हैदराबाद: हमारे देश में सभी धर्मों को मानने वाले हैं. किसी भी तरह की कोई पाबंदी नहीं है. वहीं, हिंदू धर्म में भी सभी देवी-देवताओं की पूजा का विधान है. सप्ताह का हर दिन किसी ना किसी माता को समर्पित होता है. जैसे- शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी का माना गया है. रविवार को मां गायत्री को समर्पित है. वहीं, पूजा में इन देवी-देवताओं को उनके पसंद का भोग भी लगाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि भगवान इससे प्रसन्न होते हैं और भक्तों को आर्शीवाद देते हैं.
आज हम बात कर रहे हैं एक माता काली के ऐसे मंदिर के जहां श्रद्धालु मां को विशेष तरह का प्रसाद चढ़ाते हैं. अब आप कहेंगे कि इसमें क्या नई बात है. सभी लोग माता को अपनी सामर्थ्य के अनुसार भोग लगाते हैं और प्रार्थना करते हैं, लेकिन यहां बात खास है इसलिए चर्चा हो रही है.

पश्चिम बंगाल के टांगरा का है मंदिर
बात पश्चिम बंगाल के टांगरा इलाके की हो रही है, जहां मां को प्रसाद के तौर पर नूडल्स और चाइनीज चीजें अर्पित की जाती हैं. क्यों सुनकर चौंक गए ना. हां, यह शत-प्रतिशत सच है. आइये विस्तार से जानते हैं. कोलकाता में एक इलाका है टांगरा, जहां मां काली का एक बहुत लोकप्रिय चाइनीज मंदिर है. इस मंदिर मे मां काली को भक्त प्रसाद में चाइनीज खानों का प्रसाद चढ़ाते हैं. यह बात आज की नहीं है, बल्कि ऐसी परंपरा कई सालों से चली आ रही है. इस मंदिर में दर्शन करने वाले श्रद्धालु मां को लड्डू, पूरी या हल्वे का भोग नहीं लगाते. वे प्रसाद में मोमोज, चाउमीन, फ्राइड राइस अर्पित करते हैं. जहां यह मंदिर है उसे चाउना टाउन भी कहा जाता है.

जानें इलाके का इतिहास
18वीं सदी के अंत में इस इलाके में चीनी लोगों की एक अच्छी खासी संख्या थी. यहां हिंदू लोग भी रहते थे. इस वजह से यहां हिंदू और चीनी दोनों सभ्यताओं का अद्भुत प्रभाव दिखाई देता है. जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक टांगरा में मां काली के इस चाइनीज मंदिर में जो संकेतक लगे हैं, वे अंग्रेजी और चाइनीज में लिखे गए हैं. वहीं, मंदिर की छत पर जो सजावट की गई है वह भी देखने लायक है क्योंकि हिंदू देवी-देवताओं के साथ-साथ चीनी ड्रैगन और इससे संबंधित तस्वीरें भी लगाई गई हैं. इसी वजह से इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालु प्रसाद में मोमोज और नूडल्स बनाकर लाते हैं और बड़ी खुशी से मां को चढ़ाते हैं.

बता दें, चीन में जब गृहयुद्ध हुआ था, तब वहां से कई चाइनीज लोग भागकर आए थे और कोलकाता के टांगरा इलाके में शरणार्थी बनकर रहने लगे. जैसे-जैसे समय बीतता गया लोग अपने धर्म की मान्यताओं के अनुसार मां काली को चाइनीज व्यंजनों का भोग लगाने लगे. उस समय से लेकर आज तक यह प्रथा जारी है. इस चाइनीज मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां के पुजारी भी चीनी लोग हैं. इसी वजह से इस मंदिर की लोकप्रियता काफी ज्यादा है.
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