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बिदिशा और बानी ने बिना कोचिंग के JEE एडवांस, NEET में टॉप किया, बच्चों के लिए मां ने छोड़ी नौकरी - SIBLINGS SHINE IN JEE AND NEET

तेलंगाना के दो जुड़वा बच्चों ने दो सबसे कठिन प्रवेश परीक्षाओं JEE एडवांस और NEET में बाजी मारी है.

Twin Triumph
बानी ब्रता और बिदिशा माजी ने माता पिता का नाम रोशन किया (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : June 24, 2025 at 7:09 PM IST

3 Min Read

हैदराबाद: तेलंगाना में हैदराबाद के दो जुड़वा भाई-बहन ने भारत की दो सबसे कठिन प्रवेश परीक्षाओं JEE एडवांस और NEET में ऑल इंडिया रैंक हासिल कर अपने माता-पिता और राज्य का नाम रोशन किया है.

ये दो जुड़वां बच्चे बानी ब्रता और बिदिशा माजी हैं, जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल की है. इनकी सक्सेस स्टोरी की सबसे बड़ी बात तो यह है कि, इन दो भाई-बहन को उनके मुकाम तक पहुंचाने के लिए मां प्रणति ने कड़ी मेहनत की. प्रणति पेशे से शिक्षिका हैं, लेकिन बच्चों का भविष्य संवारने के लिए उन्होंने अपनी नौकरी तक छोड़ दी. उन्होंने घर पर अपनी दोनों बच्चों को पढ़ाया. सबसे बड़ी बात यह भी है कि, उन दोनों ने बाहर से कोचिंग भी नहीं ली. दोनों ने घर पर रहकर जेईई एडवांस और एनईईटी की तैयारी की.

कॉर्पोरेट कोचिंग के बिना टॉप किया
अपनी कड़ी मेहनत से JEE एडवांस्ड 2025 में, बानी ब्रता ने ऑल इंडिया रैंक 77 हासिल की. जबकि बिदिशा ने NEET में ऑल इंडिया रैंक 95 हासिल कर तेलंगाना की महिला टॉपर बन गई है.

इस बेहतरीन उपलब्धि ने जुड़वां बच्चों को इस बात का प्रतीक बना दिया है कि, बाहर के कोचिंग के अलावा घर में रहकर अच्छे से पढ़ाई करने से सबकुछ हासिल किया जा सकता है.

बिदिशा बाल रोग विशेषज्ञ बनना चाहती हैं. उनका कहना है कि, वह अपने माता-पिता और शिक्षकों की आभारी हैं. उसके भाई ने उसे भौतिकी और रसायन विज्ञान में बहुत मदद की. वह आगे एक अच्छी डॉक्टर बनकर गरीबों की सेवा करना चाहती है.

ओलंपियाड पदक और अंतरराष्ट्रीय मान्यता
इन भाई-बहनों की प्रतिभा बचपन से ही स्पष्ट थी. कक्षा 9 में, बानी ब्रता ने अंतरराष्ट्रीय जूनियर साइंस ओलंपियाड में स्वर्ण पदक जीता. बाद में, उसने खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी पर अंतरराष्ट्रीय ओलंपियाड में भारत का प्रतिनिधित्व किया, जिसमें कांस्य पदक जीता. वह आईआईटी दिल्ली में कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई करना चाहता है.

सफलता के पीछे माता-पिता का हाथ, जिन्होंने दिल से पढ़ाया
उनके पिता स्वरूप कुमार DRDO में वैज्ञानिक हैं. उनकी मां प्रणति ने बच्चों की प्रगति और रुचियों का आकलन करने के लिए दूसरी कक्षा से ही पुस्तकों, प्रश्नपत्रों और ओलंपियाड परीक्षाओं को ध्यान से तैयार किया.

प्रणति का कहना है कि, सभी बच्चों में क्षमता होती है. उनकी छिपी प्रतिभा को पहचानना और उन्हें उस दिशा में बढ़ने में मदद करना माता-पिता का काम है. वहीं, पिता स्वरूप कुमार का कहना है कि, हमारी शिक्षा प्रणाली परिपूर्ण नहीं है. लेकिन अगर माता-पिता वास्तव में समझते हैं कि उनके बच्चों को क्या चाहिए, तो वे उन्हें किसी भी स्कूल से बेहतर मार्गदर्शन दे सकते हैं.

पढ़ाई लिखाई के अलावा बिदिशा पेंटिंग में माहिर है तो वहीं बानी ब्रता कोडिंग के प्रति जुनूनी है. दोनों की उपलब्धियों ने उसके माता-पिता और अब पूरे राज्य को बहुत गौरवान्वित किया है. एक छोटे से घर के क्लासरूम से लेकर राष्ट्रीय रैंक तक, बानी ब्रता और बिदिशा की यात्रा यह साबित करती है कि सही राह मिले तो कोई भी बच्चा एक साथ सितारों तक पहुंच सकता है.

ये भी पढ़ें: 'डॉक्टर बनकर गरीबों की सेवा करेंगे', NEET टॉपर यंद्रपति का दिल्ली AIIMS से पढ़ाई करने का सपना

हैदराबाद: तेलंगाना में हैदराबाद के दो जुड़वा भाई-बहन ने भारत की दो सबसे कठिन प्रवेश परीक्षाओं JEE एडवांस और NEET में ऑल इंडिया रैंक हासिल कर अपने माता-पिता और राज्य का नाम रोशन किया है.

ये दो जुड़वां बच्चे बानी ब्रता और बिदिशा माजी हैं, जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल की है. इनकी सक्सेस स्टोरी की सबसे बड़ी बात तो यह है कि, इन दो भाई-बहन को उनके मुकाम तक पहुंचाने के लिए मां प्रणति ने कड़ी मेहनत की. प्रणति पेशे से शिक्षिका हैं, लेकिन बच्चों का भविष्य संवारने के लिए उन्होंने अपनी नौकरी तक छोड़ दी. उन्होंने घर पर अपनी दोनों बच्चों को पढ़ाया. सबसे बड़ी बात यह भी है कि, उन दोनों ने बाहर से कोचिंग भी नहीं ली. दोनों ने घर पर रहकर जेईई एडवांस और एनईईटी की तैयारी की.

कॉर्पोरेट कोचिंग के बिना टॉप किया
अपनी कड़ी मेहनत से JEE एडवांस्ड 2025 में, बानी ब्रता ने ऑल इंडिया रैंक 77 हासिल की. जबकि बिदिशा ने NEET में ऑल इंडिया रैंक 95 हासिल कर तेलंगाना की महिला टॉपर बन गई है.

इस बेहतरीन उपलब्धि ने जुड़वां बच्चों को इस बात का प्रतीक बना दिया है कि, बाहर के कोचिंग के अलावा घर में रहकर अच्छे से पढ़ाई करने से सबकुछ हासिल किया जा सकता है.

बिदिशा बाल रोग विशेषज्ञ बनना चाहती हैं. उनका कहना है कि, वह अपने माता-पिता और शिक्षकों की आभारी हैं. उसके भाई ने उसे भौतिकी और रसायन विज्ञान में बहुत मदद की. वह आगे एक अच्छी डॉक्टर बनकर गरीबों की सेवा करना चाहती है.

ओलंपियाड पदक और अंतरराष्ट्रीय मान्यता
इन भाई-बहनों की प्रतिभा बचपन से ही स्पष्ट थी. कक्षा 9 में, बानी ब्रता ने अंतरराष्ट्रीय जूनियर साइंस ओलंपियाड में स्वर्ण पदक जीता. बाद में, उसने खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी पर अंतरराष्ट्रीय ओलंपियाड में भारत का प्रतिनिधित्व किया, जिसमें कांस्य पदक जीता. वह आईआईटी दिल्ली में कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई करना चाहता है.

सफलता के पीछे माता-पिता का हाथ, जिन्होंने दिल से पढ़ाया
उनके पिता स्वरूप कुमार DRDO में वैज्ञानिक हैं. उनकी मां प्रणति ने बच्चों की प्रगति और रुचियों का आकलन करने के लिए दूसरी कक्षा से ही पुस्तकों, प्रश्नपत्रों और ओलंपियाड परीक्षाओं को ध्यान से तैयार किया.

प्रणति का कहना है कि, सभी बच्चों में क्षमता होती है. उनकी छिपी प्रतिभा को पहचानना और उन्हें उस दिशा में बढ़ने में मदद करना माता-पिता का काम है. वहीं, पिता स्वरूप कुमार का कहना है कि, हमारी शिक्षा प्रणाली परिपूर्ण नहीं है. लेकिन अगर माता-पिता वास्तव में समझते हैं कि उनके बच्चों को क्या चाहिए, तो वे उन्हें किसी भी स्कूल से बेहतर मार्गदर्शन दे सकते हैं.

पढ़ाई लिखाई के अलावा बिदिशा पेंटिंग में माहिर है तो वहीं बानी ब्रता कोडिंग के प्रति जुनूनी है. दोनों की उपलब्धियों ने उसके माता-पिता और अब पूरे राज्य को बहुत गौरवान्वित किया है. एक छोटे से घर के क्लासरूम से लेकर राष्ट्रीय रैंक तक, बानी ब्रता और बिदिशा की यात्रा यह साबित करती है कि सही राह मिले तो कोई भी बच्चा एक साथ सितारों तक पहुंच सकता है.

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