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महिला के कपड़े फाड़ना, प्राइवेट पार्ट्स को हाथ लगाना रेप या रेप की कोशिश नहीं- इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम फैसला - ALLAHABAD HIGH COURT

अदालत ने गंभीर यौन हमला माना, स्पष्ट किया कि रेप या रेप की कोशिश में कौन आरोप नहीं आएंगे, दो युवकों के खिलाफ आरोपों में बदलाव किया

up allahabad high court big decision tearing girl clothes touching private parts is not rape or an attempt to rape.
इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला. (photo credit: etv bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : March 20, 2025 at 9:50 AM IST

Updated : March 20, 2025 at 11:02 AM IST

3 Min Read

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि महिला के निजी अंगों को हाथ लगाना, उसके कपड़े फाड़ना और उसे पुलिया के नीचे खींचने का प्रयास करना रेप या रेप की कोशिश के अपराध के तहत नहीं आएगा.

हाईकोर्ट ने क्या कहा: कोर्ट ने कहा कि आरोपी पवन और आकाश के खिलाफ लगाए गए आरोप और मामले के तथ्य इस मामले में रेप की कोशिश का अपराध नहीं बनाते हैं. रेप के प्रयास का आरोप लगाने के लिए अभियोजन पक्ष को यह स्थापित करना होगा कि यह तैयारी के चरण से आगे निकल गया था. अपराध करने की तैयारी और वास्तविक प्रयास के बीच का अंतर मुख्य रूप से दृढ़ संकल्प की अधिक डिग्री में निहित है. यह टिप्पणी न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र ने कासगंज के पटियाली थाने में दर्ज मामले में आकाश व दो अन्य आरोपियों की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए की है.

ये भी कहाः पुनरीक्षण याचिका में स्पेशल जज पॉक्सो एक्ट कासगंज के आदेश को चुनौती दी गई थी. कोर्ट ने स्पेशल न्यायालय के सम्मन आदेश में संशोधन करते हुए दो आरोपियों के खिलाफ आरोपों में परिवर्तन किया है। उन्हें आईपीसी की धारा 376 और पॉक्सो एक्ट की धारा 18 के तहत मुकदमे में सम्मन किया गया था। हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपियों पर धारा 354-बी आईपीसी (कपड़े उतारने के इरादे से हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) के आरोप के साथ पॉक्सो एक्ट की धारा 9/10 (गंभीर यौन हमला) के तहत मुकदमा चलाया जाए।

रेप की कोशिश का अपराध नहीं बनताः हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपियों पर लगाए गए आरोप और मामले के तथ्यों के आधार पर इस मामले में रेप की कोशिश का अपराध नहीं बनता. इसकी बजाय उन्हें आईपीसी की धारा 354 (बी) यानी पीड़िता को निर्वस्त्र करने या उसे निर्वस्त्र होने के लिए मजबूर करने के इरादे से हमला या दुर्व्यवहार करने और पॉक्सो एक्ट की धारा 9 (एम) के तहत आरोप के तहत तलब किया जा सकता है.

क्या आरोप थाः मामले में अभियोजन पक्ष के अनुसार आरोपियों (पवन और आकाश) ने 11 वर्षीय पीड़िता के निजी अंगों को हाथ लगाया और आकाश ने उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ दिया एवं उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश की. हालांकि इस बीच राहगीरों/गवाहों के हस्तक्षेप के कारण आरोपी पीड़िता को छोड़कर मौके से भाग गए। संबंधित ट्रायल कोर्ट ने इसे पॉक्सो एक्ट के दायरे में रेप की कोशिश या यौन उत्पीड़न के प्रयास का मामला पाते हुए एक्ट की धारा 18 (अपराध करने का प्रयास) के साथ आईपीसी की धारा 376 को लागू किया और इन धाराओं के तहत सम्मान आदेश किया.


सम्मन आदेश को चुनौती देते हुए पुनरीक्षण याचिका में मुख्य रूप से यह तर्क दिया गया कि यदि शिकायत पर गौर किया जाए तो भी आईपीसी की धारा 376 के तहत कोई अपराध नहीं किया गया। यह मामला आईपीसी की धारा 354, 354 (बी) और पॉक्सो एक्ट के प्रासंगिक प्रावधानों की सीमा से आगे नहीं जाता है.


प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि महिला के निजी अंगों को हाथ लगाना, उसके कपड़े फाड़ना और उसे पुलिया के नीचे खींचने का प्रयास करना रेप या रेप की कोशिश के अपराध के तहत नहीं आएगा.

हाईकोर्ट ने क्या कहा: कोर्ट ने कहा कि आरोपी पवन और आकाश के खिलाफ लगाए गए आरोप और मामले के तथ्य इस मामले में रेप की कोशिश का अपराध नहीं बनाते हैं. रेप के प्रयास का आरोप लगाने के लिए अभियोजन पक्ष को यह स्थापित करना होगा कि यह तैयारी के चरण से आगे निकल गया था. अपराध करने की तैयारी और वास्तविक प्रयास के बीच का अंतर मुख्य रूप से दृढ़ संकल्प की अधिक डिग्री में निहित है. यह टिप्पणी न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र ने कासगंज के पटियाली थाने में दर्ज मामले में आकाश व दो अन्य आरोपियों की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए की है.

ये भी कहाः पुनरीक्षण याचिका में स्पेशल जज पॉक्सो एक्ट कासगंज के आदेश को चुनौती दी गई थी. कोर्ट ने स्पेशल न्यायालय के सम्मन आदेश में संशोधन करते हुए दो आरोपियों के खिलाफ आरोपों में परिवर्तन किया है। उन्हें आईपीसी की धारा 376 और पॉक्सो एक्ट की धारा 18 के तहत मुकदमे में सम्मन किया गया था। हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपियों पर धारा 354-बी आईपीसी (कपड़े उतारने के इरादे से हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) के आरोप के साथ पॉक्सो एक्ट की धारा 9/10 (गंभीर यौन हमला) के तहत मुकदमा चलाया जाए।

रेप की कोशिश का अपराध नहीं बनताः हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपियों पर लगाए गए आरोप और मामले के तथ्यों के आधार पर इस मामले में रेप की कोशिश का अपराध नहीं बनता. इसकी बजाय उन्हें आईपीसी की धारा 354 (बी) यानी पीड़िता को निर्वस्त्र करने या उसे निर्वस्त्र होने के लिए मजबूर करने के इरादे से हमला या दुर्व्यवहार करने और पॉक्सो एक्ट की धारा 9 (एम) के तहत आरोप के तहत तलब किया जा सकता है.

क्या आरोप थाः मामले में अभियोजन पक्ष के अनुसार आरोपियों (पवन और आकाश) ने 11 वर्षीय पीड़िता के निजी अंगों को हाथ लगाया और आकाश ने उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ दिया एवं उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश की. हालांकि इस बीच राहगीरों/गवाहों के हस्तक्षेप के कारण आरोपी पीड़िता को छोड़कर मौके से भाग गए। संबंधित ट्रायल कोर्ट ने इसे पॉक्सो एक्ट के दायरे में रेप की कोशिश या यौन उत्पीड़न के प्रयास का मामला पाते हुए एक्ट की धारा 18 (अपराध करने का प्रयास) के साथ आईपीसी की धारा 376 को लागू किया और इन धाराओं के तहत सम्मान आदेश किया.


सम्मन आदेश को चुनौती देते हुए पुनरीक्षण याचिका में मुख्य रूप से यह तर्क दिया गया कि यदि शिकायत पर गौर किया जाए तो भी आईपीसी की धारा 376 के तहत कोई अपराध नहीं किया गया। यह मामला आईपीसी की धारा 354, 354 (बी) और पॉक्सो एक्ट के प्रासंगिक प्रावधानों की सीमा से आगे नहीं जाता है.


Last Updated : March 20, 2025 at 11:02 AM IST
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