मतदाता सूची में गड़बड़ी की SIT जांच वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज, कहा, 'विचार करने को इच्छुक नहीं'
याचिका में विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा 7 अगस्त, 2025 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में लगाए गए आरोपों का हवाला दिया गया था.

By Sumit Saxena
Published : October 13, 2025 at 3:07 PM IST
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें बेंगलुरु सेंट्रल के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र और देश के अन्य प्रभावित निर्वाचन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर मतदाता सूची में हेराफेरी के आरोपों की जांच के लिए एक पूर्व जज के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल गठित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी.
यह मामला जस्टिस सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की बेंच के समक्ष सुनवाई के लिए आया. याचिका में विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा 7 अगस्त, 2025 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में लगाए गए आरोपों का हवाला दिया गया था. सुनवाई के दौरान, बेंच ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के वकील और कांग्रेस पार्टी के सदस्य रोहित पांडे द्वारा दायर याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं है.
बेंच ने कहा कि, वह उस रिट याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं जो कथित तौर पर जनहित में दायर की गई है. हालांकि, बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता को चुनाव आयोग के समक्ष यह मुद्दा उठाने की स्वतंत्रता है, यदि वह उचित समझे.
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि चुनाव आयोग के समक्ष एक अभ्यावेदन प्रस्तुत किया गया था, लेकिन उस पर विचार नहीं किया गया और कोई कार्रवाई नहीं की गई. दलीलें सुनने के बाद, बेंच ने याचिका खारिज करने का फैसला किया और याचिकाकर्ता से कानून के तहत उचित उपाय अपनाने को कहा. याचिका में कहा गया है कि, यहां दांव पर किसी एक चुनावी मुकाबले का नतीजा नहीं है, बल्कि मतदाता सूची की अखंडता और विश्वसनीयता है, जिस पर पूरी लोकतांत्रिक प्रक्रिया टिकी है.
याचिका में आगे कहा गया है कि, जब मतदाता सूची गलत तरीके से हटाए जाने और धोखाधड़ी से नाम जोड़े जाने से दूषित हो जाती है, तो मतदान का अधिकार सभी नागरिकों के लिए समान रूप से सुलभ नहीं रह जाता, जिससे सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के संवैधानिक वादे को झटका लगता है.
याचिका में चुनाव आयोग को यह निर्देश देने की भी मांग की गई है कि अदालत के निर्देशों का पालन होने और मतदाता सूचियों का स्वतंत्र ऑडिट पूरा होने तक मतदाता सूचियों में कोई और संशोधन या अंतिम रूप नहीं दिया जाएगा.
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