नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल सरकार अपने कर्मचारियों को तीन महीने के भीतर बकाया महंगाई भत्ते (डीए) का 25 प्रतिशत भुगतान करने को कहा है.
यह मामला जस्टिस संजय करोल और संदीप मेहता की पीठ के समक्ष आया. पीठ ने इस मुद्दे पर 2022 के कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार की अपील पर सुनवाई करते हुए अंतरिम आदेश पारित किया.
कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल को लंबे समय से लंबित डीए बकाया का भुगतान करने और भुगतान को केंद्र सरकार की दरों के अनुरूप करने का निर्देश दिया था.
सुप्रीम कोर्ट में, पश्चिम बंगाल सरकार ने तर्क दिया था कि उसके पास हाई कोर्ट के निर्देश का पूरी तरह से पालन करने की वित्तीय क्षमता नहीं है. हालांकि सरकार ने तब से डीए में वृद्धि की घोषणा की है, लेकिन यह वृद्धि केंद्रीय दरों से कम है.
सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश से लगभग छह लाख राज्य कर्मचारियों को लाभ होगा. अदालती कार्यवाही से परिचित एक वकील ने कहा कि राज्य सरकार के वकील ने पीठ के समक्ष दलील दी कि सरकारी खजाने पर 10,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा. दलीलें सुनने के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई अगस्त में तय की है.
पश्चिम बंगाल सरकार के कर्मचारियों के एक वर्ग ने लंबित बकाया के साथ-साथ केंद्र सरकार के समकक्षों के समान दर पर डीए की मांग करते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी.
हाई कोर्ट ने मई 2022 में कर्मचारियों के पक्ष में एक आदेश पारित किया और राज्य सरकार से अपने डीए भुगतान को केंद्र सरकार की दरों के अनुरूप करने को कहा.
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