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कलयुग का श्रवण कुमार, स्कूटर पर 75 साल की मां को करवाया तीर्थ दर्शन - SHRAVAN KUMAR OF KALYUG

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में बीते दिनों कलयुग के श्रवण कुमार पहुंचे.जो अपनी मां को स्कूटर से तीर्थ दर्शन करा रहे हैं.

Shravan Kumar of Kalyug
कलयुग का श्रवण कुमार (ETV BHARAT CHHATTISGARH)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : April 15, 2025 at 5:16 PM IST

7 Min Read

रायपुर : धरती पर माता पिता को भगवान का रूप माना गया है.आज के जमाने में बहुत कम लोग ही ऐसे हैं जो अपने माता पिता को भगवान का दर्जा देते हैं.उन्हीं में से एक हैं डी कृष्ण कुमार जिन्हें कलयुग का श्रवण कुमार कहा जाए तो गलत ना होगा. डी कृष्ण श्रवण कुमार अपनी मां को स्कूटर पर बिठाकर तीर्थ के दर्शन करा रहे हैं.साल 2018 से शुरु हुई ये यात्रा अब भी जारी है. अब तक डी कृष्ण कुमार 96205 किलोमीटर तक की यात्रा स्कूटर पर कर चुके हैं.इसी दौरान वो रायपुर पहुंचे.


कौन हैं डी कृष्ण कुमार : डी कृष्ण कुमार कर्नाटक के मैसूर के रहने वाले हैं. पेशे से डी कृष्ण कुमार कंप्यूटर इंजीनियर हैं.जो बैंगलोर में कई मल्टीनेशनल कंपनी में काम कर चुके हैं. डी कृष्ण कुमार के पिता दक्षिणामूर्ति वन विभाग से रिटायर हुए थे. साल 2015 में उनका निधन हो गया था. इसके बाद डी कृष्ण कुमार अपनी माता चुडा रत्नम्मा को अपने पास बेंगलुरू ले आए. फिर साल 2018 से उन्होंने मातृ सेवा संकल्प यात्रा की शुरुआत की.

स्कूटर पर 75 साल की मां को करवाया तीर्थ दर्शन (ETV BHARAT CHHATTISGARH)


स्कूटर में ही किया सारा इंतजाम : स्कूटर से बुजुर्ग के साथ यात्रा करना किसी चुनौती और जोखिम से कम नहीं है.फिर भी डी कृष्ण कुमार ने अपने संकल्प को पूरा करने के लिए स्कूटर में ही वो सारे इंतजाम कर लिए जो यात्रा के लिहाज से जरुरी है. स्कूटर पर दो हेलमेट, पीछे दो स्टेपनी, पीने के पानी सहित कुछ जरूरी साजो सामान भी मौजूद हैं. कहीं यदि स्कूटर खराब होता है तो उसे कृष्ण कुमार खुद ही सुधारते हैं.इसके लिए वो एक्स्ट्रा प्लग और स्टेपनी अपने साथ रखते हैं.इतनी लंबी यात्रा में अब तक ऐसा कहीं नहीं हुआ, कि वो अपनी मां के साथ स्कूटर की खराबी की वजह से कहीं फंसे हो या फिर उन्हें किसी तरह की परेशानी उठानी पड़ी हो.

क्यों यात्रा का लिया संकल्प : ईटीवी भारत को डी कृष्ण कुमार ने बताया कि 16 जनवरी 2018 से मातृ सेवा संकल्प यात्रा मैसूर से शुरू की गई. इसका विचार इसलिए आया कि हम पहले सयुक्त परिवार में रहते थे. 10 लोगों का परिवार था. उस समय मेरी मां सुबह से लेकर रात तक घर का काम करती थी.रसोई पकाना, कपड़ा धोना, बर्तन साफ करना, जमीन पोंछना, इसी कामों में उनका 68 साल का जीवन बीत गया. वो कभी भी बाहर नहीं गई ,इस बीच 2015 में पिताजी की मृत्यु हो गई. उस दौरान मैं बेंगलुरु में काम करता था. एक दिन माताजी से बातचीत के दौरान मैंने उनसे पूछा कि मां आपने कोई तीर्थ यात्रा की है, तो मां ने कहा कि मैंने पास का मंदिर भी अब तक नहीं देखा है.

Shravan Kumar of Kalyug
स्कूटर पर 75 साल की मां को करवाया तीर्थ दर्शन (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

मां की बातें सुनकर मुझे काफी दुख हुआ. मुझे जन्म देने वाली मां अब तक पास के मंदिर का दर्शन भी नहीं कर सकी है. इस दौरान मैंने मां को कहा कि आप चिंता मत करिए, मैं सिर्फ यही मंदिर नहीं बल्कि सारे भारत की तीर्थ यात्रा कराऊंगा. इसके बाद इस मातृ सेवा संकल्प यात्रा की शुरुआत हुई.अब तक 96205 किलोमीटर की यात्रा कर चुका हूं. इस दौरान सारा भारत घूम चुके हैं. इसके अलावा नेपाल ,भूटान, म्यांमार भी इसी स्कूटर से घूम चुका हूं - डी कृष्ण कुमार, तीर्थयात्री

स्कूटर पर ही यात्रा क्यों ?: डी कृष्ण कुमार ने कहा कि यह स्कूटर मेरे पिताजी का दिया गया पहला उपहार है. जब मैं 21 साल का था ,तो उस समय मेरे पिताजी ने यह पहला गिफ्ट दिया था. इस स्कूटर को मैं पिता मानता हूं.स्कूटर पर यात्रा करते समय लगता है, कि सिर्फ मां और बेटे ही यात्रा नहीं कर रहे हैं , बल्कि हमारे पिताजी भी हमारे साथ तीर्थ यात्रा कर रहे हैं. इसी सोच के साथ मैंने स्कूटर पर यात्रा शुरू की थी.

Shravan Kumar of Kalyug
75 साल की मां को करवाया तीर्थ दर्शन (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

कोरोना काल में कैसे की यात्रा ?: डी कृष्ण कुमार ने कहा कि कोरोना के समय हम भूटान बॉर्डर पर फंसे थे.एक महीना 22 दिन हम वहां रहे.बाद में कुछ लोगों के सहयोग से वहां से आने जाने का पास लेकर वहां से निकले . उस दौरान 2673 किलोमीटर का सफर कर सिर्फ 7 दिन में कर्नाटक पहुंचे थे. इसके बाद कोविड के दौरान हम कहीं नहीं गए. बाद में जब सब सामान्य स्थिति हो गई, उसके बाद दोबारा तीर्थ यात्रा शुरू किया. यात्रा के दौरान भोजन व्यवस्था के सवाल पर डी कृष्ण कुमार ने कहा कि हम मंदिर, मठ आश्रम जैसी जगहों में जो भोग मिलता है उसे खाते हैं ,इसलिए हमारी तबीयत अब तक एक दिन भी खराब नहीं हुई है. हमें खांसी ,बुखार, सर्दी ,जुखाम पीठ में दर्द, कुछ भी नहीं हुआ है.

Shravan Kumar of Kalyug
कोरोना ने रोकी तीर्थ यात्रा की राह (ETV BHARAT CHHATTISGARH)


तीर्थ यात्रा के लिए कहां से आते हैं पैसे : इतनी लंबी यात्रा के लिए पेट्रोल खर्च के सवाल पर डी कृष्ण कुमार ने कहा कि ये वो अपने खर्चे पर करते हैं.कॉरपोरेट सेक्टर में काम किया था और उस दौरान का पूरा वेतन और कमीशन सब मां के खाते में जमा है. उस पैसे का हर महीने ब्याज मिलता है. उन्हीं पैसों से ये तीर्थ यात्रा कर रहे हैं. किसी से कोई भी राशि नहीं ली. इसके आगे कहां जाने की तैयारी है इस पर डी कृष्ण कुमार ने कहा कि रायपुर थोड़ा बहुत घूमेंगे, इसके बाद हम वापस अपने घर जाएंगे . क्योंकि हम लोगों ने पूरी तीर्थ यात्रा कर ली है. कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक ,द्वारका से परशुराम कुंड तक हो गया है.इस बीच नेपाल भूटान और मयंमार भी घूम चुके हैं. अब यात्रा संपन्न हो रही है, हम वापस घर जाएंगे.

मां ने बेटे के समर्पण को सराहा : वहीं डी कृष्ण कुमार की मां चुडा रत्नम्मा ने कहा कि शुरू में मैंने कुछ नहीं देखा था ,सिर्फ रसोई घर के काम करती थी ,बाहर कभी कुछ नहीं देखा. एक दिन जब मेरे बेटे से बात हुई तो मैंने उसको बताया कि मैंने अब तक कहीं कुछ नहीं देखा है. तो बेटे ने कहा कि मैं तुम्हें सब दिखाऊंगा. अब उसने अपने स्कूटर पर सारे भारत का भ्रमण कराया. भारत के अलावा नेपाल, भूटान, म्यंमार भी देखा. भारत में जितने भी तीर्थ स्थल है.उन सभी तीर्थ स्थल को दिखाया है.हमने नदियों में नहाया ,मंदिरों का दर्शन किया. मेरा जीवन सार्थक हो गया है.

गाड़ी पर बैठने में कोई दिक्कत नहीं होती ,आराम से बैठकर घूमती हूं. इस दौरान सुरक्षा का पूरा ख्याल रखते हैं. मेरा बेटा बहुत ख्याल रखना है.मुझे कोई तकलीफ नहीं होती.पूरा सफर आराम से कट जाता है- चुडा रत्नम्मा, तीर्थयात्री


चुडा रत्नम्मा ने कहा कि उनके बेटे को श्रवण कुमार का उपाधि मिली हुई है. सिर्फ मेरे बेटे को ही नहीं बल्कि सारे बेटों को यह उपाधि मिलनी चाहिए. यही मैं कहना चाहती हूं. सभी बेटे बुढ़ापे में अपने माता-पिता की अच्छी से देखरेख करें और अपने साथ रखें. वृद्धाश्रम भेजना या अन्य जगह पर उन्हें नहीं भेजना चाहिए. अपने साथी मां-बाप को रखना चाहिए. क्योंकि माता-पिता भी बच्चों के साथ ही रहना चाहते हैं.


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रायपुर : धरती पर माता पिता को भगवान का रूप माना गया है.आज के जमाने में बहुत कम लोग ही ऐसे हैं जो अपने माता पिता को भगवान का दर्जा देते हैं.उन्हीं में से एक हैं डी कृष्ण कुमार जिन्हें कलयुग का श्रवण कुमार कहा जाए तो गलत ना होगा. डी कृष्ण श्रवण कुमार अपनी मां को स्कूटर पर बिठाकर तीर्थ के दर्शन करा रहे हैं.साल 2018 से शुरु हुई ये यात्रा अब भी जारी है. अब तक डी कृष्ण कुमार 96205 किलोमीटर तक की यात्रा स्कूटर पर कर चुके हैं.इसी दौरान वो रायपुर पहुंचे.


कौन हैं डी कृष्ण कुमार : डी कृष्ण कुमार कर्नाटक के मैसूर के रहने वाले हैं. पेशे से डी कृष्ण कुमार कंप्यूटर इंजीनियर हैं.जो बैंगलोर में कई मल्टीनेशनल कंपनी में काम कर चुके हैं. डी कृष्ण कुमार के पिता दक्षिणामूर्ति वन विभाग से रिटायर हुए थे. साल 2015 में उनका निधन हो गया था. इसके बाद डी कृष्ण कुमार अपनी माता चुडा रत्नम्मा को अपने पास बेंगलुरू ले आए. फिर साल 2018 से उन्होंने मातृ सेवा संकल्प यात्रा की शुरुआत की.

स्कूटर पर 75 साल की मां को करवाया तीर्थ दर्शन (ETV BHARAT CHHATTISGARH)


स्कूटर में ही किया सारा इंतजाम : स्कूटर से बुजुर्ग के साथ यात्रा करना किसी चुनौती और जोखिम से कम नहीं है.फिर भी डी कृष्ण कुमार ने अपने संकल्प को पूरा करने के लिए स्कूटर में ही वो सारे इंतजाम कर लिए जो यात्रा के लिहाज से जरुरी है. स्कूटर पर दो हेलमेट, पीछे दो स्टेपनी, पीने के पानी सहित कुछ जरूरी साजो सामान भी मौजूद हैं. कहीं यदि स्कूटर खराब होता है तो उसे कृष्ण कुमार खुद ही सुधारते हैं.इसके लिए वो एक्स्ट्रा प्लग और स्टेपनी अपने साथ रखते हैं.इतनी लंबी यात्रा में अब तक ऐसा कहीं नहीं हुआ, कि वो अपनी मां के साथ स्कूटर की खराबी की वजह से कहीं फंसे हो या फिर उन्हें किसी तरह की परेशानी उठानी पड़ी हो.

क्यों यात्रा का लिया संकल्प : ईटीवी भारत को डी कृष्ण कुमार ने बताया कि 16 जनवरी 2018 से मातृ सेवा संकल्प यात्रा मैसूर से शुरू की गई. इसका विचार इसलिए आया कि हम पहले सयुक्त परिवार में रहते थे. 10 लोगों का परिवार था. उस समय मेरी मां सुबह से लेकर रात तक घर का काम करती थी.रसोई पकाना, कपड़ा धोना, बर्तन साफ करना, जमीन पोंछना, इसी कामों में उनका 68 साल का जीवन बीत गया. वो कभी भी बाहर नहीं गई ,इस बीच 2015 में पिताजी की मृत्यु हो गई. उस दौरान मैं बेंगलुरु में काम करता था. एक दिन माताजी से बातचीत के दौरान मैंने उनसे पूछा कि मां आपने कोई तीर्थ यात्रा की है, तो मां ने कहा कि मैंने पास का मंदिर भी अब तक नहीं देखा है.

Shravan Kumar of Kalyug
स्कूटर पर 75 साल की मां को करवाया तीर्थ दर्शन (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

मां की बातें सुनकर मुझे काफी दुख हुआ. मुझे जन्म देने वाली मां अब तक पास के मंदिर का दर्शन भी नहीं कर सकी है. इस दौरान मैंने मां को कहा कि आप चिंता मत करिए, मैं सिर्फ यही मंदिर नहीं बल्कि सारे भारत की तीर्थ यात्रा कराऊंगा. इसके बाद इस मातृ सेवा संकल्प यात्रा की शुरुआत हुई.अब तक 96205 किलोमीटर की यात्रा कर चुका हूं. इस दौरान सारा भारत घूम चुके हैं. इसके अलावा नेपाल ,भूटान, म्यांमार भी इसी स्कूटर से घूम चुका हूं - डी कृष्ण कुमार, तीर्थयात्री

स्कूटर पर ही यात्रा क्यों ?: डी कृष्ण कुमार ने कहा कि यह स्कूटर मेरे पिताजी का दिया गया पहला उपहार है. जब मैं 21 साल का था ,तो उस समय मेरे पिताजी ने यह पहला गिफ्ट दिया था. इस स्कूटर को मैं पिता मानता हूं.स्कूटर पर यात्रा करते समय लगता है, कि सिर्फ मां और बेटे ही यात्रा नहीं कर रहे हैं , बल्कि हमारे पिताजी भी हमारे साथ तीर्थ यात्रा कर रहे हैं. इसी सोच के साथ मैंने स्कूटर पर यात्रा शुरू की थी.

Shravan Kumar of Kalyug
75 साल की मां को करवाया तीर्थ दर्शन (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

कोरोना काल में कैसे की यात्रा ?: डी कृष्ण कुमार ने कहा कि कोरोना के समय हम भूटान बॉर्डर पर फंसे थे.एक महीना 22 दिन हम वहां रहे.बाद में कुछ लोगों के सहयोग से वहां से आने जाने का पास लेकर वहां से निकले . उस दौरान 2673 किलोमीटर का सफर कर सिर्फ 7 दिन में कर्नाटक पहुंचे थे. इसके बाद कोविड के दौरान हम कहीं नहीं गए. बाद में जब सब सामान्य स्थिति हो गई, उसके बाद दोबारा तीर्थ यात्रा शुरू किया. यात्रा के दौरान भोजन व्यवस्था के सवाल पर डी कृष्ण कुमार ने कहा कि हम मंदिर, मठ आश्रम जैसी जगहों में जो भोग मिलता है उसे खाते हैं ,इसलिए हमारी तबीयत अब तक एक दिन भी खराब नहीं हुई है. हमें खांसी ,बुखार, सर्दी ,जुखाम पीठ में दर्द, कुछ भी नहीं हुआ है.

Shravan Kumar of Kalyug
कोरोना ने रोकी तीर्थ यात्रा की राह (ETV BHARAT CHHATTISGARH)


तीर्थ यात्रा के लिए कहां से आते हैं पैसे : इतनी लंबी यात्रा के लिए पेट्रोल खर्च के सवाल पर डी कृष्ण कुमार ने कहा कि ये वो अपने खर्चे पर करते हैं.कॉरपोरेट सेक्टर में काम किया था और उस दौरान का पूरा वेतन और कमीशन सब मां के खाते में जमा है. उस पैसे का हर महीने ब्याज मिलता है. उन्हीं पैसों से ये तीर्थ यात्रा कर रहे हैं. किसी से कोई भी राशि नहीं ली. इसके आगे कहां जाने की तैयारी है इस पर डी कृष्ण कुमार ने कहा कि रायपुर थोड़ा बहुत घूमेंगे, इसके बाद हम वापस अपने घर जाएंगे . क्योंकि हम लोगों ने पूरी तीर्थ यात्रा कर ली है. कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक ,द्वारका से परशुराम कुंड तक हो गया है.इस बीच नेपाल भूटान और मयंमार भी घूम चुके हैं. अब यात्रा संपन्न हो रही है, हम वापस घर जाएंगे.

मां ने बेटे के समर्पण को सराहा : वहीं डी कृष्ण कुमार की मां चुडा रत्नम्मा ने कहा कि शुरू में मैंने कुछ नहीं देखा था ,सिर्फ रसोई घर के काम करती थी ,बाहर कभी कुछ नहीं देखा. एक दिन जब मेरे बेटे से बात हुई तो मैंने उसको बताया कि मैंने अब तक कहीं कुछ नहीं देखा है. तो बेटे ने कहा कि मैं तुम्हें सब दिखाऊंगा. अब उसने अपने स्कूटर पर सारे भारत का भ्रमण कराया. भारत के अलावा नेपाल, भूटान, म्यंमार भी देखा. भारत में जितने भी तीर्थ स्थल है.उन सभी तीर्थ स्थल को दिखाया है.हमने नदियों में नहाया ,मंदिरों का दर्शन किया. मेरा जीवन सार्थक हो गया है.

गाड़ी पर बैठने में कोई दिक्कत नहीं होती ,आराम से बैठकर घूमती हूं. इस दौरान सुरक्षा का पूरा ख्याल रखते हैं. मेरा बेटा बहुत ख्याल रखना है.मुझे कोई तकलीफ नहीं होती.पूरा सफर आराम से कट जाता है- चुडा रत्नम्मा, तीर्थयात्री


चुडा रत्नम्मा ने कहा कि उनके बेटे को श्रवण कुमार का उपाधि मिली हुई है. सिर्फ मेरे बेटे को ही नहीं बल्कि सारे बेटों को यह उपाधि मिलनी चाहिए. यही मैं कहना चाहती हूं. सभी बेटे बुढ़ापे में अपने माता-पिता की अच्छी से देखरेख करें और अपने साथ रखें. वृद्धाश्रम भेजना या अन्य जगह पर उन्हें नहीं भेजना चाहिए. अपने साथी मां-बाप को रखना चाहिए. क्योंकि माता-पिता भी बच्चों के साथ ही रहना चाहते हैं.


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