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अमरनाथ यात्रा 2025: सुरक्षा एजेंसियों के लिए गंभीर चिंता का विषय बने स्टिकी बम - STICKY BOMBS

अमरनाथ यात्रा से पहले आतंकवादी संगठनों द्वारा स्टिकी बम एकत्र किया जा रहा है. इसको लेकर सुरक्षा विशेषज्ञ ब्रिगेडियर बीके खन्ना ने चिंता जताई है.

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अमरनाथ यात्रा (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : June 9, 2025 at 5:23 PM IST

4 Min Read

नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा की गई जांच से पता चला है कि विभिन्न आतंकवादी संगठनों से जुड़े ओवर ग्राउंड वर्कर (OGWs) और हाइब्रिड आतंकवादी जम्मू-कश्मीर में स्टिकी बम (चिपचिपा विस्फोटक) को इकट्ठा करने और उन्हें सुविधाजनक बनाने में सक्रिय रूप से शामिल हैं.

ओवर ग्राउंड वर्कर की जांच से अवगत एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हमारे पास इसके प्रमाण हैं कि ओवर ग्राउंड वर्कर जम्मू-कश्मीर के विभिन्न स्थानों में तोड़फोड़ करने के उद्देश्य से सीमा पार से स्टिकी बम खरीद रहे हैं.

यह खुलासा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जुलाई में शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा से पहले सामने आया है. पहले भी कई बार आतंकवादी संगठनों द्वारा तोड़फोड़ करने के लिए ऐसे बमों का इस्तेमाल किया गया है.

बता दें कि एनआईए ने पिछले सप्ताह जम्मू-कश्मीर को अस्थिर करने के लिए पाकिस्तान समर्थित प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों और उनकी शाखाओं द्वारा आतंकी साजिश के खिलाफ अपनी जारी जांच के तहत कश्मीर भर में कई जगहों पर छापेमारी की थी.

यह तलाशी पाकिस्तान स्थित कई संगठनों जैसे द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF), यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट जम्मू और कश्मीर (ULFJ&K), मुजाहिदीन गजवत-उल-हिंद (MGH), जम्मू और कश्मीर फ्रीडम फाइटर्स (JKFF), कश्मीर टाइगर्स, पीएएएफ आदि से जुड़े हाइब्रिड आतंकवादियों और ओवरग्राउंड कार्यकर्ताओं के आवासीय परिसरों में ली गई.

ये शाखाएं प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा (LeT), जैश-ए-मोहम्मद (JeM), अल-बद्र आदि से संबद्ध हैं.

अधिकारी ने कहा, "ये संदिग्ध ओजीडब्ल्यू और हाइब्रिड आतंकवादी आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करते पाए गए. इनमें आतंकवादियों की मदद करना, स्टिकी बमों के साथ-साथ चुंबकीय बमों, आईईडी, फंड, मादक पदार्थों और हथियारों और गोला-बारूद का संग्रह और वितरण करना.

अधिकारी ने बताया कि हाइब्रिड आतंकवादी और ओवरग्राउंड कार्यकर्ता स्थानीय युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और ओवरग्राउंड कार्यकर्ताओं को संगठित करने में भी शामिल हैं.

स्टिकी बम क्या है?

स्टिकी बम आमतौर पर छोटे और चुंबकीय होते हैं, जिससे उन्हें धातु की सतहों पर चिपकाया जा सकता है. स्टिकी बमों की चुंबकीय प्रकृति के कारण इन्हें वाहनों से जोड़ा जा सकता है और टाइमर और दूर से पकड़े जाने वाले उपकरण का उपयोग करके विस्फोट किया जा सकता है.

सीआरपीएफ के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने ईटीवी भारत से कहा, "आतंकवादियों के लिए कानून लागू करने वाली एजेंसियों की नजरों से बचकर किसी भी वाहन में ऐसे बम लगाना आसान है. इसलिए, हमने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियों को इस मामले के बारे में सतर्क कर दिया है."

सुरक्षा एजेंसियों को इस बात की चिंता है कि स्टिकी बमों को दूर से विस्फोट करने के लिए डिजाइन किया गया है. अधिकारी ने कहा, "व्यक्ति टारगेट दूरी से रिमोट का उपयोग करके बम विस्फोट कर सकता है."

वास्तव में, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने भी लोगों को सतर्क रहने और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना देने की चेतावनी और सलाह जारी की है. इन स्टिकी बमों का प्रयोग बड़े पैमाने पर अफगानिस्तान और इराक में किया गया था. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना द्वारा स्टिकी बमों का प्रयोग किया गया था.

पिछले अवसरों पर स्टिकी बमों का प्रयोग

मई 2022 में जम्मू और कश्मीर के कटरा शहर के पास एक यात्री बस में लगी आग की जांच में चार लोगों की मौत हो गई थी और 20 से अधिक घायल हो गए थे. इसको भी स्टिकी बमों के इस्तेमाल से जोड़ा गया था.

2022 की अमरनाथ यात्रा के दौरान सुरक्षा एजेंसियों ने स्टिकी बमों को लेकर एसओपी जारी की थी.अधिकारी ने कहा, "गिरफ्तार आतंकवादियों और उनके समर्थकों से पूछताछ तथा अन्य साक्ष्यों से पता चलता है कि कश्मीर घाटी में आतंकवादी समूहों तक स्टिकी बम पहुंच गए हैं."

सुरक्षा एजेंसियों को अतिरिक्त सतर्क रहने की जरूरत

ईटीवी भारत से बात करते हुए प्रसिद्ध सुरक्षा विशेषज्ञ ब्रिगेडियर बीके खन्ना ने भी माना कि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियों के लिए स्टिकी बम एक गंभीर चिंता का विषय है.

ब्रिगेडियर खन्ना ने कहा, "इन बमों को किसी भी वाहन पर लगाया जा सकता है और फिर रिमोट कंट्रोल द्वारा उसमें विस्फोट किया जा सकता है."

अमरनाथ यात्रा से पहले सभी सुरक्षा एजेंसियों के बीच उचित संचार और खुफिया जानकारी साझा की जानी चाहिए. ब्रिगेडियर खन्ना ने कहा, "जम्मू-कश्मीर में स्थानीय पुलिस किसी भी संदिग्ध गतिविधि का पता लगाने में नागरिकों की मदद लेकर प्रमुख भूमिका निभा सकती है."

ये भी पढ़ें- अमरनाथ यात्रा 2025 से पहले तगड़ी सुरक्षा, घाटी में तैनात 42,000 से ज्यादा जवान

नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा की गई जांच से पता चला है कि विभिन्न आतंकवादी संगठनों से जुड़े ओवर ग्राउंड वर्कर (OGWs) और हाइब्रिड आतंकवादी जम्मू-कश्मीर में स्टिकी बम (चिपचिपा विस्फोटक) को इकट्ठा करने और उन्हें सुविधाजनक बनाने में सक्रिय रूप से शामिल हैं.

ओवर ग्राउंड वर्कर की जांच से अवगत एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हमारे पास इसके प्रमाण हैं कि ओवर ग्राउंड वर्कर जम्मू-कश्मीर के विभिन्न स्थानों में तोड़फोड़ करने के उद्देश्य से सीमा पार से स्टिकी बम खरीद रहे हैं.

यह खुलासा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जुलाई में शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा से पहले सामने आया है. पहले भी कई बार आतंकवादी संगठनों द्वारा तोड़फोड़ करने के लिए ऐसे बमों का इस्तेमाल किया गया है.

बता दें कि एनआईए ने पिछले सप्ताह जम्मू-कश्मीर को अस्थिर करने के लिए पाकिस्तान समर्थित प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों और उनकी शाखाओं द्वारा आतंकी साजिश के खिलाफ अपनी जारी जांच के तहत कश्मीर भर में कई जगहों पर छापेमारी की थी.

यह तलाशी पाकिस्तान स्थित कई संगठनों जैसे द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF), यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट जम्मू और कश्मीर (ULFJ&K), मुजाहिदीन गजवत-उल-हिंद (MGH), जम्मू और कश्मीर फ्रीडम फाइटर्स (JKFF), कश्मीर टाइगर्स, पीएएएफ आदि से जुड़े हाइब्रिड आतंकवादियों और ओवरग्राउंड कार्यकर्ताओं के आवासीय परिसरों में ली गई.

ये शाखाएं प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा (LeT), जैश-ए-मोहम्मद (JeM), अल-बद्र आदि से संबद्ध हैं.

अधिकारी ने कहा, "ये संदिग्ध ओजीडब्ल्यू और हाइब्रिड आतंकवादी आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करते पाए गए. इनमें आतंकवादियों की मदद करना, स्टिकी बमों के साथ-साथ चुंबकीय बमों, आईईडी, फंड, मादक पदार्थों और हथियारों और गोला-बारूद का संग्रह और वितरण करना.

अधिकारी ने बताया कि हाइब्रिड आतंकवादी और ओवरग्राउंड कार्यकर्ता स्थानीय युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और ओवरग्राउंड कार्यकर्ताओं को संगठित करने में भी शामिल हैं.

स्टिकी बम क्या है?

स्टिकी बम आमतौर पर छोटे और चुंबकीय होते हैं, जिससे उन्हें धातु की सतहों पर चिपकाया जा सकता है. स्टिकी बमों की चुंबकीय प्रकृति के कारण इन्हें वाहनों से जोड़ा जा सकता है और टाइमर और दूर से पकड़े जाने वाले उपकरण का उपयोग करके विस्फोट किया जा सकता है.

सीआरपीएफ के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने ईटीवी भारत से कहा, "आतंकवादियों के लिए कानून लागू करने वाली एजेंसियों की नजरों से बचकर किसी भी वाहन में ऐसे बम लगाना आसान है. इसलिए, हमने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियों को इस मामले के बारे में सतर्क कर दिया है."

सुरक्षा एजेंसियों को इस बात की चिंता है कि स्टिकी बमों को दूर से विस्फोट करने के लिए डिजाइन किया गया है. अधिकारी ने कहा, "व्यक्ति टारगेट दूरी से रिमोट का उपयोग करके बम विस्फोट कर सकता है."

वास्तव में, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने भी लोगों को सतर्क रहने और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना देने की चेतावनी और सलाह जारी की है. इन स्टिकी बमों का प्रयोग बड़े पैमाने पर अफगानिस्तान और इराक में किया गया था. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना द्वारा स्टिकी बमों का प्रयोग किया गया था.

पिछले अवसरों पर स्टिकी बमों का प्रयोग

मई 2022 में जम्मू और कश्मीर के कटरा शहर के पास एक यात्री बस में लगी आग की जांच में चार लोगों की मौत हो गई थी और 20 से अधिक घायल हो गए थे. इसको भी स्टिकी बमों के इस्तेमाल से जोड़ा गया था.

2022 की अमरनाथ यात्रा के दौरान सुरक्षा एजेंसियों ने स्टिकी बमों को लेकर एसओपी जारी की थी.अधिकारी ने कहा, "गिरफ्तार आतंकवादियों और उनके समर्थकों से पूछताछ तथा अन्य साक्ष्यों से पता चलता है कि कश्मीर घाटी में आतंकवादी समूहों तक स्टिकी बम पहुंच गए हैं."

सुरक्षा एजेंसियों को अतिरिक्त सतर्क रहने की जरूरत

ईटीवी भारत से बात करते हुए प्रसिद्ध सुरक्षा विशेषज्ञ ब्रिगेडियर बीके खन्ना ने भी माना कि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियों के लिए स्टिकी बम एक गंभीर चिंता का विषय है.

ब्रिगेडियर खन्ना ने कहा, "इन बमों को किसी भी वाहन पर लगाया जा सकता है और फिर रिमोट कंट्रोल द्वारा उसमें विस्फोट किया जा सकता है."

अमरनाथ यात्रा से पहले सभी सुरक्षा एजेंसियों के बीच उचित संचार और खुफिया जानकारी साझा की जानी चाहिए. ब्रिगेडियर खन्ना ने कहा, "जम्मू-कश्मीर में स्थानीय पुलिस किसी भी संदिग्ध गतिविधि का पता लगाने में नागरिकों की मदद लेकर प्रमुख भूमिका निभा सकती है."

ये भी पढ़ें- अमरनाथ यात्रा 2025 से पहले तगड़ी सुरक्षा, घाटी में तैनात 42,000 से ज्यादा जवान

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