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वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ 10 याचिकाओं पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई ! - WAQF AMENDMENT ACT

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड की गई कॉजलिस्ट के अनुसार, वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ अब तक 10 याचिकाएं सूचीबद्ध की गई हैं.

Supreme Court likely to hear pleas against Waqf Amendment Act on Wednesday April 16
वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ 10 याचिकाओं पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई ! (Getty Images)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : April 15, 2025 at 9:24 PM IST

3 Min Read

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट बुधवार को वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी की याचिका सहित 10 याचिकाओं पर सुनवाई कर सकता है.

इन याचिकाओं पर भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ सुनवाई करेगी, जिसमें जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन शामिल होंगे.

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड की गई कॉजलिस्ट के अनुसार, इस मुद्दे पर अब तक 10 याचिकाएं सूचीबद्ध की गई हैं.

सीजेआई संजीव खन्ना की पीठ हैदराबाद के सांसद ओवैसी की याचिका के अलावा आम आदमी पार्टी के नेता अमानतुल्ला खान, एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, अरशद मदनी, समस्त केरल जमीयतुल उलेमा, अंजुम कादरी, तैय्यब खान सलमानी, मोहम्मद शफी, मोहम्मद फजलुर्रहीम और राजद नेता मनोज कुमार झा की याचिकाओं पर भी सुनवाई करेगी.

कई नई याचिकाएं अब तक सूचीबद्ध नहीं
शीर्ष अदालत में कई नई याचिकाएं दायर की गईं, जिन्हें अब तक सूचीबद्ध नहीं किया गया है, जिनमें टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद जिया-उर-रहमान बर्क द्वारा दायर याचिकाएं भी शामिल हैं.

आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआरसीपी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), तमिलगा वेत्री कझगम प्रमुख और अभिनेता से नेता बने विजय ने भी इस मुद्दे पर शीर्ष अदालत का रुख किया है.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी), जमीयत उलमा-ए-हिंद, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके), कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी और मोहम्मद जावेद ने भी नए वक्फ कानून को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है.

अधिवक्ता हरि शंकर जैन और मणि मुंजाल ने भी एक अलग याचिका दायर कर कानून के कई प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को इस आधार पर चुनौती दी है कि वे गैर-मुसलमानों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं.

केंद्र सरकार ने दायर किया कैविएट
केंद्र सरकार ने 8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दायर कर मामले में कोई भी आदेश पारित करने से पहले सुनवाई की मांग की थी. किसी पक्ष द्वारा उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में कैविएट दायर किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उसका पक्ष सुने बिना कोई आदेश पारित न किया जाए.

केंद्र सरकार ने हाल ही में वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 को अधिसूचित किया. दोनों सदनों में गरमागरम बहस के बाद संसद से पारित होने के बाद 5 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विधेयक को अपनी स्वीकृति दी थी. राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक के पक्ष में 128 वोट और विरोध में 95 वोट पड़े थे. लोकसभा में 288 सांसदों ने इसका विधेयक का समर्थन किया और 232 ने इसके खिलाफ वोट किया.

यह भी पढ़ें- 'नेशनल हेराल्ड केस में गांधी परिवार पहले से बेल पर', सोनिया-राहुल के खिलाफ चार्जशीट पर बोली भाजपा

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट बुधवार को वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी की याचिका सहित 10 याचिकाओं पर सुनवाई कर सकता है.

इन याचिकाओं पर भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ सुनवाई करेगी, जिसमें जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन शामिल होंगे.

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड की गई कॉजलिस्ट के अनुसार, इस मुद्दे पर अब तक 10 याचिकाएं सूचीबद्ध की गई हैं.

सीजेआई संजीव खन्ना की पीठ हैदराबाद के सांसद ओवैसी की याचिका के अलावा आम आदमी पार्टी के नेता अमानतुल्ला खान, एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, अरशद मदनी, समस्त केरल जमीयतुल उलेमा, अंजुम कादरी, तैय्यब खान सलमानी, मोहम्मद शफी, मोहम्मद फजलुर्रहीम और राजद नेता मनोज कुमार झा की याचिकाओं पर भी सुनवाई करेगी.

कई नई याचिकाएं अब तक सूचीबद्ध नहीं
शीर्ष अदालत में कई नई याचिकाएं दायर की गईं, जिन्हें अब तक सूचीबद्ध नहीं किया गया है, जिनमें टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद जिया-उर-रहमान बर्क द्वारा दायर याचिकाएं भी शामिल हैं.

आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआरसीपी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), तमिलगा वेत्री कझगम प्रमुख और अभिनेता से नेता बने विजय ने भी इस मुद्दे पर शीर्ष अदालत का रुख किया है.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी), जमीयत उलमा-ए-हिंद, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके), कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी और मोहम्मद जावेद ने भी नए वक्फ कानून को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है.

अधिवक्ता हरि शंकर जैन और मणि मुंजाल ने भी एक अलग याचिका दायर कर कानून के कई प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को इस आधार पर चुनौती दी है कि वे गैर-मुसलमानों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं.

केंद्र सरकार ने दायर किया कैविएट
केंद्र सरकार ने 8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दायर कर मामले में कोई भी आदेश पारित करने से पहले सुनवाई की मांग की थी. किसी पक्ष द्वारा उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में कैविएट दायर किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उसका पक्ष सुने बिना कोई आदेश पारित न किया जाए.

केंद्र सरकार ने हाल ही में वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 को अधिसूचित किया. दोनों सदनों में गरमागरम बहस के बाद संसद से पारित होने के बाद 5 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विधेयक को अपनी स्वीकृति दी थी. राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक के पक्ष में 128 वोट और विरोध में 95 वोट पड़े थे. लोकसभा में 288 सांसदों ने इसका विधेयक का समर्थन किया और 232 ने इसके खिलाफ वोट किया.

यह भी पढ़ें- 'नेशनल हेराल्ड केस में गांधी परिवार पहले से बेल पर', सोनिया-राहुल के खिलाफ चार्जशीट पर बोली भाजपा

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