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तेलंगाना में मंत्रिमंडल का विस्तार, गद्दम विवेक, अदलुरी लक्ष्मण और वाकिति श्रीहरि बने तेलंगाना के नए मंत्री - TELANGANA CABINET EXPANSION

तेलंगाना में मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने मंत्रिमंडल का विस्तार करते हुए तीन नए मंत्रियों को शामिल किया.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : June 8, 2025 at 6:34 PM IST

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हैदराबाद: तेलंगाना में कांग्रेस सरकार ने मंत्रिमंडल का विस्तार करते हुए सामाजिक न्याय को प्राथमिकता देते हुए तीन नए चेहरों को मंत्री पद की शपथ दिलवाई. राजभवन में आयोजित गरिमामय समारोह में राज्यपाल जिष्णु देव वर्मा ने गद्दम विवेक, अदलुरी लक्ष्मण कुमार और वाकिति श्रीहरि को मंत्री पद की शपथ दिलाई. इस अवसर पर मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी, वरिष्ठ मंत्रीगण और कई प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित थे.

इस विस्तार में कांग्रेस आलाकमान की ओर से स्पष्ट संदेश दिया गया कि सरकार सामाजिक प्रतिनिधित्व में संतुलन लाना चाहती है. मंत्रिमंडल में अनुसूचित जाति के दो नेताओं – माला समुदाय से गद्दम विवेक और मडिगा समुदाय से अदलुरी लक्ष्मण कुमार को स्थान दिया गया है, वहीं पिछड़े वर्ग (BC) से वाकिति श्रीहरि, जो मुदिराज समुदाय से हैं, को भी मंत्री बनाया गया है.

गद्दम विवेक
गद्दम विवेक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जी. वेंकटस्वामी के पुत्र हैं और उन्हें वेंकटस्वामी का राजनीतिक उत्तराधिकारी माना जाता है. विवेक ने राजनीति में कांग्रेस के साथ कदम रखा और 2009 में पेड्डापल्ली से सांसद चुने गए. तेलंगाना आंदोलन के दौरान 2013 में वे टीआरएस में शामिल हो गए, लेकिन 2014 से पहले फिर कांग्रेस में लौट आए. वे उस समय पेड्डापल्ली से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े परंतु हार गए. इसके बाद 2016 में उन्होंने दोबारा टीआरएस का दामन थामा, लेकिन 2019 में टिकट न मिलने से वे चुनाव से बाहर रहे. बाद में उन्होंने भाजपा में प्रवेश किया, जहां वे ज्यादा सक्रिय नहीं रहे. अंततः 2023 में उन्होंने फिर से कांग्रेस पार्टी का रुख किया और चेन्नूर से विधायक चुने गए. 2024 में उनके पुत्र जी. वामसी ने भी कांग्रेस से पेड्डापल्ली से लोकसभा चुनाव जीतकर परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया.

अदलुरी लक्ष्मण कुमार
अदलुरी लक्ष्मण कुमार का राजनीतिक सफर कई संघर्षों और असफलताओं से होकर गुजरा है. उनका जन्म 1968 में करीमनगर जिले में हुआ. उन्होंने पेड्डापल्ली कॉलेज से आईटीआई की शिक्षा प्राप्त की और छात्र राजनीति से ही NSUI के ज़िला महासचिव बने. इसके बाद वे युवा कांग्रेस के प्रदेश महासचिव बने और संगठन में लगातार सक्रिय रहे.

उन्होंने 2006 में धर्माराम ZPTC का चुनाव जीता, लेकिन 2009 और 2010 के विधानसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा. फिर भी वे पार्टी से जुड़े रहे और 2010-2012 के बीच करीमनगर ज़िला परिषद के अध्यक्ष बने. वे 2013-14 में एपी एससी निगम के अध्यक्ष भी रहे. उन्होंने 2014 और 2018 में भी विधानसभा चुनाव लड़ा, पर मामूली अंतर से हार गए. अंततः 2023 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने धर्मपुरी से जीत दर्ज कर भाजपा के वरिष्ठ नेता कोप्पुला ईश्वर को 2,229 वोटों से हराया, और पहली बार विधायक बने. पहली बार विधायक बनते ही मंत्री पद भी प्राप्त कर लिया.

वाकिति श्रीहरि: गांव के सरपंच से राज्य मंत्री बनने तक का सफर
वाकिति श्रीहरि की कहानी grassroots राजनीति की मिसाल है. उनका जन्म 1972 में हुआ और वे महबूबनगर ज़िले से आते हैं. श्रीहरि ने अपना राजनीतिक जीवन 2001 में मकतल गांव के सरपंच के रूप में शुरू किया. इसके बाद उन्होंने 2014 से 2018 तक ZPTC सदस्य के रूप में कार्य किया और ज़िला परिषद में फ्लोर लीडर भी रहे. इन वर्षों में उन्होंने ग्रामीण विकास और सामाजिक न्याय के मुद्दों को मजबूती से उठाया.

वह कांग्रेस पार्टी के प्रति निष्ठावान बने रहे और नारायणपेट ज़िला कांग्रेस के अध्यक्ष और सचिव जैसे पदों पर संगठन को मज़बूती दी. 2023 में कांग्रेस ने उन्हें मकतल विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया, जहां उन्होंने भाजपा के चित्तम राममोहन रेड्डी को 17,522 मतों के भारी अंतर से हराया. यह उनके लिए एक ऐतिहासिक जीत रही और उन्हें विधायक बनने के साथ ही राज्य मंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ.

यह भी पढ़ें- बेंगलुरु भगदड़, मृतकों के परिवारों को अब मिलेगा 25 लाख का मुआवजा– सीएम सिद्धारमैया का ऐलान

हैदराबाद: तेलंगाना में कांग्रेस सरकार ने मंत्रिमंडल का विस्तार करते हुए सामाजिक न्याय को प्राथमिकता देते हुए तीन नए चेहरों को मंत्री पद की शपथ दिलवाई. राजभवन में आयोजित गरिमामय समारोह में राज्यपाल जिष्णु देव वर्मा ने गद्दम विवेक, अदलुरी लक्ष्मण कुमार और वाकिति श्रीहरि को मंत्री पद की शपथ दिलाई. इस अवसर पर मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी, वरिष्ठ मंत्रीगण और कई प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित थे.

इस विस्तार में कांग्रेस आलाकमान की ओर से स्पष्ट संदेश दिया गया कि सरकार सामाजिक प्रतिनिधित्व में संतुलन लाना चाहती है. मंत्रिमंडल में अनुसूचित जाति के दो नेताओं – माला समुदाय से गद्दम विवेक और मडिगा समुदाय से अदलुरी लक्ष्मण कुमार को स्थान दिया गया है, वहीं पिछड़े वर्ग (BC) से वाकिति श्रीहरि, जो मुदिराज समुदाय से हैं, को भी मंत्री बनाया गया है.

गद्दम विवेक
गद्दम विवेक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जी. वेंकटस्वामी के पुत्र हैं और उन्हें वेंकटस्वामी का राजनीतिक उत्तराधिकारी माना जाता है. विवेक ने राजनीति में कांग्रेस के साथ कदम रखा और 2009 में पेड्डापल्ली से सांसद चुने गए. तेलंगाना आंदोलन के दौरान 2013 में वे टीआरएस में शामिल हो गए, लेकिन 2014 से पहले फिर कांग्रेस में लौट आए. वे उस समय पेड्डापल्ली से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े परंतु हार गए. इसके बाद 2016 में उन्होंने दोबारा टीआरएस का दामन थामा, लेकिन 2019 में टिकट न मिलने से वे चुनाव से बाहर रहे. बाद में उन्होंने भाजपा में प्रवेश किया, जहां वे ज्यादा सक्रिय नहीं रहे. अंततः 2023 में उन्होंने फिर से कांग्रेस पार्टी का रुख किया और चेन्नूर से विधायक चुने गए. 2024 में उनके पुत्र जी. वामसी ने भी कांग्रेस से पेड्डापल्ली से लोकसभा चुनाव जीतकर परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया.

अदलुरी लक्ष्मण कुमार
अदलुरी लक्ष्मण कुमार का राजनीतिक सफर कई संघर्षों और असफलताओं से होकर गुजरा है. उनका जन्म 1968 में करीमनगर जिले में हुआ. उन्होंने पेड्डापल्ली कॉलेज से आईटीआई की शिक्षा प्राप्त की और छात्र राजनीति से ही NSUI के ज़िला महासचिव बने. इसके बाद वे युवा कांग्रेस के प्रदेश महासचिव बने और संगठन में लगातार सक्रिय रहे.

उन्होंने 2006 में धर्माराम ZPTC का चुनाव जीता, लेकिन 2009 और 2010 के विधानसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा. फिर भी वे पार्टी से जुड़े रहे और 2010-2012 के बीच करीमनगर ज़िला परिषद के अध्यक्ष बने. वे 2013-14 में एपी एससी निगम के अध्यक्ष भी रहे. उन्होंने 2014 और 2018 में भी विधानसभा चुनाव लड़ा, पर मामूली अंतर से हार गए. अंततः 2023 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने धर्मपुरी से जीत दर्ज कर भाजपा के वरिष्ठ नेता कोप्पुला ईश्वर को 2,229 वोटों से हराया, और पहली बार विधायक बने. पहली बार विधायक बनते ही मंत्री पद भी प्राप्त कर लिया.

वाकिति श्रीहरि: गांव के सरपंच से राज्य मंत्री बनने तक का सफर
वाकिति श्रीहरि की कहानी grassroots राजनीति की मिसाल है. उनका जन्म 1972 में हुआ और वे महबूबनगर ज़िले से आते हैं. श्रीहरि ने अपना राजनीतिक जीवन 2001 में मकतल गांव के सरपंच के रूप में शुरू किया. इसके बाद उन्होंने 2014 से 2018 तक ZPTC सदस्य के रूप में कार्य किया और ज़िला परिषद में फ्लोर लीडर भी रहे. इन वर्षों में उन्होंने ग्रामीण विकास और सामाजिक न्याय के मुद्दों को मजबूती से उठाया.

वह कांग्रेस पार्टी के प्रति निष्ठावान बने रहे और नारायणपेट ज़िला कांग्रेस के अध्यक्ष और सचिव जैसे पदों पर संगठन को मज़बूती दी. 2023 में कांग्रेस ने उन्हें मकतल विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया, जहां उन्होंने भाजपा के चित्तम राममोहन रेड्डी को 17,522 मतों के भारी अंतर से हराया. यह उनके लिए एक ऐतिहासिक जीत रही और उन्हें विधायक बनने के साथ ही राज्य मंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ.

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