नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कथित तौर पर नकदी मिलने के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जताई.
अधिवक्ता मैथ्यूज जे. नेदुम्पारा ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया. नेदुम्पारा ने पीठ से मामले पर तत्काल सुनवाई करने का आग्रह किया. पीठ में जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह भी शामिल हैं.
पीठ ने कहा कि अगर याचिका में त्रुटियां दूर की जाती है तो इसे मंगलवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जा सकता है. सीजेआई ने वकील से कहा, "अगर (याचिका में) त्रुटियां सुधारी जाती हैं तो इसे कल सूचीबद्ध किया जा सकता है."
पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने नेदुम्पारा की याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया था. याचिका में जस्टिस वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से निर्देश की मांग की गई है.
8 मई को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास परिसर में नकदी मिलने के आरोपों की जांच के लिए गठित आंतरिक समिति की रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजी थी. बताया जा रहा है कि जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर नकदी मिलने के आरोपों में विश्वसनीयता पाए जाने के बाद तीन सदस्यीय समिति ने सीजेआई को भेजी रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा का इस्तीफा मांगा था. हालांकि, जस्टिस वर्मा ने इनकार कर दिया. सूत्र ने बताया कि जस्टिस वर्मा के इनकार के बाद सीजेआई ने रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेज दी.
सुप्रीम कोर्ट ने 8 मई को एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा था, "भारत के मुख्य न्यायाधीश ने इन-हाउस प्रक्रिया के संदर्भ में भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है, जिसमें तीन सदस्यीय समिति की 3 मई, 2025 की रिपोर्ट की प्रति और जस्टिस यशवंत वर्मा से प्राप्त 6 मई, 2025 के पत्र/प्रतिक्रिया की प्रति संलग्न है."
इससे पहले, 5 मई को सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य प्रेस विज्ञप्ति में कहा था, "पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जीएस संधावालिया और कर्नाटक उच्च न्यायालय की जज जस्टिस अनु शिवरामन की तीन सदस्यीय समिति, जो वर्तमान जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच करने के लिए गठित की गई थी, ने अपनी रिपोर्ट 4 मई, 2025 को भारत के मुख्य न्यायाधीश को सौंप दी है."
बताया जा रहा है कि समिति ने साक्ष्यों की जांच की और दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा तथा दिल्ली अग्निशमन सेवा प्रमुख सहित 50 से अधिक लोगों के बयान दर्ज किए, जो 14 मार्च की रात करीब 11.35 बजे जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आवास में आग लगने की घटना के बाद सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वालों में शामिल थे.
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