सिरसी (उत्तर कन्नड़): कर्नाटक में दो दिन पहले घोषित किए गए पीयूसी (प्री यूनिवर्सिटी कोर्स) के नतीजे में हर जगह रैंक को लेकर चर्चा की हो रही है.
हुआ यूं कि उत्तर कन्नड़ जिले के सिरसी के एक प्रसिद्ध डॉक्टर दंपत्ती के जुड़वां बच्चों ने राज्य स्तर पर छठा स्थान हासिल किया है. डॉ. दिनेश हेगड़े और डॉ. सुमन हेगड़े के जुड़वां बेटे और बेटी ने पीयूसी में राज्य स्तर पर छठा रैंक प्राप्त किया है. खास बात यह है कि दक्ष (पुत्र) और रक्षा (पुत्री) ने 600 में से 594 अंक प्राप्त कर 99 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं.
मूल रूप से सिरसी की रहने वाले ये दोनों स्टूडेंट बेंगलुरु के दीक्षा कॉलेज में पढ़ रहे थे. एग्जाम में दक्ष ने चार विषयों में 100 प्रतिशत अंक प्राप्त किए, जबकि रक्षा ने दो विषयों में 100 प्रतिशत अंक प्राप्त किए. हालांकि, यह आश्चर्यजनक है कि दोनों के अंक समान हैं.
दक्ष ने अंग्रेजी में 95, संस्कृत में 100, भौतिक विज्ञान में 100, रसायन विज्ञान में 99, गणित में 100 और जीव विज्ञान में 100 अंक प्राप्त किए. वहीं रक्षा ने अंग्रेजी में 99, संस्कृत में 100, भौतिक विज्ञान में 97, रसायन विज्ञान में 99, गणित में 100 और कंप्यूटर विज्ञान में 99 अंक प्राप्त किए.
दोनों स्टूडेंट ने अपने भविष्य के लिए बेंगलुरु में अपनी पढ़ाई जारी रखी है. रिजल्ट आने के बाद इनकी मां डॉ. सुमन हेगड़े, जो सिरसी में डॉक्टर हैं, ने खुशी जाहिर की है.
बच्चों की उपलब्धि पर उन्होंने कहा, "हमारे दोनों जुड़वा बच्चों ने समान अंक प्राप्त किए हैं और राज्य में छठा स्थान प्राप्त किया है. उन्होंने कहा कि खुशी के साथ-साथ हमें यह बहुत खास भी लगा. बच्चों की इस उपलब्धि के पीछे उनकी बहुत मेहनत है."
उन्होंने बताया कि बच्चों ने सिरसी में एसएसएलसी तक की पढ़ाई की और बेंगलुरु में एक छात्रावास में रहकर पीयूसी की पढ़ाई की. वहीं रहकर उन्होंने यह उपलब्धि हासिल की.
उन्होंने बताया, "जब वे दोनों करीब 3 साल के थे तब उन्हें टीवी की लत लग गई थी. वे टीवी से दूर नहीं रह सकते थे. ऐसे में मैंने रातों-रात टीवी बंद कर दिया और उनके सामने किताबें रख दीं, ताकि उनका भविष्य बर्बाद न हो. बच्चे वही करते हैं जो हम उनके सामने रखते हैं. यह हमारे लिए बिल्कुल सही रहा." हालांकि शुरू में वे इस लत से बाहर नहीं निकल पाए. हमें बहुत परेशानी हुई. लेकिन फिर उनकी इसकी आदत हो गई. इसके लिए हमें उनके लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था करनी पड़ी. इसलिए, मैं किसी भी शहर में जाकर उनके लिए किताबें लाती थी. मैं खेलने के लिए खिलौने लाती थी. माता-पिता को अपने बच्चों को जितना संभव हो उतना क्वालिटी टाइम देना चाहिए.
उन्होंने सलाह दी कि मैं न केवल उन्हें पढ़ाऊंगी, बल्कि उनसे सीखूंगी भी. उस समय किए गए बदलाव के प्रयास आज अच्छे परिणाम दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि बच्चों को मोबाइल फोन से दूर रहना चाहिए और किताबें, विभिन्न शौक और खेलकूद में शामिल होना चाहिए.
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