भुवनेश्वर: ओडिशा के भुवनेश्वर में पुलिस ने फर्जी नौकरी रैकेट चलाने वाले तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. आरोप है कि ये विदेश में रोजगार के अवसर प्रदान करने के बहाने युवाओं को ठग रहे थे.
पुलिस के मुताबिक, मास्टर कैंटीन स्थित एक होटल में सोमवार को फर्जी भर्ती मेला चल रहा था. सूचना मिलने पर श्रम नियोजन विभाग और पुलिस ने छापेमारी की. इस दौरान तीन जालसाजों को गिरफ्तार किया गया. पुलिस ने मौके से कई कागजात और फर्जी ऑफर लेटर जब्त किए.
पुलिस के मुताबिक, विदेश भेजने के नाम पर भोले-भाले 10वीं फेल लोगों को मोटी तनख्वाह वाली नौकरी का लालच देकर भर्ती मेले में फंसाया जा रहा था. आरोपी प्रति व्यक्ति 75 हजार रुपये कमीशन लेकर फर्जीवाड़ा करने की कोशिश में थे, लेकिन इस धोखाधड़ी का भंडाफोड़ कर दिया.

जालसाजों ने सोशल मीडिया पर विज्ञापन देकर वेल्डिंग मैकेनिक, गेटकीपर, सुपरवाइजर, कुक, स्टोर कीपर, बढ़ई जैसे कई पदों के लिए भर्ती चयन प्रक्रिया की जानकारी दी थी. विज्ञापन में डेढ़ लाख से दो लाख रुपये प्रतिमाह वेतन का वादा किया गया था और होटल में 10वीं फेल लोगों को चयन प्रक्रिया के लिए आमंत्रित किया गया था.
सोशल मीडिया पर विज्ञापन को देखने के बाद सोमवार को बहुत से युवा बेरोजगार भुवनेश्वर के एक होटल में पहुंच थें. युवाओं से पांच हजार रुपये एडवांस लिए गए थे और बाद में नियुक्ति पत्र देकर प्रति व्यक्ति 70 हजार रुपये देने का कहा गया.

विज्ञापनों के आधार पर होटल में लगी भीड़
कुछ बैनर, पोस्टर और विज्ञापनों के आधार पर होटल में भीड़ लग गई थी. विदेश में रोजगार के लिए युवाओं का चयन किया जा रहा है, यह जानकारी श्रम निदेशालय तक पहुंची. इसके बाद इमिग्रेशन की एक टीम ने आकर जांच की और पाया कि इस तरह के फर्जी रोजगार मेले के माध्यम से युवाओं को विदेश में काम दिलाने के लिए ठगा जा रहा था. इसके लिए सरकार से कोई अनुमति नहीं ली गई थी या ऐसी किसी भी सरकारी अनुमति के नियमों या अनुमति का पालन नहीं किया गया है. इमिग्रेशन टीम ने स्थानीय पुलिस को सूचित किया. पुलिस टीम भी होटल पहुंची और मौके से तीन आरोपियों को पकड़ा गया.

कमीशन के आधार पर चयन
जांच के दौरान पता चला कि इन लोगों ने कमीशन के आधार पर लोगों का चयन किया था और उनकी ओर से फर्जी नियुक्तियां करवाई थीं. इस संबंध में श्रम भर्ती अधिकारी की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. इनमें एक मुंबई में रहने वाला बाबूला हरिगोड़ शामिल है. इसी तरह अन्य दो लोग महेश रामचंद्र लोखंडे और किरण शशिकांत घुमरे भी महाराष्ट्र के रहने वाले हैं.
पुलिस ने बड़ी धोखाधड़ी को समय रहते रोका...
इस संबंध में भुवनेश्वर के डीसीपी जगमोहन मीणा ने कहा कि पुलिस ने सही समय पर हस्तक्षेप किया और बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी को रोका गया. उन्होंने कहा कि युवाओं ने शुरू में फर्जी नियुक्तियों के लिए 5000 रुपये दिए थे और फिर प्रति व्यक्ति 70 हजार रुपये लेते. इसलिए हमने इस घटना को बड़ा घोटाला बनने से पहले ही पकड़ लिया.
डीसीपी ने कहा कि हम यह पता लगाने के लिए जांच कर रहे हैं कि क्या आरोपियों ने पहले भी फर्जी भर्ती के नाम पर धोखाधड़ी की है. हमें उनके पास से युवाओं के कुछ बायोडाटा भी मिले हैं. हमें कुछ जाली रोजगार पत्र भी मिले हैं. बाद में जब उनके वित्तीय लेन-देन की जांच की गई तो पता चला कि उन्होंने कुछ पैसे कहां से लिए थे.
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