तिरुपति: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चेयरमैन डॉ. एस सोमनाथ ने चंद्रयान-4 मिशन को लेकर खास जानकारी दी है. आंध्र प्रदेश के तिरुपति मे मोहन बाबू विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ISRO के चेयरमैन ने कहा कि चंद्रयान-4 मिशन एक ऐसा कॉन्सेप्ट है, जो चंद्रयान सीरीज की अगली कड़ी के तहत डेवलप कर रहे हैं. सोमनाथ ने कहा कि स्पेस रिसर्च एक कंटीन्यूअस प्रोसेस है. भारत इस डायरेक्शन में तेजी से आगे बढ़ रहा है.
सतीश धवन अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र और राष्ट्रीय वायुमंडलीय अनुसंधान संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस समारोह को संबोधित करते हुए डॉ. एस सोमनाथ ने कहा कि हम 2040 तक चांद पर कदम रखना चाहते हैं.
इसरो के चेयरमैन डॉ. सोमनाथ ने कहा कि हमारे देश के प्रधानमंत्री मोदी चंद्रयान-3 की प्रेरणा से 2040 तक चांद पर कदम रखना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि पिछले साल 23 अगस्त को चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण को करीब 7 लाख लोगों ने सिर्फ यूट्यूब के जरिए देखा था और लाखों लोगों ने स्कूलों, विश्वविद्यालयों, ग्रामीण और शहरी इलाकों में स्ट्रीमिंग के जरिए इसे अप्रत्यक्ष रूप से देखा था.
केवल देश की आम जनता ही नहीं चंद्रयान-03 के प्रक्षेपण के दौरान पीएम मोदी ने भी ब्रिक्स की बहुत महत्वपूर्ण बैठकों के बीच लाइव भी देखा था. उन्होंने कहा कि प्रक्षेपण से पहले और इसकी सफलता के बाद पीएम द्वारा दी गई प्रेरणा ने उन्हें बहुत ताकत दी. उन्होंने याद किया कि जब प्रधानमंत्री बैठक के बाद चंद्रयान-3 की टीम से मिलने आए और उन्हें बधाई दी तो उन्हें बहुत खुशी हुई थी.
सोमनाथ ने कहा कि हमने जो चंद्रयान-3 भेजा था, वह अमेरिका और रूस जैसे देशों द्वारा अब तक किए गए प्रयोगों से एकदम अलग था. ISRO ने चंद्रयान-3 को चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से के करीब भेजा था.
डॉ. एस सोमनाथ ने मोहन बाबू विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करने के बाद छात्रों के साथ एक इंटरव्यू में भी हिस्सा लिया. उन्होंने कहा कि उन्हें एक बात का दुख हमेशा रहेगा कि उन्हें डॉ. कलाम के साथ काम करने का मौका नहीं मिला, जिनसे उन्हें प्रेरणा मिली थी.