देहरादून (नवीन उनियाल): पिछले कुछ दिनों से राजाजी टाइगर रिजर्व समेत देहरादून डिवीजन के कई कर्मी टाइगर की खोजबीन में जुटे हैं. जिसे हाल ही में कॉर्बेट से राजाजी में शिफ्ट किया गया था. लेकिन इसने राजाजी छोड़ ऋषिकेश रेंज क्षेत्र को अपना लिया. स्थिति यह है कि टाइगर के कॉलर आईडी लगा होने के बावजूद ये तमाम एक्सपर्ट को खूब छका रहा है और फिलहाल राजाजी टाइगर रिजर्व वापस ले जाने की हर कोशिश नाकाम साबित हो रही है.
वन्यजीव के हमले में हुई थी युवक की मौत: देहरादून जिले की ऋषिकेश रेंज में पिछले दिनों एक युवक को जंगली जानवर ने हमला कर मार डाला था. आनन फानन में विभाग घटना की खोजबीन में जुट गया, लेकिन तब महकमे में हड़कंप मच गया जब पता चला कि हाल ही में लाए गए टाइगर की लोकेशन भी इसी क्षेत्र में थी. हालांकि जल्दबाजी दिखाए बिना राजाजी टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने इस वन्यजीव का खुलासा नहीं किया और डीएनए टेस्ट के बाद ही स्थिति स्पष्ट होने की बात कह दी.
राजाजी टाइगर रिजर्व प्रबंधन के सामने ये समस्या: अंदेशा लगाया जा रहा है कि इसी क्षेत्र में टाइगर की लोकेशन भी थी, लिहाजा हमला करने वाला वन्यजीव यह टाइगर भी हो सकता है. यह बात इसलिए भी रिजर्व क्षेत्र के अधिकारियों को परेशान कर रही है क्योंकि यदि इसी टाइगर के हमले में युवक की मौत हुई होगी तो राजाजी टाइगर रिजर्व में प्रोजेक्ट टाइगर को इससे तगड़ा झटका लग सकता है. यही नहीं घटना से आक्रोशित लोग इस टाइगर को मैन ईटर घोषित करने का दबाव बना सकते हैं. इतना ही नहीं राजाजी टाइगर रिजर्व प्रबंधन द्वारा टाइगर की निगरानी में हीलाहवाली का आरोप लग सकता है.

टाइगर की निगरानी के लिए लगाया गया कॉलर आईडी: दरअसल कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से राजाजी लाए गए टाइगर T8 की निगरानी के लिए उसमें कॉलर आईडी लगाया गया है. जिसके जरिए वन विभाग को टाइगर की लोकेशन मिलती रहती है, यानी टाइगर कहां जा रहा है इसकी जानकारी राजाजी टाइगर रिजर्व प्रबंधन को रहती है. टाइगर राजाजी क्षेत्र में है या फिर इसकी बाउंड्री से बाहर रिहायशी इलाके की तरफ जा रहा है, इसका भी पूरा डाटा राजाजी टाइगर रिजर्व प्रबंधन को मिलता है. जाहिर है इस स्थिति में सवाल यह भी उठेंगे कि टाइगर के राजाजी से बाहर निकलकर बड़कोट या ऋषिकेश रेंज के जंगलों में पहुंचने पर क्या और कितने समय में कदम उठाए गए.

टाइगर को ट्रेंकुलाइज करने तक पर विचार संभव: ऋषिकेश और बड़कोट रेंज में विचरण कर रहे टाइगर को इस घटना के बाद से ही मॉनिटर कर वापस राजाजी भेजे जाने के प्रयास किया जा रहे हैं, लेकिन पिछले कई दिनों से तमाम एक्सपर्ट्स की टीम के साथ राजाजी टाइगर रिजर्व प्रबंधन के अधिकारी इसमें अब तक नाकाम रहे हैं. यह स्थिति तब है जब राजाजी प्रबंधन को टाइगर की हर मूवमेंट कॉलर आईडी के जरिए आसानी से मिल रही है. ऐसे में माना जा रहा है कि रिहायशी इलाके के पास तक पहुंचने की स्थिति में इसे ट्रेंकुलाइज कर वापस राजाजी ले जाया जा सकता है.

ऋषिकेश रेंज और आसपास का इलाका टाइगर को भा रहा: राजाजी टाइगर रिजर्व क्षेत्र से बाहर निकलकर ऋषिकेश और बड़कोट रेंज के आसपास विचरण कर रहे टाइगर को क्या यह इलाका भा रहा है. या नए क्षेत्र में आने के बाद टाइगर इस इलाके में खुद को एजडस्ट नहीं कर पा रहा है, जो भी हो लेकिन ये स्थिति ना तो कॉर्बेट से लाए गए टाइगर के लिए बेहतर है और ना ही आसपास रहने वाले लोगों के लिए.

बाघिन की मौजूदगी भी हो सकती है आने की वजह: राजाजी टाइगर रिजर्व से लगे हुए बड़कोट और ऋषिकेश रेंज क्षेत्र में अक्सर एक बाघिन भी देखी जाती रही है. ऐसी स्थिति में यह भी उम्मीद लगाई जा रही है कि इस बाघिन के कारण भी टाइगर इस क्षेत्र में आ सकता है.
रेगुलर रूप से तो नहीं लेकिन इस क्षेत्र में कई बार बाघिन को देखा गया है, हालांकि आज की स्थिति में यह बाघिन किस इलाके में है यह कहना मुश्किल है.
नीरज शर्मा, डीएफओ, देहरादून डिवीजन
घना जंगल और वन्यजीवों की अच्छी संख्या भी बन सकती है वजह: राजाजी टाइगर रिजर्व की तरह ही ऋषिकेश और बड़कोट रेंज के जंगल भी काफी घने हैं. इतना ही नहीं यहां की घनी झाड़ियां भी टाइगर को छिपने का पर्याप्त स्थान देती है. यह स्थितियां भी टाइगर के लिए मुफीद है. इसके अलावा इस क्षेत्र में टाइगर के भोजन के रूप में वन्यजीवों की अच्छी खासी संख्या है, इस तरह यह स्थितियां भी टाइगर को इस क्षेत्र में बने रहने के लिए प्रेरित कर सकती है.
वैसे तो इस रेंज में बेहतर माहौल है और वन्यजीवों की भी अच्छी संख्या है. लेकिन राजाजी टाइगर रिजर्व क्षेत्र के जंगलों के मुकाबले इसे आंका नहीं जा सकता क्योंकि रिजर्व क्षेत्र में टाइगर के लिए और भी बेहतर स्थितियां हैं.
नीरज शर्मा, डीएफओ, देहरादून डिवीजन
राजाजी से बाहर जाना ऐसे बनेगा परेशानी: राजाजी टाइगर रिजर्व से बाहर निकलने वाले बाघ ने पिछले कई दिनों में ऋषिकेश और बड़कोट रेंज में कई इलाकों को देखा गया है. साथ ही वो इस रास्ते को भी समझ चुका है. जाहिर है कि बाघ को राजाजी टाइगर रिजर्व वापस ले जाने पर भी अब इसके इस क्षेत्र में लौटने की संभावना बनी रहेगी. खास बात यह है कि इतने दिनों तक इस इलाके में विचरण के बाद टाइगर इस क्षेत्र को भी जान चुका है. उधर यह इलाका आबादी क्षेत्र के नजदीक होने के कारण न केवल लोगों के लिए भी एक खतरा बना रहेगा, बल्कि टाइगर के लिए भी यहां रिहायशी इलाके के तरफ जाना मुसीबत बन सकता है.
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