नई दिल्ली: वक्फ पर एक ओर जहां सुप्रीम कोर्ट ने 5 मई तक स्टेटस में कोई बदलाव करने पर रोक लगा दी है. वहीं दूसरी ओर बीजेपी इस कानून के समर्थन में देशभर में मुस्लिम समुदाय, गरीब मुस्लिमों, पसमांदा समाज और मुस्लिम बुद्धिजीवियों के बीच जाकर इसके फायदे गिनाएगी. इसके लिए बीजेपी ने 'वक्फ सुधार जनजागरण अभियान' नाम से एक विशेष अभियान तैयार किया है.
वक्फ को लेकर मुर्शिदाबाद में हिंसक प्रदर्शन के बाद पश्चिम बंगाल से हिंदुओं के पलायन पर वक्फ पर बनाई गई जेपीसी के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल ने कहा कि, इसमें साफ लग रहा है कि, सियासत हो रही है और विरोध सिर्फ राजनीति फायदे के लिए किया जा रहा है.
खबर के मुताबिक, 'वक्फ सुधार जनजागरण अभियान' के तहत बीजेपी के वरिष्ठ नेता और मंत्री विभिन्न राज्यों में सभाएं करेंगे. जानकारी के अनुसार, गृहमंत्री अमित शाह उत्तर प्रदेश में, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजीजू, वक्फ जेपीसी के पूर्व चेयरमैन जगदंबिका पाल सहित अन्य वरिष्ठ नेता और मंत्री देश के अलग-अलग हिस्सों में सभाएं करेंगे.
इस अभियान को देशभर में संचालित करने के लिए बीजेपी ने एक विशेष कमिटी गठित की है, जिसमें बीजेपी महासचिव राधामोहन दास अग्रवाल, दुष्यंत गौतम, अनिल एंटनी, अरविंद मेनन और बीजेपी मुस्लिम मोर्चा के अध्यक्ष जमाल सिद्दिकी शामिल हैं. इन नेताओं को अलग अलग राज्यों की जिम्मेदारियां भी सौंपी गई है.
राधामोहन दास अग्रवाल को उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात, दमन दीव, दादरा एवं नगर हवेली जमाल सिद्दिकी को दिल्ली, लद्दाख, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, चंडीगढ़ की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
उसी तरह से अनिल एंटनी को पश्चिम बंगाल, बिहार, अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा की तो दुष्यंत गौतम को छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तराखंड।इसके अलावा पार्टी ने वक्फ कानून के लाभ और सही जानकारी मुस्लिम समाज तक पहुंचाने के लिए 11-सूत्रीय योजना भी तैयार की है.
वक्फ संशोधन बिल के कानून बनने से पहले सरकार ने जेपीसी का गठन किया था और जेपीसी के अध्यक्ष भाजपा सांसद जगदंबिका पाल को बनाया गया था. वक्फ कानून को लेकर पूरे देश में विरोधी पार्टियां प्रदर्शन कर रहीं है. खासतौर पर बंगाल के मुर्शिदाबाद और 24 परगना जैसे जगहों में इस एक्ट का भारी विरोध देखने को मिला. भाजपा का आरोप है कि अल्पसंख्यक समुदायों द्वारा हिंदुओं को पलायन पर मजबूर किया जा रहा है जबकि वहां की मुख्यमंत्री इमामों के साथ बैठक कर वक्फ कानून का विरोध कर रहीं हैं.
इस मुद्दे पर ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवादाता अनामिका रत्ना ने भाजपा सांसद और जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल से बातचीत की. उन्होंने इस सवाल पर की पश्चिम बंगाल में जिस तरह की वक्फ को लेकर हिंसा हो रही और हिंदुओं का पलायन हो रहा ,और मुख्यमंत्री कह रहीं कि एनडीए सरकार के जाने के बाद ये कानून वो निरस्त कर देंगी, आखिर केंद्र इस कानून को कैसे लागू करेगा?
वक्फ पर बनी जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा कि, संसद के दोनों सदनों से ये कानून लागू किया गया है. आधी रात तक संसद के दोनों सदन चले और ये बिल पास किया गया. उन्होंने कहा कि, विपक्ष ने भी अपनी बात इस पर रखी और जब कानून बन गया तो विपक्षी पार्टियां इस पर राजनीतिक रोटी सेंक रही है. उन्होंने कहा कि इन नेताओं को आम मुसलमान,गरीब महिलाओं और पसमांदा मुस्लिमों के हित से कोई लेना देना नहीं है ,ये कुछ मुस्लिम संगठनों को बहला फुसलाकर ध्रुवीकरण की राजनीति कर रहे हैंय
इस सवाल पर की क्या बिहार और आने वाले दिनों में जो बंगाल में चुनाव हैं उन्हें देखते हुए इस मामले को तूल दिया जा रहा है, इस सवाल का जवाब देते हुए भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने कहा कि,सीधे तौर पर ये ध्रुवीकरण की कोशिश है और जो ममता बनर्जी कह रही हैं कि जब केंद्र में विपक्ष की सरकार आएगी तब ये कानून निरस्त कर दिया जाएगा, ये कुछ ऐसी बात है कि मुंगेरी लाल के हसीन सपने देखे जा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि, जब इंडिया एलायंस को एकजुट होना था तब ममता अलग थलग पड़ गईं. बाकी पार्टियों में भी कोई एक और गठबंधन नहीं नजर आया. फिर ये दावा इसलिए किया जा रहा कि, उन्हें भी मालूम है कि ना नरेंद्र मोदी की सरकार जाएगी और ना ही उनकी सरकार आएगी ताकि वो ये कानून निरस्त कर पाएं.
इस सवाल पर की सुप्रीम कोर्ट से क्या उम्मीद हैं कि वो इस कानून पर पॉजिटिव फैसला देगी. जगदंबिका पाल ने कहा कि कई राज्यों में ऐसे मुकदमे चले जिसमें सभी कोर्ट ने वक्फ के खिलाफ फैसला दिया है, इसलिए उन्हें आधार मानते हुए उन्हें उम्मीद है कि, इसमें सुप्रीम कोर्ट सही फैसला देगा.
बहरहाल वक्फ कानून पर पूरे देश में बवाल मचा है. मगर सत्ताधारी पार्टी भाजपा इस पर कोई प्रदर्शन नहीं चाहती है. यही वजह है की बीजेपी ने अपने नेताओं को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि इस कानून के समर्थन में रोडशो या यात्रा निकालने से बचें, ताकि सामाजिक समरसता और भाईचारा कायम रहे.
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