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'हम पर संसदीय और कार्यकारी कार्यों में हस्तक्षेप करने का आरोप है', सुप्रीम कोर्ट ने कहा - SUPREME COURT ON WB RIOTS PLEA

भाजपा ने निशिकांत दुबे की सुप्रीम कोर्ट की आलोचना वाली टिप्पणी से खुद को अलग कर लिया है.

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (IANS)
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By Sumit Saxena

Published : April 21, 2025 at 1:56 PM IST

3 Min Read

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेताओं के एक वर्ग की तरफ से न्यायिक अतिक्रमण के आरोपों की पृष्ठभूमि में, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक वकील से पूछा कि क्या वह चाहते हैं कि अदालत केंद्र को राष्ट्रपति शासन लगाने का निर्देश देने के लिए एक आदेश जारी करे.

वकील ने केंद्र को निर्देश देने की मांग की कि वह वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा के मद्देनजर संविधान के अनुच्छेद 355 के तहत राज्य सरकार को आवश्यक निर्देश जारी करने पर विचार करे.

एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष मामले का उल्लेख किया, जिसमें न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल थे. अधिवक्ता द्वारा मामले का उल्लेख किए जाने पर जस्टिस गवई ने कहा, "आप चाहते हैं कि हम केंद्र को राष्ट्रपति शासन लगाने का निर्देश देने के लिए आदेश जारी करें?" न्यायमूर्ति गवई ने आगे कहा, "जैसा कि यह है, हम पर संसदीय और कार्यकारी कार्यों में हस्तक्षेप करने का आरोप है..."

हाल ही में, कुछ भाजपा नेताओं ने उस फैसले पर विवादास्पद टिप्पणी की थी, जिसमें राष्ट्रपति और राज्यपालों के लिए दूसरी बार विधायिका द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने की समय सीमा निर्धारित की गई थी. आज संक्षिप्त सुनवाई के दौरान जैन ने कहा कि, वह संविधान के अनुच्छेद 355 के कार्यान्वयन की मांग कर रहे हैं. जैन ने कहा कि अर्धसैनिक बलों की तत्काल तैनाती की आवश्यकता है, और 2022 में बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा के बाद दायर उनकी लंबित याचिका कल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है.

संविधान के अनुच्छेद 355 में प्रत्येक राज्य को बाहरी आक्रमण और आंतरिक अशांति से बचाने तथा प्रत्येक राज्य की सरकार को संविधान के अनुसार कार्य करने को सुनिश्चित करने के लिए संघ (केंद्र सरकार) के कर्तव्य को रेखांकित किया गया है. इसमें यह सुनिश्चित करना भी शामिल है कि राज्य सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार कार्य करे.

रंजना अग्निहोत्री और अन्य द्वारा दायर याचिका सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है. मामले में दायर अतिरिक्त आवेदन में वक्फ संशोधन अधिनियम के संबंध में मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा की जांच के लिए एक सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट के जज की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित करने की मांग की गई है.

आवेदन में केंद्र सरकार को पश्चिम बंगाल के अशांत क्षेत्रों में अर्धसैनिक बलों को तैनात करने के निर्देश देने की भी मांग की गई है. जैन द्वारा दायर आवेदन में कहा गया है कि, केंद्र सरकार को संविधान के अनुच्छेद 355 के तहत राज्य सरकार को आवश्यक निर्देश जारी करने पर विचार करने का निर्देश दिया जाए. मामले की सुनवाई मंगलवार को होनी है.

ये भी पढ़ें: सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ अवमानना याचिका पर SC ने कहा, 'कोर्ट की अनुमति की आवश्यकता नहीं'

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेताओं के एक वर्ग की तरफ से न्यायिक अतिक्रमण के आरोपों की पृष्ठभूमि में, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक वकील से पूछा कि क्या वह चाहते हैं कि अदालत केंद्र को राष्ट्रपति शासन लगाने का निर्देश देने के लिए एक आदेश जारी करे.

वकील ने केंद्र को निर्देश देने की मांग की कि वह वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा के मद्देनजर संविधान के अनुच्छेद 355 के तहत राज्य सरकार को आवश्यक निर्देश जारी करने पर विचार करे.

एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष मामले का उल्लेख किया, जिसमें न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल थे. अधिवक्ता द्वारा मामले का उल्लेख किए जाने पर जस्टिस गवई ने कहा, "आप चाहते हैं कि हम केंद्र को राष्ट्रपति शासन लगाने का निर्देश देने के लिए आदेश जारी करें?" न्यायमूर्ति गवई ने आगे कहा, "जैसा कि यह है, हम पर संसदीय और कार्यकारी कार्यों में हस्तक्षेप करने का आरोप है..."

हाल ही में, कुछ भाजपा नेताओं ने उस फैसले पर विवादास्पद टिप्पणी की थी, जिसमें राष्ट्रपति और राज्यपालों के लिए दूसरी बार विधायिका द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने की समय सीमा निर्धारित की गई थी. आज संक्षिप्त सुनवाई के दौरान जैन ने कहा कि, वह संविधान के अनुच्छेद 355 के कार्यान्वयन की मांग कर रहे हैं. जैन ने कहा कि अर्धसैनिक बलों की तत्काल तैनाती की आवश्यकता है, और 2022 में बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा के बाद दायर उनकी लंबित याचिका कल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है.

संविधान के अनुच्छेद 355 में प्रत्येक राज्य को बाहरी आक्रमण और आंतरिक अशांति से बचाने तथा प्रत्येक राज्य की सरकार को संविधान के अनुसार कार्य करने को सुनिश्चित करने के लिए संघ (केंद्र सरकार) के कर्तव्य को रेखांकित किया गया है. इसमें यह सुनिश्चित करना भी शामिल है कि राज्य सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार कार्य करे.

रंजना अग्निहोत्री और अन्य द्वारा दायर याचिका सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है. मामले में दायर अतिरिक्त आवेदन में वक्फ संशोधन अधिनियम के संबंध में मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा की जांच के लिए एक सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट के जज की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित करने की मांग की गई है.

आवेदन में केंद्र सरकार को पश्चिम बंगाल के अशांत क्षेत्रों में अर्धसैनिक बलों को तैनात करने के निर्देश देने की भी मांग की गई है. जैन द्वारा दायर आवेदन में कहा गया है कि, केंद्र सरकार को संविधान के अनुच्छेद 355 के तहत राज्य सरकार को आवश्यक निर्देश जारी करने पर विचार करने का निर्देश दिया जाए. मामले की सुनवाई मंगलवार को होनी है.

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