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वेड इन त्रियुगीनारायण: देश की सबसे खूबसूरत डेस्टिनेशन वेडिंग, दैवीय आशीर्वाद के साथ लें सात फेरे - WEDDING DESTINATIONS IN UTTARAKHAND

रुद्रप्रयाग जिले में 6495 फीट की ऊंचाई पर एक ऐसा ही वेडिंग डेस्टिनेशन हैं, जो अपने आप में धार्मिक और पौराणिक महत्व समेटे हुए हैं.

Uttarakhand Wedding Destination
हिमालय की गोद में वेडिंग डेस्टिनेशन (Photo-ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 27, 2025 at 6:50 AM IST

Updated : May 27, 2025 at 2:47 PM IST

10 Min Read

देहरादून (किरणकांत शर्मा): देवभूमि उत्तराखंड अपने आध्यात्म और पर्यटन के लिए ही नहीं बल्कि वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है. त्रियुगीनारायण (त्रिजुगीनारायण) इस उपस्थिति में सबसे पहले नंबर में आता है. यहां 6495 फीट की ऊंचाई पर प्रकृति की गोद में नव जोड़े सात फेरे लेकर जन्म-जन्मांतर का साथ निभाने की कसमें खाते हैं. इस सब का गवाह वो पौराणिक मंदिर बनता है, जहां भगवान शिव ने माता पार्वती के साथ विवाह किया था. मंदिर के हवन कुंड में युगों से अखंड ज्योति जल रही है. जिसे भगवान शिव और पार्वती के दांपत्य जीवन के बंधन का प्रतीक माना जाता है. यह स्थल देश का सबसे बड़ा वेडिंग डेस्टिनेशन बनने की दिशा में कदम रख चुका है.

शिव-शक्ति ने लिए थे सात फेरे: रुद्रप्रयाग जिले में त्रियुगीनारायण एक ऐसा भी मंदिर है, जहां पर सात फेरे लेने से मनुष्य के दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है. इसी मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती ने अपने दांपत्य जीवन की शुरुआत की, मंदिर में आज भी त्रेता युग से अखंड धूनी जल रही है, जिसकी राख को लोग घर ले जाते हैं. त्रियुगीनारायण मंदिर का महत्व सिर्फ भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह से नहीं, बल्कि बदरीनाथ, केदारनाथ और अन्य धार्मिक स्थलों से भी जुड़ा हुआ है.

Uttarakhand Wedding Destination
त्रियुगीनारायण में नव जोड़े ने लिए सात फेरे (Photo-ETV Bharat)

प्रकृति की गोद में बसा वेडिंग डेस्टिनेशन: त्रियुगीनारायण मंदिर बीते कुछ सालों में लोगों की जुबान पर खूब आया है, जहां केदारनाथ और बदरीनाथ जैसे बड़े धार्मिक स्थल मौजूद हैं. इस मंदिर की मान्यता और कहानी जिसने भी सुनी वही इस मंदिर में खिंचा चला आया. भगवान शिव और पार्वती के विवाह का गवाह रहा यह स्थान आज सैकड़ों शादियों का गवाह बन रहा है. इस मंदिर में जल रही अखंड धूनी और अग्नि से कई नए जोड़े जीवन की शुरुआत कर रहे हैं. उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 6495 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. प्रकृति की गोद में बसे इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि इसकी स्थापना हिमालय राज ने की थी. जिससे इस मंदिर में लोगों की आस्था प्रगाढ़ हो जाती है.

Uttarakhand Wedding Destination
मंदिर शिव-शक्ति के अनंत प्रेम का प्रतीक (Photo-ETV Bharat Graphic)

मंदिर में आस्था अतीत से चली आ रही है. यहां भगवान शिव और पार्वती के विवाह का वर्णन पुराणों में मिलता है. लोग पवित्र धूनी की राख को घर ले जाते हैं, जिससे दांपत्य जीवन खुशहाल होता है.
- आशुतोष डिमरी, बदरीनाथ पुजारी समाज -

Uttarakhand Wedding Destination
शादी को लेकर लोगों में अटूट आस्था (Photo-ETV Bharat)

मंदिर चार जल कुंड का है अपना अलग महत्व: त्रियुगीनारायण मंदिर के पास चार पवित्र कुंड भी हैं, जिसमें विष्णु कुंड, ब्रह्म कुंड, सरस्वती कुंड और रूद्र कुंड यहां के बारे में मान्यता है कि अगर किसी के संतान या किसी का विवाह नहीं हो रहा है तो वह अगर इस कुंड में स्नान करता है तो फल तुरंत मिल जाता है. यहां आने वाले श्रद्धालु इन कुंडों के जल का आचमन भी करते हैं. कहा जाता है कि जब भगवान शिव और पार्वती की शादी इस मंदिर में हुई तब माता पार्वती के भाई की भूमिका भगवान विष्णु ने निभाई थी और तीर्थ पुरोहितों का काम ब्रह्मा जी ने किया था. इस मंदिर के पास ही मंदाकिनी और सोनगंगा का संगम भी होता है.

Uttarakhand Wedding Destination
मंदिर में शादी से दांपत्य जीवन रहता है सुखी (Photo-ETV Bharat)

केदारनाथ और बदरीनाथ से है ये संबंध: धर्माचार्य और ज्योतिष प्रतीक मिश्र बताते हैं कि सिर्फ यह मंदिर मंदिर नहीं है बल्कि केदारनाथ और मंदिर से इसका गहरा और पौराणिक नाता है. इस मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा होती है और बदरीनाथ में भी भगवान विष्णु पूजे जाते हैं. मान्यता के अनुसार जिस गौरीकुंड से होते हुए भक्ति केदारनाथ जाते हैं, उस गौरीकुंड में ही तपस्या करके माता पार्वती ने भगवान शिव को प्राप्त किया था. यह स्थान केदारनाथ से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. भगवान शिव और पार्वती का मिलन का स्थान गौरीकुंड है और केदारनाथ में भगवान शिव की पूजा होती है. ऐसे में नर और नारायण का जो स्थान है, उसका सीधा संबंध त्रियुगीनारायण से है.

Uttarakhand Wedding Destination
बेजोड़ मंदिर का स्थापत्य कला (Photo-ETV Bharat Graphic)

मंदिर की बनावट और क्या है खास: वैसे त्रियुगीनारायण मंदिर त्रेता युग का माना जाता है, लेकिन आठवीं सदी में इस मंदिर का जीर्णोद्धार आदि गुरु शंकराचार्य ने करवाया था. यह मंदिर केदारनाथ की तरह ही स्थापत्य शैली पर बना है. मंदिर में भगवान शिव की 2 फुट की मूर्ति मौजूद है, इसके साथ ही माता लक्ष्मी और माता सरस्वती की मूर्ति भी मंदिर में विराजमान है. मंदिर के परिसर में ही कुछ हवन कुंड बनाए गए हैं, जहां पर शादी संपन्न कराई जाती है.

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मंदिर में त्रेता युग से जल रही अखंड धूनी (Photo-ETV Bharat)

मंदिर में शादी करने का बढ़ा क्रेज: बीते कुछ सालों में यहां पर शादी के बंधनों में बंधने वालों की संख्या में बेहद इजाफा हुआ है. ना केवल उत्तराखंड बल्कि देश और दुनिया के अलग-अलग कोनों से लोग यहां पर शादी करने के लिए आते हैं. वैसे तो हमेशा से इस स्थान पर साल में दो या तीन शादियां होती थी, लेकिन साल 2018 के बाद यहां पर शादी करने का चलन बहुत बढ़ गया है. भागदौड़ भरी जिंदगी और शहरों के शोर के बीच लोग यहां के शांत वातावरण में बड़ी संख्या में शादी करने पहुंच रहे हैं.

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साल दर साल शादी करने वालों का बढ़त रहा ग्राफ (Photo-ETV Bharat Graphic)

साल दर साल बढ़ रहा ये आंकड़ा: साल 2021 में यहां पर 51 लोगों ने शादी की, जबकि साल 2022 में यह आंकड़ा बढ़कर 101 तक पहुंच गया. साल 2023 में 62 से अधिक लोगों ने यहां शादी की, लेकिन साल 2023 के बाद यह आंकड़ा 124 पार कर गया. वहीं 2024 में 152 जोड़ों ने शादी की. वहीं साल 2025 में ये आंकड़ा 82 शादियों तक पहुंच गया है. मंदिर वैसे तो बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के आधीन है लेकिन शादी और अन्य कार्यक्रम यहां रहने वाले 200 तीर्थ पुरोहितों के परिवार द्वारा कराया जाता है.

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शादी में मंदिर समिति और स्थानीय लोग करते हैं सहयोग (Photo-ETV Bharat Graphic)

शादियों के सीजन में यहां एक दिन में करीब 11 शादियां हो जाती हैं. शादी करने वाले लोगों के लिए स्थानीय महिलाओं ने एक दल बनाया है. जो शुरुआत से लेकर विदाई तक सभी कामों को पूरा करवाता है. लोगों को कोई सामान लाने की जरूरत नहीं है. सिर्फ मेहमानों लेकर आने हैं, बाकी सभी इंतजाम आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं.

शादी करने वाले जोड़ों को अपने साथ परिवार के सदस्य अपने कुछ महत्वपूर्ण कागज जैसे आधार कार्ड या कोई भी पहचान पत्र लाना होता है. शादी बुकिंग के दौरान ₹1100 की फीस देनी होती है, जबकि शादी संपन्न होने के बाद मंदिर की तरफ से सर्टिफिकेट दिया जाता है, जिसके लिए ₹1100 और देने होंगे. ध्यान रखें की शादी करने वाले पहले आप बुकिंग जरूर करवाएं. बुकिंग कुछ स्थानीय परोहितों मंदिर से जुड़ी समिति करती है.
- सरस्वतानंद भट्ट, सदस्य, तीर्थ पुरोहित समिति -

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मंदिर में शादी में इतना आता है खर्च (Photo-ETV Bharat Graphic)

इन जानी मानी हस्तियों ने लिए फेरे: कुछ साल में मंदिर में देशी और विदेशी कई जोड़ों ने साथ ही कई एक्टरों के आलावा वीवीआईपी लोगों ने साथ फेरे लिए हैं. जिसमें इसरो के एक वैज्ञानिक, अभिनेत्री चित्रा शुक्ला, कविता कौशिक, निकिता शर्मा, गायक हंसराज रघुवंशी, यूट्यूबर आदर्श सुयाल, गढ़वाली लोकगायक सौरभ मैठाणी के साथ ही कई जानी मानी हस्तियां शामिल हैं.

वहीं, बीते अप्रैल महीने में मशहूर अभिनेता गोविंदा की भांजी अभिनेत्री आरती सिंह और दीपक चौहान ने त्रियुगीनारायण में दोबारा शादी की. दरअसल, आरती सिंह जो खुद के सफल एक्ट्रेस हैं उन्होंने अपनी शादी की सालगिरह को बेहद खास बनाते हुए पवित्र त्रियुगीनारायण मंदिर में अखंड अग्नि के सामने दोबारा से सात फेरे लिए. इस दौरान आरती बेहद भावुक भी नजर आई थीं. यही नहीं, उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत का विवाह भी इसी पवित्र मंदिर में संपन्न हुआ है.

मंदिर तक कैसे पहुंचे: त्रियुगीनारायण मंदिर तक आप गाड़ी से पहुंच सकते हैं. रुकने के लिए यहां पर होटल और होमस्टे उपलब्ध हैं. ऋषिकेश या हरिद्वार तक आप रेल माध्यम से भी आ सकते हैं. हरिद्वार से रुद्रप्रयाग तक आपको 165 किलोमीटर की दूरी लगभग 8 घंटे में तय करनी होगी. इसके बाद लगभग 70 किलोमीटर दूर आपको सोनप्रयाग तक या सीधे त्रियुगीनारायण तक टैक्सी के माध्यम से पहुंचना होगा. देश के किसी भी कोने से आप टैक्सी करके इस स्थान तक पहुंच सकते हैं.

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बाबा केदार के दर्शन के बाद भी पहुंच सकते हैं मंदिर (Photo-ETV Bharat Graphic)

दिल्ली से मंदिर की दूरी लगभग 441 किलोमीटर है. अगर आप हवाई मार्ग से आना चाहते हैं तो जौलीग्रांट निकटतम हवाई अड्डा है. हालांकि राज्य सरकार की उड़ान योजना के तहत विशेष रूप से चॉपर की व्यवस्था भी की गई है, जिसको किराए पर लेकर आप सोनप्रयाग तक जा सकते हैं. ध्यान रहें मानसून के अलावा आप साल के किसी भी महीने में यहां आराम से आ सकते हैं.

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मंदिर के लिए रोडमैप (Photo-ETV Bharat Graphic)

त्रियुगीनारायण मंदिर का महत्व: पौराणिक मान्यता के अनुसार यहां भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती का विवाह हुआ था. स्वयं भगवान विष्णु ने इस विवाह में देवी पार्वती के भाई (कन्यादानकर्ता) का कर्तव्य निभाया था. मंदिर में जल रही पवित्र अखंड अग्नि में ही भगवान शिव और देवी पार्वती ने सात फेरे लिए थे, ऐसी मान्यता है. जिससे इस मंदिर का पौराणिक महत्व बढ़ जाता है.

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दिल्ली से हवाई सफर (Photo-ETV Bharat Graphic)

मंदिर का होगा कालाकल्प: उत्तराखंड सरकार में सूचना विभाग के निदेशक बंशीधर तिवारी कहते हैं कि सरकार लगातार त्रियुगीनारायण के विस्तार की योजना पर काम कर रही है. आने वाले समय में लोग वहां का कायाकल्प देखेंगे. इसका रोडमैप भी तैयार हो गया है.

तिवारी बताते हैं कि सरकार वहां रहने, खाने-पीने और शादी के लिए पूरा माहौल तैयार कर रही है. जिस तरह से बीते सालों में इस मंदिर में शादी करने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है उससे स्थानीय लोगों को भी काफी रोजगार मिला है. पीएम नरेंद्र मोदी उत्तराखंड में आकर प्रदेश को वेडिंग हब बनाने का जो मंत्र देकर गए हैं, वो सार्थक होता दिखाई दे रहा है.

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विकसित किए जा रहे वेडिंग डेस्टिनेशन (Photo-ETV Bharat Graphic)

स्थानीय पर्यटन को लग रहे पंख: त्रियुगीनारायण मंदिर वैवाहिक अनुष्ठान के लिए लोकप्रिय होने लगा है. यह मंदिर वेडिंग डेस्टिनेशन के साथ ही हिंदू स्वावलंबियों के आध्यात्म का केंद्र है. यहां आकर लोगों की भक्ति और विश्वास प्रगाढ़ होती है. मंदिर के चारों ओर प्राकृतिक मनोरम दृश्य नजर आते हैं. जो सैलानियों और श्रद्धालुओं को सुकून का एहसास कराती है.त्रियुगीनारायण वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विख्यात होने के जहां एक ओर पर्यटन को पंख लग रहे हैं वहीं दूसरी ओर स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी खुले हैं.

पढ़ें-

देहरादून (किरणकांत शर्मा): देवभूमि उत्तराखंड अपने आध्यात्म और पर्यटन के लिए ही नहीं बल्कि वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है. त्रियुगीनारायण (त्रिजुगीनारायण) इस उपस्थिति में सबसे पहले नंबर में आता है. यहां 6495 फीट की ऊंचाई पर प्रकृति की गोद में नव जोड़े सात फेरे लेकर जन्म-जन्मांतर का साथ निभाने की कसमें खाते हैं. इस सब का गवाह वो पौराणिक मंदिर बनता है, जहां भगवान शिव ने माता पार्वती के साथ विवाह किया था. मंदिर के हवन कुंड में युगों से अखंड ज्योति जल रही है. जिसे भगवान शिव और पार्वती के दांपत्य जीवन के बंधन का प्रतीक माना जाता है. यह स्थल देश का सबसे बड़ा वेडिंग डेस्टिनेशन बनने की दिशा में कदम रख चुका है.

शिव-शक्ति ने लिए थे सात फेरे: रुद्रप्रयाग जिले में त्रियुगीनारायण एक ऐसा भी मंदिर है, जहां पर सात फेरे लेने से मनुष्य के दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है. इसी मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती ने अपने दांपत्य जीवन की शुरुआत की, मंदिर में आज भी त्रेता युग से अखंड धूनी जल रही है, जिसकी राख को लोग घर ले जाते हैं. त्रियुगीनारायण मंदिर का महत्व सिर्फ भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह से नहीं, बल्कि बदरीनाथ, केदारनाथ और अन्य धार्मिक स्थलों से भी जुड़ा हुआ है.

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त्रियुगीनारायण में नव जोड़े ने लिए सात फेरे (Photo-ETV Bharat)

प्रकृति की गोद में बसा वेडिंग डेस्टिनेशन: त्रियुगीनारायण मंदिर बीते कुछ सालों में लोगों की जुबान पर खूब आया है, जहां केदारनाथ और बदरीनाथ जैसे बड़े धार्मिक स्थल मौजूद हैं. इस मंदिर की मान्यता और कहानी जिसने भी सुनी वही इस मंदिर में खिंचा चला आया. भगवान शिव और पार्वती के विवाह का गवाह रहा यह स्थान आज सैकड़ों शादियों का गवाह बन रहा है. इस मंदिर में जल रही अखंड धूनी और अग्नि से कई नए जोड़े जीवन की शुरुआत कर रहे हैं. उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 6495 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. प्रकृति की गोद में बसे इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि इसकी स्थापना हिमालय राज ने की थी. जिससे इस मंदिर में लोगों की आस्था प्रगाढ़ हो जाती है.

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मंदिर शिव-शक्ति के अनंत प्रेम का प्रतीक (Photo-ETV Bharat Graphic)

मंदिर में आस्था अतीत से चली आ रही है. यहां भगवान शिव और पार्वती के विवाह का वर्णन पुराणों में मिलता है. लोग पवित्र धूनी की राख को घर ले जाते हैं, जिससे दांपत्य जीवन खुशहाल होता है.
- आशुतोष डिमरी, बदरीनाथ पुजारी समाज -

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शादी को लेकर लोगों में अटूट आस्था (Photo-ETV Bharat)

मंदिर चार जल कुंड का है अपना अलग महत्व: त्रियुगीनारायण मंदिर के पास चार पवित्र कुंड भी हैं, जिसमें विष्णु कुंड, ब्रह्म कुंड, सरस्वती कुंड और रूद्र कुंड यहां के बारे में मान्यता है कि अगर किसी के संतान या किसी का विवाह नहीं हो रहा है तो वह अगर इस कुंड में स्नान करता है तो फल तुरंत मिल जाता है. यहां आने वाले श्रद्धालु इन कुंडों के जल का आचमन भी करते हैं. कहा जाता है कि जब भगवान शिव और पार्वती की शादी इस मंदिर में हुई तब माता पार्वती के भाई की भूमिका भगवान विष्णु ने निभाई थी और तीर्थ पुरोहितों का काम ब्रह्मा जी ने किया था. इस मंदिर के पास ही मंदाकिनी और सोनगंगा का संगम भी होता है.

Uttarakhand Wedding Destination
मंदिर में शादी से दांपत्य जीवन रहता है सुखी (Photo-ETV Bharat)

केदारनाथ और बदरीनाथ से है ये संबंध: धर्माचार्य और ज्योतिष प्रतीक मिश्र बताते हैं कि सिर्फ यह मंदिर मंदिर नहीं है बल्कि केदारनाथ और मंदिर से इसका गहरा और पौराणिक नाता है. इस मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा होती है और बदरीनाथ में भी भगवान विष्णु पूजे जाते हैं. मान्यता के अनुसार जिस गौरीकुंड से होते हुए भक्ति केदारनाथ जाते हैं, उस गौरीकुंड में ही तपस्या करके माता पार्वती ने भगवान शिव को प्राप्त किया था. यह स्थान केदारनाथ से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. भगवान शिव और पार्वती का मिलन का स्थान गौरीकुंड है और केदारनाथ में भगवान शिव की पूजा होती है. ऐसे में नर और नारायण का जो स्थान है, उसका सीधा संबंध त्रियुगीनारायण से है.

Uttarakhand Wedding Destination
बेजोड़ मंदिर का स्थापत्य कला (Photo-ETV Bharat Graphic)

मंदिर की बनावट और क्या है खास: वैसे त्रियुगीनारायण मंदिर त्रेता युग का माना जाता है, लेकिन आठवीं सदी में इस मंदिर का जीर्णोद्धार आदि गुरु शंकराचार्य ने करवाया था. यह मंदिर केदारनाथ की तरह ही स्थापत्य शैली पर बना है. मंदिर में भगवान शिव की 2 फुट की मूर्ति मौजूद है, इसके साथ ही माता लक्ष्मी और माता सरस्वती की मूर्ति भी मंदिर में विराजमान है. मंदिर के परिसर में ही कुछ हवन कुंड बनाए गए हैं, जहां पर शादी संपन्न कराई जाती है.

Uttarakhand Wedding Destination
मंदिर में त्रेता युग से जल रही अखंड धूनी (Photo-ETV Bharat)

मंदिर में शादी करने का बढ़ा क्रेज: बीते कुछ सालों में यहां पर शादी के बंधनों में बंधने वालों की संख्या में बेहद इजाफा हुआ है. ना केवल उत्तराखंड बल्कि देश और दुनिया के अलग-अलग कोनों से लोग यहां पर शादी करने के लिए आते हैं. वैसे तो हमेशा से इस स्थान पर साल में दो या तीन शादियां होती थी, लेकिन साल 2018 के बाद यहां पर शादी करने का चलन बहुत बढ़ गया है. भागदौड़ भरी जिंदगी और शहरों के शोर के बीच लोग यहां के शांत वातावरण में बड़ी संख्या में शादी करने पहुंच रहे हैं.

Uttarakhand Wedding Destination
साल दर साल शादी करने वालों का बढ़त रहा ग्राफ (Photo-ETV Bharat Graphic)

साल दर साल बढ़ रहा ये आंकड़ा: साल 2021 में यहां पर 51 लोगों ने शादी की, जबकि साल 2022 में यह आंकड़ा बढ़कर 101 तक पहुंच गया. साल 2023 में 62 से अधिक लोगों ने यहां शादी की, लेकिन साल 2023 के बाद यह आंकड़ा 124 पार कर गया. वहीं 2024 में 152 जोड़ों ने शादी की. वहीं साल 2025 में ये आंकड़ा 82 शादियों तक पहुंच गया है. मंदिर वैसे तो बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के आधीन है लेकिन शादी और अन्य कार्यक्रम यहां रहने वाले 200 तीर्थ पुरोहितों के परिवार द्वारा कराया जाता है.

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शादी में मंदिर समिति और स्थानीय लोग करते हैं सहयोग (Photo-ETV Bharat Graphic)

शादियों के सीजन में यहां एक दिन में करीब 11 शादियां हो जाती हैं. शादी करने वाले लोगों के लिए स्थानीय महिलाओं ने एक दल बनाया है. जो शुरुआत से लेकर विदाई तक सभी कामों को पूरा करवाता है. लोगों को कोई सामान लाने की जरूरत नहीं है. सिर्फ मेहमानों लेकर आने हैं, बाकी सभी इंतजाम आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं.

शादी करने वाले जोड़ों को अपने साथ परिवार के सदस्य अपने कुछ महत्वपूर्ण कागज जैसे आधार कार्ड या कोई भी पहचान पत्र लाना होता है. शादी बुकिंग के दौरान ₹1100 की फीस देनी होती है, जबकि शादी संपन्न होने के बाद मंदिर की तरफ से सर्टिफिकेट दिया जाता है, जिसके लिए ₹1100 और देने होंगे. ध्यान रखें की शादी करने वाले पहले आप बुकिंग जरूर करवाएं. बुकिंग कुछ स्थानीय परोहितों मंदिर से जुड़ी समिति करती है.
- सरस्वतानंद भट्ट, सदस्य, तीर्थ पुरोहित समिति -

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मंदिर में शादी में इतना आता है खर्च (Photo-ETV Bharat Graphic)

इन जानी मानी हस्तियों ने लिए फेरे: कुछ साल में मंदिर में देशी और विदेशी कई जोड़ों ने साथ ही कई एक्टरों के आलावा वीवीआईपी लोगों ने साथ फेरे लिए हैं. जिसमें इसरो के एक वैज्ञानिक, अभिनेत्री चित्रा शुक्ला, कविता कौशिक, निकिता शर्मा, गायक हंसराज रघुवंशी, यूट्यूबर आदर्श सुयाल, गढ़वाली लोकगायक सौरभ मैठाणी के साथ ही कई जानी मानी हस्तियां शामिल हैं.

वहीं, बीते अप्रैल महीने में मशहूर अभिनेता गोविंदा की भांजी अभिनेत्री आरती सिंह और दीपक चौहान ने त्रियुगीनारायण में दोबारा शादी की. दरअसल, आरती सिंह जो खुद के सफल एक्ट्रेस हैं उन्होंने अपनी शादी की सालगिरह को बेहद खास बनाते हुए पवित्र त्रियुगीनारायण मंदिर में अखंड अग्नि के सामने दोबारा से सात फेरे लिए. इस दौरान आरती बेहद भावुक भी नजर आई थीं. यही नहीं, उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत का विवाह भी इसी पवित्र मंदिर में संपन्न हुआ है.

मंदिर तक कैसे पहुंचे: त्रियुगीनारायण मंदिर तक आप गाड़ी से पहुंच सकते हैं. रुकने के लिए यहां पर होटल और होमस्टे उपलब्ध हैं. ऋषिकेश या हरिद्वार तक आप रेल माध्यम से भी आ सकते हैं. हरिद्वार से रुद्रप्रयाग तक आपको 165 किलोमीटर की दूरी लगभग 8 घंटे में तय करनी होगी. इसके बाद लगभग 70 किलोमीटर दूर आपको सोनप्रयाग तक या सीधे त्रियुगीनारायण तक टैक्सी के माध्यम से पहुंचना होगा. देश के किसी भी कोने से आप टैक्सी करके इस स्थान तक पहुंच सकते हैं.

Uttarakhand Wedding Destination
बाबा केदार के दर्शन के बाद भी पहुंच सकते हैं मंदिर (Photo-ETV Bharat Graphic)

दिल्ली से मंदिर की दूरी लगभग 441 किलोमीटर है. अगर आप हवाई मार्ग से आना चाहते हैं तो जौलीग्रांट निकटतम हवाई अड्डा है. हालांकि राज्य सरकार की उड़ान योजना के तहत विशेष रूप से चॉपर की व्यवस्था भी की गई है, जिसको किराए पर लेकर आप सोनप्रयाग तक जा सकते हैं. ध्यान रहें मानसून के अलावा आप साल के किसी भी महीने में यहां आराम से आ सकते हैं.

Uttarakhand Wedding Destination
मंदिर के लिए रोडमैप (Photo-ETV Bharat Graphic)

त्रियुगीनारायण मंदिर का महत्व: पौराणिक मान्यता के अनुसार यहां भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती का विवाह हुआ था. स्वयं भगवान विष्णु ने इस विवाह में देवी पार्वती के भाई (कन्यादानकर्ता) का कर्तव्य निभाया था. मंदिर में जल रही पवित्र अखंड अग्नि में ही भगवान शिव और देवी पार्वती ने सात फेरे लिए थे, ऐसी मान्यता है. जिससे इस मंदिर का पौराणिक महत्व बढ़ जाता है.

Uttarakhand Wedding Destination
दिल्ली से हवाई सफर (Photo-ETV Bharat Graphic)

मंदिर का होगा कालाकल्प: उत्तराखंड सरकार में सूचना विभाग के निदेशक बंशीधर तिवारी कहते हैं कि सरकार लगातार त्रियुगीनारायण के विस्तार की योजना पर काम कर रही है. आने वाले समय में लोग वहां का कायाकल्प देखेंगे. इसका रोडमैप भी तैयार हो गया है.

तिवारी बताते हैं कि सरकार वहां रहने, खाने-पीने और शादी के लिए पूरा माहौल तैयार कर रही है. जिस तरह से बीते सालों में इस मंदिर में शादी करने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है उससे स्थानीय लोगों को भी काफी रोजगार मिला है. पीएम नरेंद्र मोदी उत्तराखंड में आकर प्रदेश को वेडिंग हब बनाने का जो मंत्र देकर गए हैं, वो सार्थक होता दिखाई दे रहा है.

Uttarakhand Wedding Destination
विकसित किए जा रहे वेडिंग डेस्टिनेशन (Photo-ETV Bharat Graphic)

स्थानीय पर्यटन को लग रहे पंख: त्रियुगीनारायण मंदिर वैवाहिक अनुष्ठान के लिए लोकप्रिय होने लगा है. यह मंदिर वेडिंग डेस्टिनेशन के साथ ही हिंदू स्वावलंबियों के आध्यात्म का केंद्र है. यहां आकर लोगों की भक्ति और विश्वास प्रगाढ़ होती है. मंदिर के चारों ओर प्राकृतिक मनोरम दृश्य नजर आते हैं. जो सैलानियों और श्रद्धालुओं को सुकून का एहसास कराती है.त्रियुगीनारायण वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विख्यात होने के जहां एक ओर पर्यटन को पंख लग रहे हैं वहीं दूसरी ओर स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी खुले हैं.

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Last Updated : May 27, 2025 at 2:47 PM IST
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