नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा में कामकाज को पेपरलेस बनाने की शुरू हुई कवायद के बीच अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता 15 से 17 अप्रैल तक तीन दिवसीय अध्ययन दौरे पर ओडिशा जाएंगे. यह दौरा ओडिशा विधानसभा में राष्ट्रीय ई-विधान अनुप्रयोग (NeVA) के सफल कार्यान्वयन से सीखने और उसका मूल्यांकन करने हेतु आयोजित किया गया है. ओडिशा विधानसभा में कामकाज हाल ही में पूरी तरह से पेपरलेस हुआ है.
स्टडी टूर पर जाएगी दिल्ली विधानसभा की टीम: इस अध्ययन दौरे में विधानसभा के उपाध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट, दिल्ली विधानसभा के वरिष्ठ अधिकारी एवं NeVA परियोजना से जुड़े प्रमुख पदाधिकारी भी शामिल होंगे. इस दौरे का उद्देश्य ओडिशा द्वारा अपनाई गई श्रेष्ठ तकनीकी प्रणाली, कार्यप्रणाली और नवाचारों का अध्ययन करना है, जिससे दिल्ली विधानसभा में भी NeVA का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जा सके. गत दिनों संपन्न हुए बजट सत्र के दौरान अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने घोषणा की थी कि दिल्ली विधानसभा 100 दिनों के भीतर कागजरहित बन जाएगी. इस दिशा में पहल करते हुए संसदीय कार्य मंत्रालय द्वारा NeVA परियोजना के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता जारी किए जाने की संभावना है.

विधानसभा अध्यक्ष ने उम्मीद जताई है कि यह दौरा दिल्ली विधानसभा की डिजिटल परिवर्तन यात्रा को गति देगा और इसे एक आधुनिक, पारदर्शी और प्रौद्योगिकी-सक्षम विधायी निकाय के रूप में स्थापित करेगा. दिल्ली विधानसभा का यह प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को भुवनेश्वर की यात्रा पर रवाना होगा. भुवनेश्वर पहुंचने पर प्रतिनिधिमंडल ओडिशा के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री से शिष्टाचार भेंट करेगा. 16 अप्रैल को प्रतिनिधिमंडल NeVA समिति के साथ बैठक में भाग लेगा तथा ओडिशा विधानसभा के अध्यक्ष से भी भेंट करेगा. 17 अप्रैल को दौरे का अंतिम दिन होगा, जिसमें समापन बैठकें एवं NeVA कार्यान्वयन से जुड़े हितधारकों के साथ विस्तृत चर्चा की जाएगी. दिल्ली विधानसभा NeVA के त्वरित कार्यान्वयन के माध्यम से अधिक पारदर्शी, तकनीक-सक्षम एवं जनकेन्द्रित विधायी प्रक्रिया को अपनाने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है.
क्या है परियोजना: 2015 में देश की विधानसभाओं को डिजिटलाइजेशन करने के लिए महत्वाकांक्षी नेशनल ई-विधान एप्लीकेशन (NeVA) परियोजना लाई गई थी. इसके तहत देश की सभी विधानसभाओं में कामकाज को डिजिटल और पेपरलेस बनाना था. लेकिन 10 साल बीत जाने के बावजूद अब तक दिल्ली विधानसभा में इसे लागू नहीं किया गया. दिल्ली विधानसभा देश की एकमात्र ऐसी विधानसभा है जहां ई-विधान एप्लीकेशन परियोजना को लागू करने की दिशा में अब तक कोई शुरुआत तक नहीं की गई है. इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार की ओर से सौ प्रतिशत फंड मुहैया कराया जा रहा था लेकिन 2019 में आप सरकार ने केंद्र सरकार की ओर से दिए जाने वाली आर्थिक और तकनीकी मदद लेने से इनकार कर दिया. इसके बजाय वह 20 करोड़ की लागत से इस परियोजना को विकसित करने का संकल्प लिया था.
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