देहरादून(रोहित सोनी): उत्तराखंड सरकार आगामी चारधाम यात्रा को ग्रीन चारधाम यात्रा बनाने में जुटी हुई है. जिसके तहत, प्लास्टिक मुक्त यात्रा, साफ सफाई, शुद्ध भोजन की उपलब्धता पर जोर दिया जा रहा है. वहीं, अब अन्य राज्यों से आने वाले वाहनों से भी ग्रीन सेस वसूला जाएगा. जिससे अन्य राज्यों से आने वाले वाहनों से प्रदेश में होने वाले प्रदूषण के एवज में कुछ चार्ज लिया जा सके. दरअसल, हर साल लाखों की संख्या में अन्य राज्यों से वाहन उत्तराखंड आते हैं. यही नहीं, अकेले चारधाम यात्रा के दौरान 5 से 6 लाख वाहन चारधाम यात्रा पर जाते हैं. जिसके चलते पर्वतीय क्षेत्रों पर बढ़ते पॉल्यूशन को लेकर ग्रीन सेस काटने की प्रक्रिया अगले कुछ महीनों में शुरू हो जाएगी. आखिर क्या रहेगी इसकी प्रक्रिया? वाहनों के लिए क्या होगा निर्धारित शुल्क? देखिए ईटीवी भारत की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट
2024 में जारी हुई अधिसूचना: साल 2024 में हुए लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उत्तराखंड सरकार ने बाहरी गाड़ियों से ग्रीन सेस वसूलने संबंधित अधिसूचना जारी कर दी थी, लेकिन इसे अभी तक प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया जा सका है. परिवहन विभाग ने अन्य राज्यों से आने वाले वाहनों से टोल प्लाजा के जरिए ग्रीन सेस वसूलने का निर्णय लिया था, लेकिन विभाग ने इसमें बदलाव करते हुए इंटेलिजेंट टोलिंग सिस्टम सॉफ्टवेयर से ऑटोमेटेड व्हीकल ग्रीन सेस कलेक्शन सिस्टम पर जोर दिया है. इस प्रक्रिया के तहत उत्तराखंड में आने वाले वाहनों के फास्ट टैग वॉलेट से अपने आप पैसा कट जाएगा.
चारधाम यात्रा के दौरान शुरू होगी प्रकिया: अन्य राज्यों से उत्तराखंड में आने वाले वाहनों से ग्रीन सेस वसूलने के लिए परिवहन विभाग की ओर से प्रदेश के सभी सीमाओं पर ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (एएनपीआर) कैमरा लगाया जा चुका है. ऑटोमेटेड व्हीकल ग्रीन सेस कलेक्शन सिस्टम (एवीजीसीसीएस) के लिए परिवहन विभाग ने टेंडर भी जारी किया था. ऐसे में टेंडर के जरिए कंपनी का चयन भी कर लिया गया है. साथ ही कंपनी की ओर से एवीजीसीसीएस सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है. जिसके तैयार होने और विभागीय परीक्षण के बाद ग्रीन सेस वसूलने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी. परिवहन विभाग के अनुसार, आगामी चारधाम यात्रा के दौरान ही ग्रीन सेस वसूलने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी. यानी उत्तराखंड में दाखिल होने वाले अन्य राज्यों के वाहनों का ग्रीन सेस खुद ही कट जाएगा.

कुछ ही सेकेंड में पूरी होगी ग्रीन सेस प्रक्रिया: ग्रीन सेस को लेकर परिवहन विभाग की ओर से तैयार किए गए सिस्टम के तहत, उत्तराखंड में दाखिल होने वाले अन्य राज्यों के वाहनों की नंबर प्लेट को सॉफ्टवेयर रीड करेगा. जिसके लिए परिवहन विभाग ने प्रदेश के सभी सीमाओं पर ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (एएनपीआर) कैमरा लगाया है. यह वाहन की जानकारी के लिए नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) को रिक्वेस्ट भेज देगा. इस रिक्वेस्ट के बाद एनपीसीआई, संबंधित वाहन का फास्ट टैग वॉलेट चिह्नित कर उसके खाते से तय ग्रीन सेस की धनराशि को काट लेगा. ये पूरी प्रक्रिया कुछ सेकेंड के अंदर ही पूरी हो जाएगी.

ग्रीन सेस से उत्तराखंड को होगा डबल फायदा: वाहनों से ग्रीन सेस वसूलने की वजह है कि वाहनों से पर्यावरण पर प्रभाव पड़ता है. इसके साथ ही उत्तराखंड राज्य पर्यटन प्रदेश है जिसके चलते जितने वाहन उत्तराखंड में है उससे करीब चार गुना वाहन अन्य राज्यों से प्रदेश में आते हैं. जिनका प्रदेश के इंफ्रास्ट्रक्चर और सड़क पर दबाव पड़ता है. जिसमें चलते सड़कों को चौड़ीकरण करने की जरूरत होती है. जिसका पर्यावरण पर असर पड़ता है. ऐसे में अन्य राज्यों से उत्तराखंड आने वाले लोगों का भी इसमें योगदान हो कि वो जिस लिए उत्तराखंड आ रहे हैं वो संरक्षित रहे. कुल मिलाकर बाहरी वाहनों से ग्रीन सेस वसूलने के दो बड़े फायदे हैं. पहला राज्य को ग्रीन सेस के जरिए एक तो राजस्व मिलेगा, तो वहीं, दूसरी ओर प्रदेश में आने वाले वाहनों की भी सटीक जानकारी भी सरकार को मिल सकेगी.

ग्रीन सेस की लिये दरें निर्धारित: अन्य राज्यों से उत्तराखंड आने वाले तिपहिया वाहनों की संख्या ना के बराबर है. जिन्हें भविष्य में ग्रीन सेस से छूट दिया जा सकती है. अभी तिपहिया वाहनों के लिए 20 रुपए का शुल्क निर्धारित किया गया है. इसके अलावा, कार और छोटे वाहनों के लिए 40 रुपए का शुल्क निर्धारित किया गया है. माध्यम श्रेणी वाहनों के लिए 60 रुपए का शुल्क निर्धारित किया गया है. इसके साथ ही बड़ी गाड़ियों के लिए 80 रुपए निर्धारित किया गया है. परिवहन विभाग की ओर से तय इन दरों के अनुसार ही ग्रीन सेस, बाहरी राज्यों के वाहनों से वसूला जाएगा. ये ग्रीन सेस दरें, बाहरी राज्यों के वाहनों से एक बार उत्तराखंड में दाखिल होने के लिए निर्धारित की गई हैं.

ग्रीन सेस को लेकर क्या कहतें हैं अधिकारी: वहीं, इस पूरे मामले पर ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए संयुक्त परिवहन आयुक्त सनत कुमार सिंह ने बताया ग्रीन सेस को लेकर टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली है. साथ ही चयनित वेंडर की ओर से सॉफ्टवेयर का निर्माण किया जा रहा है, जो अंतिम चरण में है. ऐसे में सॉफ्टवेयर तैयार करने के बाद इंटीग्रेशन प्रक्रिया को किया जायेगा. जिसको पूरा करने में समय लगेगा. ऐसे में जब सॉफ्टवेयर के साथ इंटीग्रेशन की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी, उसके बाद टेस्टिंग, ट्रायल और सेफ्टी ऑडिट के बाद ग्रीन सेस वसूलना शुरू हो जाएगा. उन्होंने बताया आगामी चारधाम यात्रा के दौरान ही अन्य राज्यों के वाहनों से ग्रीन सेस लेना शुरू कर दिया जाएगा.

सनत कुमार ने कहा उत्तराखंड में रजिस्टर्ड वाहनों से ग्रीन सेस पहले से ही लिया जा रहा है. जो अन्य राज्यों के वाहन हैं उनपर भी ग्रीन सेस लगा हुआ है, लेकिन परिवहन विभाग उसे वसूल नहीं पा रहा था. सरकार का ये मानना था कि राज्य के बॉर्डर्स पर अगर वाहनों को रोककर ग्रीन सेस लेते हैं तो उससे जाम जैसी स्थिति बनने की संभावना रहेगी. इसके साथ ही इस प्रक्रिया से तमाम दिक्कतें ही उत्पन्न हो सकती थी. जिसके चलते राज सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि कोई ऐसी व्यवस्था बनाई जाए, जिसके तहत बॉर्डर्स पर वाहनों को ना रोकना पड़े और ना ही मैनपॉवर लगाने की जरूरत पड़े. जिसके चलते ऑटोमेटेड व्हीकल ग्रीन सेस कलेक्शन सिस्टम को अपनाया गया है.

वाहनों के लिए ग्रीन सेस की दरें
- तिपहिया वाहनों के लिए 20 रुपए रखा गया है.
- कार और छोटे वाहनों के लिए 40 रुपए रखा गया है.
- माध्यम वाहनों के लिए 60 रुपए रखा गया है.
- बड़े वाहनों के लिए 80 रुपए निर्धारित की गई है.
- उत्तराखंड में एक बार दाखिल होने पर तय दरों के अनुसार सेस कट जाएगा.
- इंटर स्टेट तिपहिया वाहनों का काम आवागमन होने के चलते भविष्य में तिपहिया वाहनों से हटाया जा सकता है ग्रीन सेस.
इन वाहनों को ग्रीन सेस से मिलेगी छूट
- इंटर स्टेट आवाजाही करने वाले दोपहिया वाहनों को नहीं देना होगा ग्रीनसेस.
- उत्तराखंड राज्य में पंजीकृत वाहनों के प्रवेश पर नहीं कटेगा ग्रीन सेस.
- भारत सरकार से छूट प्राप्त वाहनों से नहीं वसूला जाएगा ग्रीन सेस.
- उत्तराखंड में रजिस्टर्ड BH सीरीज नंबर प्लेट के वाहनों से नहीं कटेगा ग्रीन सेस.
इन प्रक्रियाओं के बाद शुरू होगी सेस वसूलने की प्रक्रिया
- एवीजीसीसीएस के लिए कंपनी सॉफ्टवेयर तैयार कर रही है.
- सॉफ्टवेयर तैयार होने के बाद एनपीआर, एनपीसीआई और दो बैंक से इंटीग्रेशन किया जाएगा.
- इंटीग्रेशन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद टेस्टिंग, ट्रायल और सेफ्टी ऑडिट किया जाएगा.
- यह प्रक्रियाएं अगले तीन से चार महीने में हो जाएगी पूरी.
- प्रक्रिया पूरी होने के बाद बाहरी राज्यों में रजिस्टर्ड वाहनों से कटने लगेगा ग्रीन सेस.