पटना : राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर कमर कस चुका है. बीजेपी और जेडीयू के केंद्रीय मंत्री मैदान-ए-जंग में उतर आए हैं. बीजेपी ने अति पिछड़ा समुदाय से आने वाले नेता शिवराज सिंह चौहान के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी दी है, तो जेडीयू ने भी केंद्रीय मंत्री ललन सिंह को मैदान में उतारा है. एनडीए नेता प्रधानमंत्री के दौरे से पहले उसकी पटकथा लिखने में जुटे हैं.
शिवराज सिंह की NDA नेताओं के साथ बैठक : केन्द्रीय कृषि कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एनडीए नेताओं के साथ बैठक की और विधानसभा चुनाव को लेकर रणनीतियों पर विमर्श किया. बीजेपी दफ्तर में आयोजित बैठक में 10 जिलों के विधायक, सांसद, मंत्री और केंद्रीय मंत्रियों को बुलाया गया था. बैठक में शिवराज सिंह चौहान ने अपने इलाके में एनडीए उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने पर फोकस डालने की सलाह दी.
BJP दफ्तर में JDU नेताओं का लगा जमावड़ा : बीजेपी के प्रदेश कार्यालय में शनिवार को दिनभर गहमा गहमी रहा. उच्च स्तरीय बैठक का आयोजन हुआ. जेडीयू के तमाम बड़े नेता बीजेपी दफ्तर पहुंचे. केंद्रीय मंत्री ललन सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा के अलावा जेडीयू कोटे के कई मंत्री बीजेपी दफ्तर पहुंचे. पिछले कुछ सालों में पहली बार ललन सिंह बीजेपी दफ्तर पहुंचे. अटल बिहारी वाजपेई सभागार में आयोजित बैठक में हिस्सा लिया. बीजेपी की ओर से प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा बैठक में शामिल हुए.
PM मोदी का बिहार दौरा : दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 अप्रैल को बिहार दौरे पर आ रहे हैं. प्रधानमंत्री मिथिला क्षेत्र का दौरा करेंगे. कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री मधुबनी में घोषणाओं का पिटारा खोलेंगे. मखाना बोर्ड के गठन के बाद पंचायत प्रतिनिधियों के सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. माना जा रहा है कि पंचायत प्रतिनिधियों के लिए भी सरकार बड़ा ऐलान कर सकती है. ऐसे में एनडीए ने 10 जिलों को टार्गेट किया है. तमाम ऐसे जिले हैं जहां एनडीए मजबूत स्थिति में है. वहां से सांसद भी एनडीए कोटा के हैं.

''प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बिहार दौरा होने वाला है और प्रधानमंत्री के दौरे से पूर्व हम लोग तैयारी में जुटे हैं. शिवराज सिंह चौहान कृषि विभाग के मंत्री हैं. इस लिहाज से बिहार चुनाव में उनकी भूमिका अहम है.''- नितिन नवीन, मंत्री, बिहार सरकार
बीजेपी के टार्गेट पर मिथिलांचल के 10 जिले : मधुबनी, दरभंगा, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, शिवहर, मुजफ्फरपुर, अररिया, मधेपुरा, सहरसा और सुपौल जिले को बीजेपी ने प्राथमिकता में रखा है. इन जिलों में विधानसभा चुनाव में बीजेपी बेहतर प्रदर्शन अर्थात सत प्रतिशत सीटों को जीतना चाहती है. फिलहाल सभी लोकसभा सीटों पर एनडीए का कब्जा है और विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ऐसा ही नतीजा चाहती है.
''एनडीए 10 जिलों को इसलिए टार्गेट कर रहा है क्योंकि तमाम जिलों में लोकसभा सीट पर एनडीए का कब्जा है. पिछले विधानसभा चुनाव में एनडीए को कुछ सीटों का नुकसान हो गया था. इस बार एनडीए सत प्रतिशत सीटों को जीतना चाहती है. इसके लिए एनडीए नेता रणनीति तैयार करने में जुटे हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान मिथिलांचल एनडीए के लिए मजबूत किला साबित हुआ था. ऐसे में एनडीए नेता इस मजबूती को बरकरार रखना चाहते हैं.''- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

65 से 70 सीटों पर एनडीए की नजर : मिथिलांचल के इन 10 जिले में 65 से 70 विधानसभा सीट हैं. एनडीए तमाम सीटों पर जीत हासिल करना चाहता है. इसके लिए एनडीए के तमाम नेताओं को टास्क भी सौंपा गया है. मंत्री, विधायक और सांसदों के लिए जिम्मेदारी तय कर दी गई है. हर विधानसभा सीट के लिए एक व्यक्ति जिम्मेदार होंगे और उसकी रणनीति भी एनडीए की बैठक में तैयार की जा रही है.
''हम लोग मिथिलांचल के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मिथिलांचल के विकास के लिए झोला भरकर योजना देते हैं. इसके बदले में मिथिलांचल के लोग भी झोला भरकर सीट देते हैं. शिवराज सिंह चौहान अनुभवी नेता हैं और वह अति पिछड़ा समुदाय से आते हैं. उनके अनुभव का लाभ भी विधानसभा चुनाव में एनडीए को मिलने वाला है.''- हरि सहनी, मंत्री, बिहार सरकार
अब आइये आपको सभी 10 जिलों की स्थिति बताते हैं. वह भी 2020 में हुए विधानसभा चुनाव की नजर से.
- दरभंगा जिले को बीजेपी खास तवज्जो दे रही है. मखाना बोर्ड के गठन के बाद लोगों का समर्थन भी बीजेपी को हासिल हो रहा है. 2020 के विधानसभा चुनाव में दरभंगा जिले के 10 विधानसभा सीटों में चार पर बीजेपी का कब्जा है, तो तीन सीट जेडीयू के खाते में है. एक सीट विकासशील इंसान पार्टी के पक्ष में थी. विधायक एनडीए में शामिल हो चुके हैं. राष्ट्रीय जनता दल के पास 10 में सिर्फ दो विधायक हैं. अली नगर और दरभंगा ग्रामीण सीट राष्ट्रीय जनता दल के पास है. दोनों सीटों पर एनडीए की नजर है. किसी तरीके से एनडीए 10 में 10 सीट दरभंगा जिले में जीतना चाहेगा.
- मधुबनी जिले की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान है. मिथिला पेंटिंग की वजह से मधुबनी जिला बिहार में अलग स्थान रखता है. यहां के कलाकार और कलाकृति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरती है. मधुबनी कभी राष्ट्रीय जनता दल का मजबूत किला माना जाता था लेकिन अब परिस्थितियों बदल गई है. ज्यादातर सीटों पर एनडीए का कब्जा है. मधुबनी जिले में 10 विधानसभा सीटें हैं. 10 में दो मधुबनी और लौकहा राजद के खाते में है. दोनों सीटों को फतह करने के लिए एनडीए नेता रणनीति बना रहे हैं.
- सीतामढ़ी जिला भी इस बार राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जा रहा है. सीता मां की भव्य मंदिर निर्माण की प्रक्रिया चल रही है और एनडीए नेता इसे लेकर जनता के बीच जा रहे हैं. सीतामढ़ी जिले में आठ विधानसभा सीटे हैं. जिसमें दो बाजपट्टी और बेलसंड विधानसभा सीट पर राष्ट्रीय जनता दल का कब्जा है. दोनों सीटों पर एनडीए की नजर है.
- समस्तीपुर जिला एनडीए के लिए महत्वपूर्ण है. समस्तीपुर पूर्व मध्य रेलवे मंडल का मुख्यालय है. समस्तीपुर को मिथिला का प्रवेश द्वार भी माना जाता है. राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय समस्तीपुर की पहचान है. समस्तीपुर, उजियारपुर, मोरवा और हसनपुर विधानसभा सीट पर राष्ट्रीय जनता दल का कब्जा है. समस्तीपुर जिला एनडीए के लिए बड़ी चुनौती है. एनडीए समस्तीपुर में मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने के लिए मशक्कत कर रहा है.
- मुजफ्फरपुर जिले की पहचान शाही लीची को लेकर है. मुजफ्फरपुर की लीची देश-विदेश में पसंद की जाती है. मुजफ्फरपुर में कुल 11 विधानसभा सीटें हैं. जिसमें गायघाट, मीनापुर, बोचहा और कांटी विधानसभा सीट पर राष्ट्रीय जनता दल का कब्जा है. एनडीए राष्ट्रीय जनता दल के किले को ध्वस्त करना चाहेगा.
- शिवहर जिले की गिनती बिहार के छोटे जिलों में की जाती है. यहां पर एक ही सीट है. जिसपर आरजेडी के चेदन आनंद ने जीत हासिल की थी. हालांकि वह फिलहाल एनडीए खेमें में नजर आते हैं.
- अररिया जिला अल्पसंख्यक आबादी के लिए जाना जाता है. अररिया जिले में एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर होती है. जिले में कुल 6 विधानसभा सीटे हैं. जिसमें कि जोकीहाट और अररिया पर महागठबंधन का कब्जा है. एनडीए दोनों सीटों को हासिल करने के लिए जद्दोजत कर रहा है.
- मधेपुरा जिले के बारे में कहा जाता है कि रोम पोप का और मधेपुरा गोप का. मधेपुरा जिले के लिए बाढ़ और उससे हुई क्षति चुनावी मुद्दा हुआ करती है. मधेपुरा जिले में चार विधानसभा सीटे हैं. जिसमें एक मधेपुरा सीट पर राष्ट्रीय जनता दल का कब्जा है. शहरी सीट होने के चलते बीजेपी की नजर इस सीट पर है.
- सहरसा जिला भी बाढ़ प्रभावित जिला है. सहरसा जिले में चार विधानसभा सीटे हैं. जिसमें कि एक सिमरी बख्तियारपुर राष्ट्रीय जनता दल के खाते में है. एनडीए इस सीट को झटकाके की जुगत में है.
- सुपौल जिला कोसी का दंश झेलता है. सुपौल जिले में पांच विधानसभा सीट हैं. इसमें से सिंघेश्वर पर राष्ट्रीय जनता दल का कब्जा है. इसके साथ ही त्रिवेणीगंज आरक्षित सीट पर भी राष्ट्रीय जनता दल का कब्जा है. एनडीए नेता इन सीटों को झटकने की कोशिश में लगे हैं.
पंचायत प्रतिनिधि के सम्मेलन में होगा बड़ा ऐलान! : बीजेपी 2025 विधानसभा चुनाव किसानों और स्थानीय निकाय के मुद्दों के इर्द-गिर्द लड़ना चाहती है. शिवराज सिंह चौहान के पास जहां कृषि मंत्रालय का प्रभाव है, वहीं ग्रामीण विकास मंत्रालय भी शिवराज सिंह चौहान देख रहे हैं. दोनों विभाग के जरिए बिहार में विकास को बीजेपी रफ्तार देना चाहती है. मखाना बोर्ड के गठन के बाद मिथिलांचल दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पंचायत प्रतिनिधियों के सम्मेलन में बड़ा ऐलान कर सकते हैं.
आज भाजपा प्रदेश कार्यालय में माननीय केंद्रीय कृषि मंत्री श्री @ChouhanShivraj जी की गरिमामयी उपस्थिति में एनडीए के सहयोगी दलों के प्रदेश अध्यक्षों एवं वरिष्ठ नेताओं की महत्वपूर्ण बैठक सम्पन हुई।
— BJP Bihar (@BJP4Bihar) April 12, 2025
बैठक में आगामी 24 अप्रैल को मधुबनी में आयोजित होने वाले आदरणीय प्रधानमंत्री श्री… pic.twitter.com/rehgSqGGIu
शिवराज के समक्ष गुटबाजी बड़ी चुनौती : भारतीय जनता पार्टी ने मिशन 2025 को फतह करने के लिए खास रणनीति तैयार की है. मध्य प्रदेश में तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके और अति पिछड़ा समुदाय से आने वाले नेता शिवराज सिंह चौहान को बिहार में बड़ी जिम्मेदारी दी गई है. शिवराज सिंह चौहान बिहार में चुनाव प्रभारी हैं और इनका लंबा विधायी अनुभव है. शिवराज सिंह चौहान स्वच्छ छवि के नेता हैं और उनके कंधों पर बिहार बीजेपी के अंदर चल रही गुटबाजी को कम करने की जिम्मेदारी है.
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