
'स्तब्ध हूं, पर इस घटना को भुला दिया', जूता फेंकने की घटना पर बोले सीजेआई
जूता फेंकने की घटना को लेकर सीजेआई ने पहली पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. हालांकि, उन्होंने कहा, मैं भुला चुका हूं.


Published : October 9, 2025 at 5:23 PM IST
|Updated : October 9, 2025 at 9:42 PM IST
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई ने जूते वाली घटना पर पहली बार प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि छह अक्टूबर को हुई जूते वाली घटना से वह स्तब्ध रह गए थे. उस दिन एक वकील ने भरी अदालत में उन पर जूता उछालने की कोशिश की थी. सीजेआई ने कहा कि इस घटना ने उन्हें हैरान जरूर किया, लेकिन अब वह इसे पूरी तरह से भुला चुके हैं.
सीजेआई बीआर गवई ने कहा, "सोमवार को जो कुछ हुआ उससे मैं और मेरे विद्वान साथी न्यायमूर्ति चंद्रन बहुत स्तब्ध हैं, हालांकि, हमारे लिए यह एक विस्मृत अध्याय है." जिस वकील ने उन पर जूता फेंकने की कोशिश की थी, उसका नाम राकेश त्रिपाठी है. वह 71 साल के हैं और उनका पेशा भी वकालत ही रहा है. इस घटना के बाद बार काउंसल ने उनके लाइसेंस को रद्द कर दिया है. बहुत सारे लोगों ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है.
सीजेआई ने गुरुवार को यह टिप्पणी एक सुनवाई के दौरान की. वह वनशक्ति मामले में फैसले की समीक्षा और संशोधन का अनुरोध करने संबंधी याचिका की सुनवाई कर रहे थे. इस मामले की सुनवाई में शामिल दूसरे जज न्यायमूर्ति उज्जवल भुइयां ने सीजेआई से असहमति जताई. उन्होंने कहा कि इस मामले में कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए थी, लेकिन सीजेआई ने बड़ा दिल दिखाया.
भुइयां ने कहा कि दरअसल, यह हमला एक संस्थान पर था, इसलिए कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए थी, ताकि कोई भी फिर से इस तरह का कृत्य न कर सके. न्यायमूर्ति भुइयां ने कहा कि इस घटना को अपवाद स्वरूप मान लें, लेकिन आगे से इस तरह की कोई भी राहत नहीं दी जाएगी, यह तो सुप्रीम कोर्ट का सीधा-सीधा अपमान है. सुनवाई के दौरान उपस्थित सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी इस कृत्य को अक्षम्य अपराध की कैटेगरी में ठहराया.
अदालत कक्ष में मौजूद लॉ ऑफिसर्स ने सीजेआई के उदारता की प्रशंसा की. वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अनुरोध किया है कि यह एक चौंकाने वाला प्रकरण था, इसलिए आगे से इसकी चर्चा न की जाए. इसके बाद जज ने भी कहा कि हां, यह एक विस्मृत चैप्टर है.
आपको बता दें कि सोमवार को हुई इस घटना के तुरंत बाद सीजेआई ने कहा, "हम इस घटना से विचलित नहीं हैं, इन मुद्दों का हम पर कोई असर नहीं पड़ता है." घटना उस समय हुई थी, जब सीजेआई और के. विनोद चंद्रन की पीठ एक मामले की सुनवाई कर रही थी. आरोपी राकेश त्रिपाठी ने अपना जूता निकाला और उसे जज की ओर उछालने की कोशिश की. हालांकि, वह सफल नहीं हुआ. वहां पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने उसे पकड़ लिया.
हिरासत में लिए जाने के बाद राकेश त्रिपाठी ने कहा कि वह सीजेआई की उस टिप्पणी से आहत था, जिसमें उन्होंने सनातन धर्म पर टिप्पणी की थी. उसने कहा, "सनातन का अपमान नहीं सहेंगे." पुलिस ने पूछताछ के बाद राकेश त्रिपाठी को छोड़ दिया. हालांकि, अब पंजाब और कर्नाटक में उसके खिलाफ मामले दर्ज हो चुके हैं.
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