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हैदराबाद में भारत शिखर सम्मेलन, राहुल गांधी करेंगे शिरकत, 95 से अधिक देशों की होगी भागीदारी - BHARAT SUMMIT

'राजनीति की अपेक्षा लोगों और प्रगति को प्राथमिकता...' विषय पर तेलंगाना में भारत शिखर सम्मेलन का आयोजन.

RAHUL GANDHI.
राहुल गांधी. (फाइल फोटो) (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : April 23, 2025 at 8:13 PM IST

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हैदराबाद: तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में 25 और 26 अप्रैल को 'भारत शिखर सम्मेलन' का आयोजन किया जाएगा. सम्मेलन में 'राजनीति के बजाय लोगों और प्रगति को प्राथमिकता' विषय पर चर्चा की जाएगी. कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे 25 और 26 अप्रैल को शिखर सम्मेलन को संबोधित करेंगे. दोनों दिन पूर्ण अधिवेशन और बंद कमरे में विचार-विमर्श होगा.

भारत शिखर सम्मेलन में तेलंगाना की सर्वोत्तम प्रथाओं के माध्यम से विकास और कल्याण में सामंजस्य स्थापित करने की क्षमता को उजागर किया जाएगा. 95 से अधिक देशों के 350 प्रतिनिधियों की मेजबानी करते हुए, शिखर सम्मेलन में वैश्विक हितधारकों के साथ राजनीतिक समझ को बढ़ावा देते हुए तेलंगाना की विकास पहलों को प्रदर्शित किया जाएगा. 160 राजनीतिक पदाधिकारियों और 25 थिंक टैंकों को शामिल करके, राज्य लोकतंत्र और न्याय में निहित अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए एक नई वास्तुकला का निर्माण कर रहा है.

शिखर सम्मेलन में किन बिंदुओं पर चर्चा होगी और इससे क्या फायदे होंगे, एक नजर

  1. राज्य-नेतृत्व वाली कूटनीति : बदलती हुई नई वैश्विक परिस्थितियों में कोई भी देश किस तरह से अपनी भूमिका निभा सकता है, इस पर चर्चा की जाएगी. क्या अंतरराष्ट्रीय संबंधों को नए सिरे से परिभाषित किए जाने की जरूर है, इस पर विचार किया जाएगा. अंतरराष्ट्रीय नेतृत्व में भारत अपनी भूमिका को किस तरह से आगे बढ़ा सकता है, इस पर विस्तार से बहस होगी.
  2. संस्थागत प्रभाव : अलग-अलग विश्वविद्यालयों और थिंक टैंक समूहों के साथ किस तरह से दीर्घकालिक साझेदारी विकसित की जा सकती है, इस में भी चर्चा में शामिल किया गया है. इनके साथ होने वाली साझेदारी से दीर्घकालिक राजनीतिक और विकासात्मक सहयोग सुनिश्चित किया जा सकता है.
  3. उद्देश्यपूर्ण विकास: इस विषय को लेकर तेलंगाना ने जिस पहल की शुरुआत की है, वह वैश्विक न्याय के अनुरूप है और इससे नागरिकों और वैश्विक समुदाय दोनों को लाभ होगा.
  4. वैश्विक ज्ञान नेटवर्क: आयोजनकर्ताओं का कहना है कि प्रवासी समुदाय और थिंक टैंकों को शामिल करने से इनोवेशन को बढ़ावा मिलता है. उनका ये भी मानना है कि इस कदम से तेलंगाना का प्रभाव वैश्विक स्तर पर बढ़ेगा.
  5. वैश्विक तनाव में कमी: एक दूसरे से शिक्षा प्राप्त करके तेलंगाना शांति और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए लोगों के बीच संबंधों को बढ़ावा देता है.
  6. सीमाओं से परे: भारत शिखर सम्मेलन 100 से अधिक देशों के साथ राजनीतिक संबंधों को बढ़ावा देने का उद्देश्य रखता है, तथा सतत अंतरराष्ट्रीय साझेदारी के लिए एक मंच तैयार करता है.
  7. विविध हितधारक: आयोजनकर्ताओं का मानना है कि इस तरह के आयोजन से और नीति निर्माताओं, शिक्षाविदों, प्रवासी नेताओं और कार्यकर्ताओं को शामिल करने से लोकतंत्र, बहुलवाद और न्याय के लिए समावेशी संवाद सुनिश्चित होता है.
  8. आर्थिक और सामाजिक प्रगति: तेलंगाना ने पिछड़े वर्गों के कल्याण और आर्थिक विकास के बीच संतुलन स्थापित किया है, तथा शिखर सम्मेलन में सुशासन का प्रदर्शन किया है.
  9. जलवायु और सामाजिक न्याय: ध्रुवीकरण को संबोधित करना और जलवायु न्याय में तेजी लाना तेलंगाना को वैश्विक नीति में एक विचार नेता के रूप में स्थापित करता है.
  10. लोगों के बीच संबंध: शिखर सम्मेलन तनाव कम करने और सहयोगात्मक वैश्विक नेटवर्क बनाने के लिए सीमा पार शिक्षा को बढ़ावा देता है.

तेलंगाना का दृष्टिकोण- ध्रुवीकरण, जलवायु न्याय और सामाजिक समानता को संबोधित करना-दर्शाता है कि राज्य वैश्विक चुनौतियों पर कैसे नेतृत्व कर सकते हैं. अशांत समय में दूसरों के लिए अनुसरण करने का खाका पेश कर सकते हैं. बढ़ती वैश्विक चुनौतियों-आर्थिक मंदी, सामाजिक असमानता और जलवायु संकट- के युग में दुनिया को दूरदर्शिता और सहयोग पर आधारित राजनीति और प्रशासन की सख्त जरूरत है.

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भारत शिखर सम्मेलन में तेलंगाना की सर्वोत्तम प्रथाओं के माध्यम से विकास और कल्याण में सामंजस्य स्थापित करने की क्षमता को उजागर किया जाएगा. 95 से अधिक देशों के 350 प्रतिनिधियों की मेजबानी करते हुए, शिखर सम्मेलन में वैश्विक हितधारकों के साथ राजनीतिक समझ को बढ़ावा देते हुए तेलंगाना की विकास पहलों को प्रदर्शित किया जाएगा. 160 राजनीतिक पदाधिकारियों और 25 थिंक टैंकों को शामिल करके, राज्य लोकतंत्र और न्याय में निहित अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए एक नई वास्तुकला का निर्माण कर रहा है.

शिखर सम्मेलन में किन बिंदुओं पर चर्चा होगी और इससे क्या फायदे होंगे, एक नजर

  1. राज्य-नेतृत्व वाली कूटनीति : बदलती हुई नई वैश्विक परिस्थितियों में कोई भी देश किस तरह से अपनी भूमिका निभा सकता है, इस पर चर्चा की जाएगी. क्या अंतरराष्ट्रीय संबंधों को नए सिरे से परिभाषित किए जाने की जरूर है, इस पर विचार किया जाएगा. अंतरराष्ट्रीय नेतृत्व में भारत अपनी भूमिका को किस तरह से आगे बढ़ा सकता है, इस पर विस्तार से बहस होगी.
  2. संस्थागत प्रभाव : अलग-अलग विश्वविद्यालयों और थिंक टैंक समूहों के साथ किस तरह से दीर्घकालिक साझेदारी विकसित की जा सकती है, इस में भी चर्चा में शामिल किया गया है. इनके साथ होने वाली साझेदारी से दीर्घकालिक राजनीतिक और विकासात्मक सहयोग सुनिश्चित किया जा सकता है.
  3. उद्देश्यपूर्ण विकास: इस विषय को लेकर तेलंगाना ने जिस पहल की शुरुआत की है, वह वैश्विक न्याय के अनुरूप है और इससे नागरिकों और वैश्विक समुदाय दोनों को लाभ होगा.
  4. वैश्विक ज्ञान नेटवर्क: आयोजनकर्ताओं का कहना है कि प्रवासी समुदाय और थिंक टैंकों को शामिल करने से इनोवेशन को बढ़ावा मिलता है. उनका ये भी मानना है कि इस कदम से तेलंगाना का प्रभाव वैश्विक स्तर पर बढ़ेगा.
  5. वैश्विक तनाव में कमी: एक दूसरे से शिक्षा प्राप्त करके तेलंगाना शांति और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए लोगों के बीच संबंधों को बढ़ावा देता है.
  6. सीमाओं से परे: भारत शिखर सम्मेलन 100 से अधिक देशों के साथ राजनीतिक संबंधों को बढ़ावा देने का उद्देश्य रखता है, तथा सतत अंतरराष्ट्रीय साझेदारी के लिए एक मंच तैयार करता है.
  7. विविध हितधारक: आयोजनकर्ताओं का मानना है कि इस तरह के आयोजन से और नीति निर्माताओं, शिक्षाविदों, प्रवासी नेताओं और कार्यकर्ताओं को शामिल करने से लोकतंत्र, बहुलवाद और न्याय के लिए समावेशी संवाद सुनिश्चित होता है.
  8. आर्थिक और सामाजिक प्रगति: तेलंगाना ने पिछड़े वर्गों के कल्याण और आर्थिक विकास के बीच संतुलन स्थापित किया है, तथा शिखर सम्मेलन में सुशासन का प्रदर्शन किया है.
  9. जलवायु और सामाजिक न्याय: ध्रुवीकरण को संबोधित करना और जलवायु न्याय में तेजी लाना तेलंगाना को वैश्विक नीति में एक विचार नेता के रूप में स्थापित करता है.
  10. लोगों के बीच संबंध: शिखर सम्मेलन तनाव कम करने और सहयोगात्मक वैश्विक नेटवर्क बनाने के लिए सीमा पार शिक्षा को बढ़ावा देता है.

तेलंगाना का दृष्टिकोण- ध्रुवीकरण, जलवायु न्याय और सामाजिक समानता को संबोधित करना-दर्शाता है कि राज्य वैश्विक चुनौतियों पर कैसे नेतृत्व कर सकते हैं. अशांत समय में दूसरों के लिए अनुसरण करने का खाका पेश कर सकते हैं. बढ़ती वैश्विक चुनौतियों-आर्थिक मंदी, सामाजिक असमानता और जलवायु संकट- के युग में दुनिया को दूरदर्शिता और सहयोग पर आधारित राजनीति और प्रशासन की सख्त जरूरत है.

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