देहरादून: उत्तराखंड वन महकमा इनदिनों अलर्ट मोड पर हैं, इसकी वजह उत्तर प्रदेश के एक चिड़ियाघर में बाघिन की मौत है. मौत की वजह सामने आई तो सभी के पैरों तले जमीन खिसक गई. रिपोर्ट में बाघिन की मौत बर्ड फ्लू के कारण हुई थी. आंकड़ों साझा होते ही उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड समेत तमाम राज्यों के लिए एडवाइजरी जारी कर दी गई. खासकर सेंट्रल जू अथॉरिटी (CZA) ने राज्यों को इसके लिए SOP जारी की है.
बर्ड फ्लू के लिए एसओपी जारी: सेंट्रल जू अथॉरिटी (CZA) ने अगले 7 दिनों के भीतर राज्य के तमाम चिड़ियाघर समेत पार्क को लेकर रिपोर्ट मांगी है. जिसके लिए पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ कार्यालय से संबंधित अधिकारियों को दिशा निर्देश भेज दिए गए हैं. उत्तराखंड देश में तीसरा वह राज्य है जहां सबसे ज्यादा बाघ हैं, राज्य में फिलहाल 560 बाघ हैंं. इसी तरह हाथियों और तेंदुओं की भी राज्य में बड़ी संख्या है. चिड़ियाघर के अलावा कई रिजर्व पार्क भी राज्य में मौजूद हैं. शायद इसलिए वन्यजीवों को लेकर ना केवल राज्य बल्कि केंद्र सरकार भी प्रदेश को लेकर खास ध्यान रखती है.
बर्ड फ्लू बेहद तेजी से फैलने वाला वायरस है, इसलिए इसके लिए विशेष रूप से एहतियात बरती जा रही है. संबंधित अधिकारियों को SOP के लिहाज से कार्य किए जाने के लिए भी कहा गया है.
रंजन कुमार मिश्रा, पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ
वन्यजीवों को नहीं दिया जाएगा चिकन: देहरादून चिड़ियाघर में वन्यजीवों के लिए चिकन पर रोक लगा दी है. यानी अब देहरादून चिड़ियाघर में टाइगर से लेकर तेंदुए और तमाम पक्षी भी चिकन नहीं खा पाएंगे. यही नहीं ऐसे कई जरूरी दिशा निर्देश भी जारी किए गए हैं, जिसमें वन्य जीवों के बाड़े में एक्टिविटी कम किए जाने के निर्देश हुए हैं. सेंट्रल जू अथॉरिटी को चिड़ियाघर प्रबंधन की तरफ से हर दिन की स्थिति भी बतानी है और चिड़ियाघर में डीसइन्फेक्शन के लिए किए गए प्रयासों की भी जानकारी देनी है.

चिड़ियाघर कर्मचारियों को दिए ये निर्देश: चिड़ियाघर में बाहर से किसी भी घायल चिड़िया को लाने पर भी रोक लगा दी गई है. दरअसल चिड़ियाघर में बाहर घायल मिलने वाली चिड़िया को भी लाकर उपचार दिया जाता है, लेकिन अभी बर्ड फ्लू की संभावना को देखते हुए ऐसी चिड़िया को उपचार के लिए चिड़ियाघर में नहीं लाया जाएगा. चिड़ियाघर में आने वाले पर्यटकों को भी बाड़े से दूर रहकर ही वन्यजीवों को देखने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही यहां काम करने वाले कर्मचारियों को भी स्पष्ट किया गया है कि वह चिड़ियाघर आने से पहले साफ सफाई का ध्यान रखें, ताकि बाहर से बर्ड फ्लू वायरस चिड़ियाघर में दाखिल ना हो सके.

आम लोगों को भी जागरूक करने की कोशिश की जा रही है और चिड़ियाघर के स्तर पर जो जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए, उस पर भी काम करने के प्रयास हो रहे हैं.
डॉ. प्रदीप मिश्रा, पशु चिकित्सक, देहरादून चिड़ियाघर
वन विभाग के लिए राहत की खबर: उत्तराखंड के लिए राहत की बात यह है कि पशुपालन विभाग और वन विभाग द्वारा कोई भी पालतू पशु या वन्यजीव बर्ड फ्लू की शिकायत के साथ संदिग्ध नहीं पाया गया है. यानी अभी राज्य में बर्ड फ्लू का कोई केस मौजूद नहीं हैं. उधर कर्मचारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि जंगलों में गश्त के दौरान कोई पक्षी घायल या अमृत अवस्था में मिलता है तो उसे ना छुए और फॉरेन पशु चिकित्सक को इसकी जानकारी दें. इससे पहले उत्तर प्रदेश के एक चिड़ियाघर में बर्ड फ्लू के कारण बाघिन की मौत हो चुकी है. इसके बाद से ही कुछ चिड़ियाघर उत्तर प्रदेश में बंद किये जा चुके हैं. जबकि सेंट्रल जू अथॉरिटी ने भी रिपोर्ट मिलने के बाद सभी राज्यों को अलर्ट किया है.
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