख रहे सुरेश कलमाड़ी पर मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोप लगे. ED ने जांच शुरू की, इस जांच ने 15 सालों का सफर पूरा किया, लेकिन कलमाड़ी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले. जांच एजेंसी ने सोमवार को कोर्ट में क्‍लोजर रिपोर्ट दाखिल की, जिसे कोर्ट ने स्‍वीकार कर लिया. आइए डिटेल से समझते हैं कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले के बारे में...

देश की राजधानी दिल्ली में पहली बार 3-14 अक्टूबर 2010 में आयोजित हुए कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान देश व दुनिया भर के खिलाड़ियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया. भारतीय खेल के इतिहास में पहली बार हुआ कि देश के एथलीटों ने अलग-अलग वर्ग में 100 से ज्यादा मेडल जीते, मगर इनकी जीत की चर्चा से अधिक देश में पहली बार आयोजित हुए कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले की चर्चा रही.

भारत 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी करेगा, इसका फैसला 13 नवंबर 2003 को हुआ था. तब भारत और कनाडा ने गेम्स के आयोजन को लेकर दावेदारी पेश की थी, लेकिन भारत ने कनाडा को 46 के मुकाबले 22 मतों से पीछे छोड़कर पहली बार गेम्स के आयोजन कराने की बाजी जीत ली. मेजबानी की घोषणा के बाद तत्कालीन भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी की पहली प्रतिक्रिया थी, यह हमारे देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.

सुरेश कलमाड़ी थे आयोजन समिति के प्रमुख
सुरेश कलमाड़ी थे आयोजन समिति के प्रमुख (ETV BHARAT)

दिल्ली में वर्ष 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स कराने का फैसला 2003 में लिया गया, तब केंद्र में एनडीए की सरकार थी और दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी. दिल्ली में 3 से 13 अक्टूबर तक आयोजित हुए कॉमनवेल्थ गेम्स की तैयारियां 2004 से ही शुरू हो गयी थी. इससे पहले दिल्ली में वर्ष 1951 और 1982 में एशियाई खेल का आयोजन हुआ था, लेकिन कॉमनवेल्थ गेम्स का आयोजन अब तक का सबसे बड़ा आयोजन देश में हुआ है. जिसमें मुख्य आयोजन स्थल जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम था. यहीं खेल का उद्घाटन और समापन समारोह हुआ था.

क्या था कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला ?
अक्टूबर 2010 में दिल्ली में आयोजित हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में देश के खिलाड़ियों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया था. इसकी तैयारी सालों पहले दिल्ली में शुरू हो गई थी. तैयारी की अहम जिम्मेदारी खेल मंत्रालय के अधीन थी. मंत्रालय ने सफलतापूर्वक गेम्स करने के लिए कॉमनवेल्थ गेम्स ऑर्गेनाइजिंग कमेटी (CWG OC) का गठन किया इसका प्रमुख सुरेश कलमाड़ी को बनाया गया था. उनके नेतृत्व में ही दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, त्यागराज स्टेडियम से लेकर नेशनल स्टेडियम व अन्य वह खेल परिसरों में सौंदर्यीकरण कराया गया. सबको वर्ल्ड क्लास का बनाया गया. साथ ही पूर्वी दिल्ली में अक्षरधाम के समीप खिलाड़ियों के रहने के लिए नए खेल गांव को बसाया गया. इसके निर्माण से लेकर अन्य तैयारियां अलग-अलग सरकारी एजेंसियों ने किया था. खिलाड़ियों के किसी चीज की दिक्कत ना हो इसके लिए खेल गांव में आवासीय परिसर में तमाम सुख-सुविधाओं की चीजें लगाई गई. स्टेडियम में हर वह सुविधा उपलब्ध कराया गया जो एक इंटरनेशनल स्टैंडर्ड का होता है. इसमें ही आयोजन समिति पर मनमाफिक कंपनियों और लोगों को कॉन्ट्रैक्ट देने के आरोप से घोटाले की शुरुआत हुई थी.

करीब 70 हजार करोड़ के घोटाले का अनुमान लगाया गया.
करीब 70 हजार करोड़ के घोटाले का अनुमान लगाया गया. (ETV BHARAT)

सफल आयोजन के बाद भी उठे सवाल
अक्टूबर 2010 में तमाम खेल प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए जब खिलाड़ियों के आने का सिलसिला शुरू हुआ, उस समय तक ऐसा लग रहा था कि शायद यह अंतरराष्ट्रीय आयोजन सफल तरीके से हो जाए. दिल्ली के तत्कालीन कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री शीला दीक्षित थीं और परिवहन बेहतर बनाने के लिए तभी दिल्ली में लो फ्लोर बसें खरीदी गईं. सैकड़ों की तादाद में यह बसें आई थीं, ताकि एसी बसों से लोगों को सुविधा होगी. साथ ही दुनिया भर से आए खिलाड़ियों को एक आयोजन स्थल से दूसरे आयोजन स्थल पर ले जाने में कोई परेशानी नहीं होगी.

कॉमनवेल्थ गेम 13 अक्टूबर 2010 को संपन्न हुआ और तमाम देश इसके आयोजन से तो खुश हुए मगर तब विपक्ष में भाजपा थी और दिल्ली में भ्रष्टाचार व जन लोकपाल को लेकर समाज सेवी अन्ना हजारे के नेतृत्व में एक आंदोलन शुरू करने की सुगबुगाहट चल रही थी. वर्ष 2011 में कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन में घोटाले का आरोप लगाया गया. आरोप लगा कि दिल्ली में आयोजित हुए इन खेलों में बड़े पैमाने पर पैसे का इधर से उधर हुआ था.

कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले में मुख्य आरोप क्या था?
अनुमान के मुताबिक, कॉमनवेल्थ गेम के आयोजन से देश को 70 हजार करोड़ रुपये के नुकसान पहुंचाने के आरोप लगे. इस संबंध में सीबीआई को शिकायत प्राप्त हुई तो उसने भी आयोजन समिति के अध्यक्ष व पूर्व कांग्रेस सांसद सुरेश कलमाड़ी को 25 अप्रैल 2011 को गिरफ्तार कर लिया. सुरेश कलमाड़ी पर पैसों की मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगा. मुख्य आरोप था कि उन्होंने कम कीमत की चींजों को 100 से अधिक गुना कीमत पर खरीदी. कलमाड़ी के खिलाफ की गई शिकायत और कोर्ट में पेश चार्जशीट में धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश का आरोप लगाया गया.

साल 2010 में सामने आया था कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला
साल 2010 में सामने आया था कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला (ETV BHARAT)

गंभीर आरोपों के बाद यह हुई थी कार्रवाई?
कॉमनवेल्थ गेम के आयोजन स्थल के निर्माण में भी घोटाले की आरोप लगे. आयोजन समिति से 5 अगस्त 2010 को संयुक्त निदेशक की छुट्टी कर दी गई. इसके बाद आयोजन समिति के कोषाध्यक्ष भी फंस गए और उन्हें भी पद से इस्तीफा देना पड़ा था. आयोजन समिति के सदस्य पर आरोप था कि उन्होंने टेनिस कोर्ट बनाने के लिए अपने बेटे की कंपनी को ही कॉन्ट्रैक्ट दे दिया, हालांकि यह सब साबित नहीं हो पाया था.

खेल परिसर में लगाने के लिए टाइम स्कोरिंग रिजल्ट मशीन की खरीद में घोटाले में खुद आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी पर आरोप लगे कि उन्होंने कंपनियों की अर्जी दाखिल करने से पहले ही एक स्विस कंपनी को मनमानी ढंग से कर कॉन्ट्रैक्ट दे दिया. टाइम स्कोरिंग रिजल्ट मशीन के लिए 4 नवंबर 2009 को टेंडर खोला गया जबकि स्विस कंपनी को यह कॉन्ट्रैक्ट 12 अक्टूबर 2009 को ही दे दिया गया था. स्विस कंपनी को आयोजकों ने 157 करोड रुपये दिए जबकि स्पेन में यह काम 62 करोड रुपये कर सकती थी. कलमाड़ी पर आरोप था कि उनके इस फैसले की वजह से 95 करोड़ का नुकसान हुआ है.

इस मामले में आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी 9 महीने तक तिहाड़ जेल में बंद रहे. हालांकि इसके बाद उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट से जमानत दे दी थी. सीबीआई ने वर्ष 2014 में ही इस संबंध में क्लोजर रिपोर्ट दायर कर दी थी और अब 11 साल बाद दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में कोई सबूत नहीं मिलने का क्लोजर रिपोर्ट अदालत ने स्वीकार कर लिया.

कोर्ट में ईडी ने दाखिल की क्लोजर रिपोर्ट
कोर्ट में ईडी ने दाखिल की क्लोजर रिपोर्ट (ETV BHARAT)

गेम्स के आयोजन से इतर इन चीजों की भी खूब हुई चर्चा
कॉमनवेल्थ गेम्स 3 से 14 अक्टूबर 2010 तक दिल्ली में आयोजित हुए, लेकिन आयोजन से पहले ही गेम्स के मुख्य स्थल जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम के पास नवनिर्मित पैदल यात्री पुल के ढहने की खबर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आ गई थी. इस आयोजन ने दिल्ली की सूरत बदल दी थी, लेकिन शीला दीक्षित के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार दिल्ली की सत्ता से चली गयी. तब आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस सरकार पर कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले का शोर कर सत्ता से बेदखल करने में अहम भूमिका निभाई. यह भी सुर्खियों में रहा. दिल्ली की सड़कें, फुटपाथ के सौंदर्यीकरण और खेल प्रबंधन का हर पहलू, स्ट्रीट लाइटिंग को बेहतर बनाने से लेकर स्टेडियमों के जीर्णोद्धार तक, कुप्रबंधन और अनियमितताओं के आरोप वर्षों तक चर्चा में रहा. लेकिन पिछले 15 सालों में किसी भी मामले में ‘घोटाले’ की जिम्मेदारी तय नहीं हो सकी.

ये भी पढ़ें

नई दिल्लीः आज से करीब 15 साल पहले, 'साल 2010, कांग्रेस सरकार और कॉमनवेल्थ गेम्स...' इन तीनों की ही खूब चर्चा रही. दरअसल, कॉमनवेल्थ गेम्स की व्‍यवस्‍था को लेकर काफी सवाल उठे. आयोजन समिति के प्रमुख रहे सुरेश कलमाड़ी पर मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोप लगे. ED ने जांच शुरू की, इस जांच ने 15 सालों का सफर पूरा किया, लेकिन कलमाड़ी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले. जांच एजेंसी ने सोमवार को कोर्ट में क्‍लोजर रिपोर्ट दाखिल की, जिसे कोर्ट ने स्‍वीकार कर लिया. आइए डिटेल से समझते हैं कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले के बारे में...

देश की राजधानी दिल्ली में पहली बार 3-14 अक्टूबर 2010 में आयोजित हुए कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान देश व दुनिया भर के खिलाड़ियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया. भारतीय खेल के इतिहास में पहली बार हुआ कि देश के एथलीटों ने अलग-अलग वर्ग में 100 से ज्यादा मेडल जीते, मगर इनकी जीत की चर्चा से अधिक देश में पहली बार आयोजित हुए कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले की चर्चा रही.

भारत 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी करेगा, इसका फैसला 13 नवंबर 2003 को हुआ था. तब भारत और कनाडा ने गेम्स के आयोजन को लेकर दावेदारी पेश की थी, लेकिन भारत ने कनाडा को 46 के मुकाबले 22 मतों से पीछे छोड़कर पहली बार गेम्स के आयोजन कराने की बाजी जीत ली. मेजबानी की घोषणा के बाद तत्कालीन भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी की पहली प्रतिक्रिया थी, यह हमारे देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.

सुरेश कलमाड़ी थे आयोजन समिति के प्रमुख
सुरेश कलमाड़ी थे आयोजन समिति के प्रमुख (ETV BHARAT)

दिल्ली में वर्ष 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स कराने का फैसला 2003 में लिया गया, तब केंद्र में एनडीए की सरकार थी और दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी. दिल्ली में 3 से 13 अक्टूबर तक आयोजित हुए कॉमनवेल्थ गेम्स की तैयारियां 2004 से ही शुरू हो गयी थी. इससे पहले दिल्ली में वर्ष 1951 और 1982 में एशियाई खेल का आयोजन हुआ था, लेकिन कॉमनवेल्थ गेम्स का आयोजन अब तक का सबसे बड़ा आयोजन देश में हुआ है. जिसमें मुख्य आयोजन स्थल जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम था. यहीं खेल का उद्घाटन और समापन समारोह हुआ था.

क्या था कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला ?
अक्टूबर 2010 में दिल्ली में आयोजित हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में देश के खिलाड़ियों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया था. इसकी तैयारी सालों पहले दिल्ली में शुरू हो गई थी. तैयारी की अहम जिम्मेदारी खेल मंत्रालय के अधीन थी. मंत्रालय ने सफलतापूर्वक गेम्स करने के लिए कॉमनवेल्थ गेम्स ऑर्गेनाइजिंग कमेटी (CWG OC) का गठन किया इसका प्रमुख सुरेश कलमाड़ी को बनाया गया था. उनके नेतृत्व में ही दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, त्यागराज स्टेडियम से लेकर नेशनल स्टेडियम व अन्य वह खेल परिसरों में सौंदर्यीकरण कराया गया. सबको वर्ल्ड क्लास का बनाया गया. साथ ही पूर्वी दिल्ली में अक्षरधाम के समीप खिलाड़ियों के रहने के लिए नए खेल गांव को बसाया गया. इसके निर्माण से लेकर अन्य तैयारियां अलग-अलग सरकारी एजेंसियों ने किया था. खिलाड़ियों के किसी चीज की दिक्कत ना हो इसके लिए खेल गांव में आवासीय परिसर में तमाम सुख-सुविधाओं की चीजें लगाई गई. स्टेडियम में हर वह सुविधा उपलब्ध कराया गया जो एक इंटरनेशनल स्टैंडर्ड का होता है. इसमें ही आयोजन समिति पर मनमाफिक कंपनियों और लोगों को कॉन्ट्रैक्ट देने के आरोप से घोटाले की शुरुआत हुई थी.

करीब 70 हजार करोड़ के घोटाले का अनुमान लगाया गया.
करीब 70 हजार करोड़ के घोटाले का अनुमान लगाया गया. (ETV BHARAT)

सफल आयोजन के बाद भी उठे सवाल
अक्टूबर 2010 में तमाम खेल प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए जब खिलाड़ियों के आने का सिलसिला शुरू हुआ, उस समय तक ऐसा लग रहा था कि शायद यह अंतरराष्ट्रीय आयोजन सफल तरीके से हो जाए. दिल्ली के तत्कालीन कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री शीला दीक्षित थीं और परिवहन बेहतर बनाने के लिए तभी दिल्ली में लो फ्लोर बसें खरीदी गईं. सैकड़ों की तादाद में यह बसें आई थीं, ताकि एसी बसों से लोगों को सुविधा होगी. साथ ही दुनिया भर से आए खिलाड़ियों को एक आयोजन स्थल से दूसरे आयोजन स्थल पर ले जाने में कोई परेशानी नहीं होगी.

कॉमनवेल्थ गेम 13 अक्टूबर 2010 को संपन्न हुआ और तमाम देश इसके आयोजन से तो खुश हुए मगर तब विपक्ष में भाजपा थी और दिल्ली में भ्रष्टाचार व जन लोकपाल को लेकर समाज सेवी अन्ना हजारे के नेतृत्व में एक आंदोलन शुरू करने की सुगबुगाहट चल रही थी. वर्ष 2011 में कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन में घोटाले का आरोप लगाया गया. आरोप लगा कि दिल्ली में आयोजित हुए इन खेलों में बड़े पैमाने पर पैसे का इधर से उधर हुआ था.

कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले में मुख्य आरोप क्या था?
अनुमान के मुताबिक, कॉमनवेल्थ गेम के आयोजन से देश को 70 हजार करोड़ रुपये के नुकसान पहुंचाने के आरोप लगे. इस संबंध में सीबीआई को शिकायत प्राप्त हुई तो उसने भी आयोजन समिति के अध्यक्ष व पूर्व कांग्रेस सांसद सुरेश कलमाड़ी को 25 अप्रैल 2011 को गिरफ्तार कर लिया. सुरेश कलमाड़ी पर पैसों की मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगा. मुख्य आरोप था कि उन्होंने कम कीमत की चींजों को 100 से अधिक गुना कीमत पर खरीदी. कलमाड़ी के खिलाफ की गई शिकायत और कोर्ट में पेश चार्जशीट में धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश का आरोप लगाया गया.

साल 2010 में सामने आया था कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला
साल 2010 में सामने आया था कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला (ETV BHARAT)

गंभीर आरोपों के बाद यह हुई थी कार्रवाई?
कॉमनवेल्थ गेम के आयोजन स्थल के निर्माण में भी घोटाले की आरोप लगे. आयोजन समिति से 5 अगस्त 2010 को संयुक्त निदेशक की छुट्टी कर दी गई. इसके बाद आयोजन समिति के कोषाध्यक्ष भी फंस गए और उन्हें भी पद से इस्तीफा देना पड़ा था. आयोजन समिति के सदस्य पर आरोप था कि उन्होंने टेनिस कोर्ट बनाने के लिए अपने बेटे की कंपनी को ही कॉन्ट्रैक्ट दे दिया, हालांकि यह सब साबित नहीं हो पाया था.

खेल परिसर में लगाने के लिए टाइम स्कोरिंग रिजल्ट मशीन की खरीद में घोटाले में खुद आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी पर आरोप लगे कि उन्होंने कंपनियों की अर्जी दाखिल करने से पहले ही एक स्विस कंपनी को मनमानी ढंग से कर कॉन्ट्रैक्ट दे दिया. टाइम स्कोरिंग रिजल्ट मशीन के लिए 4 नवंबर 2009 को टेंडर खोला गया जबकि स्विस कंपनी को यह कॉन्ट्रैक्ट 12 अक्टूबर 2009 को ही दे दिया गया था. स्विस कंपनी को आयोजकों ने 157 करोड रुपये दिए जबकि स्पेन में यह काम 62 करोड रुपये कर सकती थी. कलमाड़ी पर आरोप था कि उनके इस फैसले की वजह से 95 करोड़ का नुकसान हुआ है.

इस मामले में आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी 9 महीने तक तिहाड़ जेल में बंद रहे. हालांकि इसके बाद उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट से जमानत दे दी थी. सीबीआई ने वर्ष 2014 में ही इस संबंध में क्लोजर रिपोर्ट दायर कर दी थी और अब 11 साल बाद दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में कोई सबूत नहीं मिलने का क्लोजर रिपोर्ट अदालत ने स्वीकार कर लिया.

कोर्ट में ईडी ने दाखिल की क्लोजर रिपोर्ट
कोर्ट में ईडी ने दाखिल की क्लोजर रिपोर्ट (ETV BHARAT)

गेम्स के आयोजन से इतर इन चीजों की भी खूब हुई चर्चा
कॉमनवेल्थ गेम्स 3 से 14 अक्टूबर 2010 तक दिल्ली में आयोजित हुए, लेकिन आयोजन से पहले ही गेम्स के मुख्य स्थल जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम के पास नवनिर्मित पैदल यात्री पुल के ढहने की खबर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आ गई थी. इस आयोजन ने दिल्ली की सूरत बदल दी थी, लेकिन शीला दीक्षित के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार दिल्ली की सत्ता से चली गयी. तब आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस सरकार पर कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले का शोर कर सत्ता से बेदखल करने में अहम भूमिका निभाई. यह भी सुर्खियों में रहा. दिल्ली की सड़कें, फुटपाथ के सौंदर्यीकरण और खेल प्रबंधन का हर पहलू, स्ट्रीट लाइटिंग को बेहतर बनाने से लेकर स्टेडियमों के जीर्णोद्धार तक, कुप्रबंधन और अनियमितताओं के आरोप वर्षों तक चर्चा में रहा. लेकिन पिछले 15 सालों में किसी भी मामले में ‘घोटाले’ की जिम्मेदारी तय नहीं हो सकी.

ये भी पढ़ें

Last Updated : April 29, 2025 at 6:44 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.