बेंगलुरु: फर्जी कोर्ट के आदेश बनाकर बैंक से 1.32 करोड़ रुपये धोखाधड़ी करने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इस संबंध में बेंगलुरु की साइबर अपराध पुलिस ने उत्तर भारतीय मूल के तीन व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है. ये लोगों ने सरकारी अधिकारी बनकर 18 फर्जी अदालती आदेश बनाकर ठगी की.
पुलिस सूत्रों के अनुसार, आरोपियों ने आईसीआईसीआई बैंक की हलासुरु शाखा को निशाना बनाकर धोखाधड़ी की योजना बनाई. इसमें बैंक मैनेजर की शिकायत के बाद मामला दर्ज किया गया.मामले में आरोपियों ने सरकारी अधिकारी बनकर सरकारी ईमेल आईडी हासिल की. इसके बाद आरोपियों ने कथित तौर पर जाली कोर्ट आदेश बनाकर उन्हें फर्जी सरकारी ईमेल आईडी के जरिए बैंक को भेजा गया. वहीं वैधता का भ्रम पैदा करने के लिए इन लोगों ने स्वयं को लोक सेवक बताते हुए कर्नाटक राज्यव्यापी क्षेत्र नेटवर्क (K-SWAN) के जरिए सरकारी ईमेल के लिए आवेदन किया था.
आरोपियों में दिल्ली के अभिमन्यु कुमार पांडे और नीरज सिंह के अलावा राजस्थान के सागर लखूर में से एक ने बैंक खाता खोला, दूसरे ने जाली हस्ताक्षर और मुहरों का प्रबंध किया. वहीं तीसरे ने दस्तावेजीकरण का काम संभाला.
इसके बाद आरोपियों ने कथित तौर पर जाली कोर्ट आदेश बनाकर उन्हें फर्जी सरकारी ईमेल आईडी के जरिए बैंक को भेजा गया. वहीं वैधता का भ्रम पैदा करने के लिए इन लोगों ने स्वयं को लोक सेवक बताते हुए कर्नाटक राज्यव्यापी क्षेत्र नेटवर्क (K-SWAN) के जरिए सरकारी ईमेल के लिए आवेदन किया था.
आरोपियों में दिल्ली के अभिमन्यु कुमार पांडे और नीरज सिंह के अलावा राजस्थान के सागर लखूर में से एक ने बैंक खाता खोला, दूसरे ने जाली हस्ताक्षर और मुहरों का प्रबंध किया. वहीं तीसरे ने दस्तावेजीकरण का काम संभाला.
मुख्य आरोपी पहले बैंकिंग क्षेत्र में काम करता था
मुख्य आरोपी सागर लखूर पहले राजस्थान में एक्सिस बैंक की एक शाखा में सेल्स एक्जीक्यूटिव के रूप में काम करता था. उसके बैंकिंग अनुभव ने उन्हें खातों को खोलने की आंतरिक प्रक्रिया को समझने में मदद की. हालांकि इससे पहले, उन्हें इलाहाबाद पुलिस ने ऑनलाइन क्रिकेट सट्टेबाजी में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया था. जमानत मिलने के बाद सागर को पता चला कि बेंगलुरु में आईसीआईसीआई बैंक के खाते में 1.32 करोड़ रुपए जमा हैं. इसके बाद उसने धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए अपने साथियों को शामिल किया.
ईमेल पर 18 फर्जी अदालती आदेश भेजे गए
गिरोह ने फरवरी से अब तक बैंक को 18 फर्जी अदालती आदेश सावधानीपूर्वक बनाकर भेजे. प्रत्येक आदेश में रोके गए धन को जारी करने का अनुरोध किया गया था और इसके बाद सरकारी अधिकारियों के नाम से फोन कॉल किए गए.
चूंकि संपर्क नंबर फर्जी दस्तावेजों में दिए गए नंबरों से मेल खाते थे, इसलिए बैंक अधिकारियों को यह विश्वास हो गया कि आदेश वैध थे, और अंततः आरोपियों के खातों में 1.32 करोड़ रुपये स्थानांतरित कर दिए गए.
जांच और गिरफ्तारी
बाद में संदेह होने पर बैंक ने शिकायत दर्ज कराई. मामले में इंस्पेक्टर हजरेश के नेतृत्व में एक विशेष टीम ने जांच शुरू की और आरोपियों को ट्रैक किया. साथ ही पुलिस ने उनके खातों से 63 लाख रुपये जब्त किए.
विलासिता और मनोरंजन पर 38 लाख रुपये खर्च
पूछताछ के दौरान पता चला कि अभिमन्यु ने पैसे प्राप्त किए थे, जिन्हें बाद में आंशिक रूप से नीरज और सागर को हस्तांतरित किया गया था. सागर ने कैसीनो और पब में मनोरंजन पर 38 लाख रुपये खर्च करने की बात स्वीकार की. साइबर अपराध पुलिस ने पुष्टि की है कि मामले की गहराई से जांच कर रही है कि कहीं इस मामले में कोई और व्यक्ति तो शामिल नहीं था.
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