ETV Bharat / bharat

सुप्रीम कोर्ट ने ISIS से सहानुभूति रखने के आरोपी की जमानत रद्द करने से किया इनकार - SUPREME COURT

सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को जमानत देने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा. मई 2024 में हाईकोर्ट ने जमानत दी थी.

Supreme Court refuses to cancel bail of man accused of sympathising with ISIS
सुप्रीम कोर्ट ने ISIS से सहानुभूति रखने के आरोपी की जमानत रद्द करने से किया इनकार (ANI)
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 15, 2025 at 12:20 AM IST

2 Min Read

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक व्यक्ति की जमानत रद्द करने से इनकार कर दिया, जिस पर आतंकी समूह आईएसआईएस से कथित तौर पर सहानुभूति रखने के आरोप में आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया था.

मामले की सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने की. पीठ ने कहा कि मुकदमे के निष्कर्ष में कुछ समय लगेगा और प्रतिवादी अम्मार अब्दुल रहमान को लगभग तीन साल न्यायिक हिरासत में रहने के बाद जमानत पर रिहा किया गया था.

पीठ ने कहा कि ऐसा कोई उदाहरण नहीं है, जो यह साबित करता हो कि रहमान ने अब तक जमानत का दुरुपयोग किया है, और वह नियमित रूप से ट्रायल कोर्ट में पेश हो रहा है, और उसने चल रहे मुकदमे में बाधा डालने का कोई प्रयास नहीं किया है. पीठ ने कहा, "हमें जमानत रद्द करने का कोई कारण नहीं दिखता..."

हालांकि, पीठ ने एनआईए के वकील की इस दलील को स्वीकार कर लिया कि मुकदमे के लंबित रहने के दौरान उसे देश छोड़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. पीठ ने कहा कि रहमान तब तक विदेश यात्रा नहीं कर सकता जब तक कि उच्च न्यायालय द्वारा अनुमति नहीं दी जाती.

शीर्ष अदालत ने रहमान को जमानत देने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा और कहा कि उसने जमानत की किसी भी शर्त का उल्लंघन नहीं किया है. पीठ ने कहा कि आरोपी को 4 अगस्त, 2021 को गिरफ्तार किया गया था और मुकदमा अभी समाप्त होना बाकी है.

पीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष 160 से अधिक गवाहों से पूछताछ करना चाहता है, जिनमें से अब तक 44 से पूछताछ हो चुकी है.

एनआईए की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि प्रतिबंधित आतंकवादी समूह आईएसआईएस का समर्थक होने के अलावा रहमान की कोई बड़ी भूमिका नहीं है.

दिल्ली हाईकोर्ट ने दी थी जमानत
पिछले साल मई में दिल्ली हाईकोर्ट ने अम्मार अब्दुल रहमान को जमानत दे दी थी. एनआईए ने आरोप लगाया था कि वह आईएसआईएस की विचारधारा कट्टर समर्थक था और कथित तौर पर ज्ञात और अज्ञात आईएसआईएस सदस्यों के साथ मिलकर हिजरा (धार्मिक प्रवास) करने के लिए जम्मू-कश्मीर और आईएसआईएस नियंत्रित अन्य क्षेत्रों में आपराधिक साजिश रच रहा था, ताकि वह खिलाफत की स्थापना के लिए समूह में शामिल हो सके और भारत में अपनी गतिविधियों को अंजाम दे सके.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक व्यक्ति की जमानत रद्द करने से इनकार कर दिया, जिस पर आतंकी समूह आईएसआईएस से कथित तौर पर सहानुभूति रखने के आरोप में आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया था.

मामले की सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने की. पीठ ने कहा कि मुकदमे के निष्कर्ष में कुछ समय लगेगा और प्रतिवादी अम्मार अब्दुल रहमान को लगभग तीन साल न्यायिक हिरासत में रहने के बाद जमानत पर रिहा किया गया था.

पीठ ने कहा कि ऐसा कोई उदाहरण नहीं है, जो यह साबित करता हो कि रहमान ने अब तक जमानत का दुरुपयोग किया है, और वह नियमित रूप से ट्रायल कोर्ट में पेश हो रहा है, और उसने चल रहे मुकदमे में बाधा डालने का कोई प्रयास नहीं किया है. पीठ ने कहा, "हमें जमानत रद्द करने का कोई कारण नहीं दिखता..."

हालांकि, पीठ ने एनआईए के वकील की इस दलील को स्वीकार कर लिया कि मुकदमे के लंबित रहने के दौरान उसे देश छोड़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. पीठ ने कहा कि रहमान तब तक विदेश यात्रा नहीं कर सकता जब तक कि उच्च न्यायालय द्वारा अनुमति नहीं दी जाती.

शीर्ष अदालत ने रहमान को जमानत देने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा और कहा कि उसने जमानत की किसी भी शर्त का उल्लंघन नहीं किया है. पीठ ने कहा कि आरोपी को 4 अगस्त, 2021 को गिरफ्तार किया गया था और मुकदमा अभी समाप्त होना बाकी है.

पीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष 160 से अधिक गवाहों से पूछताछ करना चाहता है, जिनमें से अब तक 44 से पूछताछ हो चुकी है.

एनआईए की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि प्रतिबंधित आतंकवादी समूह आईएसआईएस का समर्थक होने के अलावा रहमान की कोई बड़ी भूमिका नहीं है.

दिल्ली हाईकोर्ट ने दी थी जमानत
पिछले साल मई में दिल्ली हाईकोर्ट ने अम्मार अब्दुल रहमान को जमानत दे दी थी. एनआईए ने आरोप लगाया था कि वह आईएसआईएस की विचारधारा कट्टर समर्थक था और कथित तौर पर ज्ञात और अज्ञात आईएसआईएस सदस्यों के साथ मिलकर हिजरा (धार्मिक प्रवास) करने के लिए जम्मू-कश्मीर और आईएसआईएस नियंत्रित अन्य क्षेत्रों में आपराधिक साजिश रच रहा था, ताकि वह खिलाफत की स्थापना के लिए समूह में शामिल हो सके और भारत में अपनी गतिविधियों को अंजाम दे सके.

For All Latest Updates

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.