देहरादून (किरणकांत शर्मा): पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड में इन दिनों मौसम का अलग ही मिजाज देखने को मिल रहा है. एक तरफ जहां चारधाम में बर्फबारी से लोगों को जून में ही ठंड का एहसास दिला दिया, तो वहीं निचले इलाकों में सूरज के तेवर ने लोगों को परेशान कर रखा है. उत्तराखंड के अधिकतर जिलों में जिस तरह तापमान ने अचानक से उछाल मारा है, उसने सबको हैरान कर दिया है. हालांकि, गर्मी अभी भी पिछले साल का रिकॉर्ड नहीं तोड़ पाई है.
उत्तराखंड में जहां पर्वतीय जनपदों टिहरी गढ़वाल, पौड़ी गढ़वाल, देहरादून और तराई के हरिद्वार व उधम सिंह नगर जैसे जिले गर्मी से जल रहे हैं, तो वहीं चारधाम यात्रा पर गए श्रद्धालुओं को अचानक से बर्फबारी देखने के लिए मिल रही है. मौसम में आए इस परिवर्तन पर वैज्ञानिकों की भी नजर है.
कहीं गर्मी, तो कहीं बर्फबारी: उत्तराखंड के कई जिले गर्मी की वजह से जल रहे हैं. सूरज की तपिश इतनी तेज है कि लोग घरों से बाहर निकलने की हिम्मत भी नहीं कर पा रहे हैं. हालांकि, बीते दिनों मौसम ऐसा नहीं था.

पांच जून से पहले चल रही थी ठंडी हवाएं: उत्तराखंड में 5 जून तक मौसम ऐसा था कि मैदान से लेकर पहाड़ तक ठंडी हवाएं चल रही थी. फिर 6 और 7 जून को कुछ इलाकों में बारिश हुई. बारिश के बाद माना जा रहा था कि तापमान में गिरावट आएगी, लेकिन हुआ इसके उल्टा. निचले इलाकों में 8 और 9 जून को भयानक गर्मी का प्रकोप देखा गया. हालांकि, उच्च हिमालयी क्षेत्रों में मौसम खुशनुमा रहा और हल्की बारिश व बर्फबारी भी देखने को मिली. मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो आने वाले दो दिनों के बाद प्रदेश के कुछ इलाके बारिश से बेहाल हो सकते हैं. यानी कुछ इलाकों में जोरदार बारिश देखने को मिल सकती है.

12 जून के बाद उत्तराखंड में अचानक बदलेगा मौसम: मौसम विभाग की मानें तो जल्द ही उत्तराखंड में मॉनसून दस्तक देने वाला है. इस बार मॉनसून का ज्यादा असर कुमाऊं और नेपाल के इलाके में ज्यादा देखने को मिलेगा, यानी इन इलाकों में ज्यादा बारिश होगी. खासकर उत्तराखंड के पिथौरागढ़, अल्मोड़ा और बागेश्वर जिले इस बारिश से अत्यधिक प्रभावित हो सकते हैं. 12 जून को जिस तरह की तेज बारिश का अनुमान कुमाऊं में लगाया गया है, उतनी ज्यादा बारिश गढ़वाल में देखने को नहीं मिलेगी. इस बारिश से तापमान में भी गिरावट आएगी और लोगों को गर्मी से राहत भी मिलेगी.

2000 मीटर से अधिक ऊंचाई पर जानें कैसा है मौसम: उत्तराखंड में 2000 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में अधिकतम तापमान 26 डिग्री के आसपास जा रहा है. जबकि निचले इलाकों में टेंपरेचर 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास दर्ज किया गया है. वैसे पिछले साल के मुकाबले इस बार अधिकतम तापमान तीन डिग्री सेल्सियस कम ही दर्ज किया है. बीते साल 2024 में अधिकतम तापमान 43 डिग्री तक गया था.
बीते कुछ सालों के तापमान पर एक नजर:
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पिछले साल रहा ऐसा हाल: वहीं, साल 2024 में भी हालात कुछ ऐसे ही थे. हरिद्वार की बात करें तो 17 जून 2024 को अधिकतम तापमान 46 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो उस वर्ष का उच्चतम था. इसी तरह रुड़की में 17 जून 2024 को तापमान 44 डिग्री सेल्सियस. ऋषिकेश में 17 जून 2024 को तापमान 44 डिग्री सेल्सियस.
- हल्द्वानी में 17 जून 2024 को तापमान 42 डिग्री सेल्सियस.
- उधम सिंह नगर में 17 जून 2024 को तापमान 41 डिग्री सेल्सियस.
- नैनीताल में 17 जून 2024 को तापमान 31 डिग्री सेल्सियस.
- हैरानी की बात उस वक्त ये हुई थी कि पर्वतीय क्षेत्र (श्रीनगर, देवप्रयाग, रुद्रप्रयाग) में भी जून 2024 में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहा, जो असामान्य था.
- पंतनगर में मई-जून में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहा.
2025 में जून का तापमान:
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क्यों हुए ऐसे हालात: पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड में इस तरह के हालात कैसे और क्यों बने, इस सवाल पर पर्यावरणविद् राजीव नयन बहुगुणा कहते हैं कि, आज से 30 साल पहले गर्मी क्या होती है, पहाड़ के लोग ये जानते भी नहीं थे. पहाड़ी जिलों में तो 12 महीने सर्दी का एहसास रहता था. उनका मानना है कि पहाड़ों पर लग रहे बड़े बड़े प्रोजेक्ट भी यहां गर्मी बढ़ने की एक बड़ी वजह हैं.

पहाड़ों पर ऐसी गर्मी ठीक नहीं: वहीं, उत्तराखंड मौसम केंद्र के निर्देशक विक्रम सिंह कहते हैं कि अत्यधिक गर्मी पहाड़ों पर ग्लेशियर के लिहाज से ठीक नहीं है. अगर पहाड़ों पर टेंपरेचर बढ़ेगा तो इसका असर सीधे-सीधे ग्लेशियर पर पड़ता है. ग्लेशियर लगातार तेजी से पिघलते हैं.

बदले मौसम पर एक्सपर्ट की राय: दरसअल, पहाड़ों को लेकर अकसर ऐसा कहा जाता है कि यहां हमेशा मौसम ठंडा ही रहा करता है. लेकिन हाल के कुछ सालों में मौसम में हुए बदलाव के कारण जानने के लिए ईटीवी भारत ने वरिष्ठ वैज्ञानिक बीडी जोशी से बात की. उत्तराखंड में मौसम में हो रहे इस परिवर्तन को लेकर वैज्ञानिक बीडी जोशी का कहना है कि पहाड़ पर हर जगह हमेशी ठंड हो, ऐसा नहीं होता. भारत में ही बहुत सी जगह हैं, जहां पहाड़ 12 महीने गर्म रहते हैं.
...तो क्या अब ठंडे नहीं रहेंगे पहाड़? इस सवाल पर बीडी जोशी बताते हैं कि, उत्तराखंड या पूरे हिमालय क्षेत्र में देखें तो जिन जगहों पर आज से 20-30 साल पहले बर्फ पड़ती थी, वहां पर अब बर्फ नहीं पड़ रही है. क्योंकि वहां का तापमान उसके अनुकूल नहीं रहा. इसका मुख्य कारण लोगों की भीड़, शहरीकरण और उससे उत्पन्न हो रही ग्लोबल वार्मिंग है.

पहाड़ों पर गर्मी बढ़ने की मुख्य वजह:
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उन्होंने याद दिलाया कि, कुछ साल पहले तक उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल और टिहरी गढ़वाल शहर में बर्फबारी हो जाती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं होता. हमें यह समझना होगा कि अगर यही हालात रहे तो जो बर्फबारी केदारनाथ और बदरीनाथ जैसे इलाकों में होती है, उनसे भी हम वंचित हो जाएंगे.
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