मुंबई: बांग्लादेश बनने के बाद से भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध सौहार्दपूर्ण और मैत्रीपूर्ण रहे हैं. मुंबई में बांग्लादेश की उप उच्चायुक्त फरहाना अहमद चौधरी ने इन संबंधों के बरकरार रहने की उम्मीद जताई. साथ ही उन्होंने भविष्य में भारत-बांग्लादेश संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने का प्रयास करने का संकल्प जताया.
बांग्लादेश के 54वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बांग्लादेश उप उच्चायुक्त कार्यालय की ओर से गुरुवार को मुंबई में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
महाराष्ट्र की अतिरिक्त मुख्य सचिव और मुख्य प्रोटोकॉल अधिकारी मनीषा पाटणकर म्हैसकर मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में शामिल हुईं.

इस अवसर पर फरहाना चौधरी ने कहा, "बांग्लादेश सभी के प्रति दोस्ती की नीति पर आगे बढ़ रहा है. हमारा ध्यान महिला सशक्तीकरण, खाद्य सुरक्षा, उद्योग, साक्षरता समेत विभिन्न मुद्दों पर है." उन्होंने उम्मीद जताई कि मुंबई और गुजरात के कई उद्योगों के साथ साझेदारी और बेहतर होगी.
फरहाना चौधरी ने बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राणों की आहुति देने वालों के प्रति आभार व्यक्त किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी. उन्होंने बांग्लादेश की स्वतंत्रता में योगदान के लिए भारत के प्रति आभार व्यक्त किया.
इस अवसर पर मलेशिया के महावाणिज्यदूत अहमद जुवेरी यूसुफ, मिस्र की उप महावाणिज्यदूत दीना अल्बाहे और विभिन्न देशों के महावाणिज्यदूत उपस्थित थे.
कार्यक्रम में बोलते हुए मनीषा पाटणकर ने कहा कि भारत-बांग्लादेश संबंधों का इतिहास बहुत पुराना है. बांग्लादेश की स्वतंत्रता में भारत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. कोविड महामारी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2021 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता की स्वर्ण जयंती में शामिल होकर बांग्लादेश के प्रति भारत के स्नेह को दर्शाया था.
उन्होंने कहा कि भारत और बांग्लादेश द्विपक्षीय व्यापार को और बढ़ाने के लिए आवश्यक प्रयास कर रहे हैं. दोनों देशों के बीच सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्तर पर सहयोग और समन्वय रहा है.
पाटणकर ने बताया कि भारत और बांग्लादेश दोनों के राष्ट्रगान गुरु रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखे गए थे. उन्होंने कहा कि भारत वसुधैव कुटुंबकम की नीति पर आगे बढ़ रहा है.
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