नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने की मांग पर सुनवाई इस आधार पर टाल दिया कि इस मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को 21 अप्रैल तक फैसला करने का निर्देश दिया है. चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि केंद्र सरकार को इस संबंध में उठाए गए कदम के बारे में कोर्ट को बताना चाहिए, क्योंकि इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित याचिका पर अलग आदेश आ सकता है. मामले की अगली सुनवाई 28 मई को होगी.
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से एएसजी चेतन शर्मा ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 24 मार्च को एक याचिकाकर्ता विग्नेश शिशिर की याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को इस पर फैसला करने का आदेश दिया था. उन्होंने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस मामले पर सुनवाई 21 अप्रैल को होनी है. केंद्र सरकार की इस दलील का याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी ने विरोध करते हुए कहा कि केंद्र सरकार इसमें देरी करना चाहती है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने राहुल गांधी को एक कारण बताओ नोटिस जारी कर उनकी ब्रिटिश नागरिकता के बारे में स्पष्टीकरण मांगा था, लेकिन राहुल गांधी ने अभी तक उसका कोई जवाब नहीं दिया है.
इसके पहले 20 अगस्त, 2024 को हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने याचिका को दूसरी बेंच में ट्रांसफर करने का आदेश दिया था. जस्टिस संजीव नरुला की बेंच ने कहा था कि याचिकाकर्ता ये बताने में नाकाम रहे कि इसमें कोई संवैधानिक अधिकार है. लेकिन याचिकाकर्ता का कहना है कि इसमें जनहित का मसला जुड़ा हुआ है, इसलिए इस याचिका पर जनहित याचिका पर सुनवाई करने वाली बेंच सुनवाई करेगी.
आयकर रिटर्न में कही ये बात: सुब्रमण्यम स्वामी ने खुद दलीलें रखते हुए कहा था कि उन्होंने 2019 में गृह मंत्रालय को लिखा था कि बैकओप्स लिमिटेड का रजिस्ट्रेशन ब्रिटेन में 2003 में हुआ था और राहुल गांधी उस कंपनी के निदेशकों में से एक थे. याचिका में कहा गया है कि कंपनी की ओर से 10 अक्टूबर, 2005 और 31 अक्टूबर, 2006 को भरे गए सालाना आयकर रिटर्न में कहा गया है कि राहुल गांधी की नागरिकता ब्रिटेन की है.
याचिका में अनुच्छेद 9 का जिक्र: याचिका में कहा गया है कि कंपनी ने खुद को भंग करने के लिए 17 फरवरी, 2009 को जो अर्जी दाखिल की थी उसमें भी राहुल गांधी की नागरिकता ब्रिटेन की बताई गई है. साथ ही कहा कि ऐसा करना संविधान के अनुच्छेद 9 और भारतीय नागरिकता कानून का उल्लंघन है. अनुच्छेद 9 में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति अगर स्वेच्छा से किसी दूसरे देश की नागरिकता लेता है तो वो भारत का नागरिक नहीं रह सकता है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 29 अप्रैल, 2019 को राहुल गांधी को पत्र लिखकर कहा था कि इस संबंध में दो हफ्ते के अंदर स्पष्टीकरण दें, लेकिन इसके पांच वर्ष से ज्यादा का समय बीतने के बावजूद कोई स्पष्टता नहीं है. ऐसे में कोर्ट गृह मंत्रालय को इस संबंध में फैसला लेने का दिशानिर्देश जारी करे.
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