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मिनी ब्राजील के ये असल साइलेंट हीरो, फुटबॉल से ऐसा प्रेम, पूरे गांव को बना दिया फुटबॉल लवर - VICHARPUR VILLAGE FOOTBALL HISTORY

शहडोल के मिनी ब्राजील यानी विचारपुर में कैसे हुई थी फुटबॉल की शुरुआत. कैसे इस गेम के प्रति प्रेम ने तैयार कर दिए तमाम नेशनल

VICHARPUR VILLAGE FOOTBALL HISTORY
मिनी ब्राजील में कैसे हुई थी फुटबॉल की शुरुआत (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : March 26, 2025 at 8:22 PM IST

8 Min Read

शहडोल: (अखिलेश शुक्ला) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब से मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के विचारपुर गांव को 'मिनी ब्राजील' नाम से संबोधित किया है, तब से इस आदिवासी बाहुल्य गांव पर सबकी निगाहें टिक गई हैं. लोग इस मिनी ब्राजील के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने में उत्सुकता दिखा रहे हैं. वो जानना चाह रहे हैं कि आखिर इस गांव में ऐसा क्या है कि यहां से फुटबॉल के इतने खिलाड़ी निकल रहे हैं और देश-प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं. आखिर इस मिनी ब्राजील के असल साइलेंट हीरोज कौन हैं? कैसे इस गांव में फुटबॉल की एंट्री हुई? कैसे कई दशक पहले बना एक फुटबॉल क्लब इस गांव के फुटबॉल की नर्सरी बन गया. विस्तार से जानते हैं.

इन दिनों सुर्खियों में है 'मिनी ब्राजील'

शहडोल जिला मुख्यालय से लगा हुआ यह विचारपुर गांव आदिवासी बाहुल्य गांव है. इसकी आबादी लगभग 1500 है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने शहडोल दौरे के बाद 2 बार इस मिनी ब्राजील का जिक्र किया. इसके बाद से ही विचारपुर गांव की पहचान मिनी ब्राजील के तौर पर होने लगी. अब सबके मन में इस गांव और गांव में फुटबॉल के प्रेम और टैलेंट के बारे में जानने की उत्सुकता तेज हो गई है.

अंग्रेजों के जमाने से फुटबॉल खेल रहा खानदान (ETV Bharat)

विचारपुर के इस ग्राउंड पर बच्चों को फुटबॉल का गुर सिखाने वाले नीलेंद्र कुंडे ने बताया कि "इस गांव में फुटबॉल की शुरुआत करीब 50 साल पहले उनके पिता सुरेश कुंडे ने की थी. साल 1999 में इस प्रगति फुटबॉल क्लब का रजिस्ट्रेशन हुआ था." उनके पिता द्वारा बनाया गया यह फुटबॉल क्लब आज फुटबॉल की नर्सरी बन गया है. अब नीलेंद्र कुंडे अपने पिता द्वारा स्थापित इस क्लब को आगे बढ़ा रहे हैं और बच्चों को ट्रेनिंग दे रहे हैं.

क्लब के खिलाड़ी जीत चुके हैं कई ट्रॉफियां

सुरेश कुंडे बहुत पहले विचारपुर में अपना परिवार लेकर आ गए थे. इसके बाद उन्होंने यहां के युवाओं को फुटबॉल से जोड़ना शुरू किया. इसकी शुरुआत उन्होंने पहले एक छोटे मैदान बनाकर की. फिर गांव वालों के सहयोग से बड़ा मैदान हो गया और क्लब का रजिस्ट्रेशन भी हो गया. हालांकि क्लब के रजिस्ट्रेशन होने से पहले ही यहां के खिलाड़ी दूर-दूर टूर्नामेंट में भाग लेना शुरू कर दिए थे और कई ट्राफियां भी जीत चुके थे. रजिस्ट्रेशन होने के बाद उनके हौसले और बढ़ गए. इसके बाद धीरे-धीरे बड़े लेवल के खिलाड़ी यहां से निकलने लगे. जिसमें कई ने नेशनल लेवल पर भी प्रतिनिधित्व किया. यहां से कॉलरी, धनपुरी, जबलपुर, बिलासपुर, रीवा संभाग, छत्तीसगढ़ के कई जगहों पर टीम मैच खेलने जाती थी और जीतती भी थी.

Pragati Club in Vicharpur Village
ये क्लब है फुटबॉल की नर्सरी (ETV Bharat)

ये क्लब है फुटबॉल की नर्सरी

नीलेन्द्र कुंडे बताते हैं कि "प्रगति फुटबॉल क्लब से अब तक 40-50 से अधिक खिलाड़ी नेशनल खेल चुके हैं. कई खिलाड़ी तो यहां से नेशनल खेलने के बाद अब दूसरी जगह लोगों को सिखाने भी लगे हैं. विचारपुर में नेशनल खेलने वाले अधिकतर बच्चे इसी क्लब से निकले हैं. यहीं से उन्होंने फुटबॉल की एबीसीडी सीखी है. पहले हमारे सीनियर ट्रेनिंग देते थे. मेरे पिताजी सुरेश कुंडे खुद सिखाते थे और अब मैं यहां ट्रेनिंग देने लगा हूं, क्योंकि स्वास्थ्य कारणों से पिताजी ट्रेनिंग नहीं दे पाते. इसलिए अब क्लब की पूरी जिम्मेदारी मैंने ले ली है."

MINI BRAZIL OF MADHYA PRADESH
नई पीढ़ी के खिलाड़ियों के किया जा रहा तैयार (ETV Bharat)

अंग्रेजों के जमाने से फुटबॉल खेल रहा खानदान

नीलेंद्र कुंड बताते हैं कि "उनका पूरा खानदान अंग्रेजों के जमाने से फुटबॉल खेल रहा है. नीलेन्द्र के बड़े पिताजी पहले रेलवे में थे और वे रेलवे में अंग्रेजों के साथ फुटबॉल खेला करते थे. मेरे बड़े पिताजी मुरलीधर कुंडे से मेरे पिताजी सुरेश कुंडे ने फुटबॉल के गुरु सीखे थे. फिर वो जब विचारपुर पहुंचे, तो वहां उन्होंने पूरे गांव को फुटबॉल के प्रति मोड़ना शुरू किया. गांव वालों को फुटबॉल सिखाना शुरू किया. सुरेश कुंडे एक बहुत अच्छे फुटबॉल प्लेयर रहे हैं. सुरेश कुंडे तीन नेशनल खेल चुके हैं, जिसमें ओपन नेशनल भी शामिल है. वो अच्छे एथलीट भी रहे चुके हैं. 100 मीटर में फर्स्ट रैंक लाकर उन्होंने नेशनल लेवल पर मेडल भी जीता है."

VICHARPUR VILLAGE AS MINI BRAZIL
क्लब के खिलाड़ी जीत चुके हैं कई ट्रॉफियां (ETV Bharat)

फुटबॉल के लिए कई नौकरी छोड़ी

नीलेन्द्र कुंडे बताते हैं कि "विचारपुर में फुटबॉल की शुरुआत करने वाले सुरेश कुंडे में फुटबॉल के प्रति इतना प्रेम था कि उन्होंने कई नौकरियां छोड़ दी थी. उन्होंने रेलवे, कोल माइंस, एयर इंडिया, बैंक जैसी कई नौकरियां कुर्बान कर दी थी, सिर्फ इसलिए कि उनको फुटबॉल से प्रेम था और वह फुटबॉल के लिए ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ी तैयार करना चाहते थे." नीलेन्द्र कुंडे बहुत खुश हैं. वो कहते हैं कि "आज उनके पिताजी का सपना साकार हो गया. उनके पिताजी चाहते थे की विचारपुर का फुटबॉल बड़े लेवल पर जाए. आज उसका फल दिखना शुरू हो चुका है. विचारपुर अब मिनी ब्राजील के नाम से जाना जाने लगा है."

पिता के नक्शे कदम पर बेटा

सुरेश कुंडे जिस फुटबॉल को दशकों पहले विचारपुर गांव में लेकर आए अब उस फुटबॉल को आगे बढ़ाने के लिए गांव के कई लोग आ चुके हैं. खेलों इंडिया का सब सेंटर भी खुल चुका है. नीलेन्द्र भी अपने पिता के क्लब को आगे बढ़ा रहे हैं. नीलेन्द्र भी अपने जमाने के स्टार खिलाड़ियों में से एक रहे. वो 5 बार नेशनल लेवल पर खेल चुके हैं, जिसमें एक ओपन नेशनल भी है. उनका चयन 2 बार इंडियन टीम के लिए भी हुआ था लेकिन दुर्भाग्य से उनके देश के लिए खेलने का मौका नहीं मिला.

Shahdol MINI BRAZIL Football player
नीलेन्द्र कुंडे जीत चुके हैं कई बार खेल चुके हैं नेशनल (ETV Bharat)

नीलेंद्र बताते हैं कि "सागर में नेशनल हुआ था. वहां वे बेस्ट स्कोरर रहे थे. जिसके बाद श्रीलंका के खिलाफ उनका सिलेक्शन हो गया, लेकिन उस समय श्रीलंका में सुनामी आ गई और टूर्नामेंट नहीं हो पाया था. इसके अलावा वे बेंगलुरु में हुए नेशनल गेम में भी टॉप स्कोरर रहे थे. तब उन्हें पता चला था कि उनका चयन जर्मनी के खिलाफ टीम इंडिया में हुआ है, लेकिन फिर बाद में उसका कुछ पता नहीं चला." नीलेन्द्र एक बेस्ट फारवर्ड खिलाड़ी रह चुके हैं.

क्लब में फ्री में ट्रेनिंग, आज भी कई बच्चे

आपको बता दें कि प्रगति क्लब में बच्चों को फुटबॉल की फ्री ट्रेनिंग दी जाती है. उनसे किसी भी प्रकार को कोई शुल्क नहीं लिया जाता. नीलेंद्र ने बताया कि "यह निशुल्क सुविधा शुरू से ही है. इस समय 30 से 40 बच्चे सीखने के लिए आते हैं. जिसमें छोटी उम्र से लेकर बड़ी उम्र तक के बच्चे शामिल हैं. हमने एक टीम तैयार की है जो टूर्नामेंट खेलने जाती है. नए बच्चों को अगली पीढ़ी के लिए तैयार कर रहे हैं. जब हमारे खिलाड़ी सीनियर होंगे तो वो उन्हें रिप्लेस करेंगे."

PRAGATI CLUB IN VICHARPUR VILLAGE
क्लब के संस्थापक सुरेश कुंडे और उनके बेटे नीलेंद्र कुंडे (ETV Bharat)

जब फ्री में ट्रेनिंग कर रहे हैं तो उसका खर्च कैसे चलता है, इसे लेकर नीलेंद्र कुंड कहते हैं "पैसे खुद से जोड़कर फुटबॉल आदि खरीद लेते हैं. कुछ समाजसेवी भी कभी-कभी हेल्प कर देते हैं. खेल युवा कल्याण से अजय सोंधिया भी मदद कर देते हैं. इसके अलावा फुटबॉल के लिए हम आवेदन कर देते हैं तो वहां से फुटबॉल मिल जाता है."

नीलेंद्र को है सरकार से मदद की आस

नीलेन्द्र कहते हैं कि "अगर सरकारी सहयोग मिल जाए, तो मैदान मेंटेन हो जाए. बच्चों को किट आदि मिल जाए. समय-समय से फुटबॉल मिल जाए तो इस फुटबॉल की नर्सरी से कई और ऐसे नेशनल खिलाड़ी निकल सकते हैं जो आगे अब इंटरनेशनल तक का सफर भी तय कर सकते हैं. इस मिनी ब्राजील के खिलाड़ी ब्राजील के खिलाफ भी खेलते नजर आ सकते हैं, बस जरूरत है समय से संसाधन और अवसर देने की."

शहडोल: (अखिलेश शुक्ला) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब से मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के विचारपुर गांव को 'मिनी ब्राजील' नाम से संबोधित किया है, तब से इस आदिवासी बाहुल्य गांव पर सबकी निगाहें टिक गई हैं. लोग इस मिनी ब्राजील के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने में उत्सुकता दिखा रहे हैं. वो जानना चाह रहे हैं कि आखिर इस गांव में ऐसा क्या है कि यहां से फुटबॉल के इतने खिलाड़ी निकल रहे हैं और देश-प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं. आखिर इस मिनी ब्राजील के असल साइलेंट हीरोज कौन हैं? कैसे इस गांव में फुटबॉल की एंट्री हुई? कैसे कई दशक पहले बना एक फुटबॉल क्लब इस गांव के फुटबॉल की नर्सरी बन गया. विस्तार से जानते हैं.

इन दिनों सुर्खियों में है 'मिनी ब्राजील'

शहडोल जिला मुख्यालय से लगा हुआ यह विचारपुर गांव आदिवासी बाहुल्य गांव है. इसकी आबादी लगभग 1500 है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने शहडोल दौरे के बाद 2 बार इस मिनी ब्राजील का जिक्र किया. इसके बाद से ही विचारपुर गांव की पहचान मिनी ब्राजील के तौर पर होने लगी. अब सबके मन में इस गांव और गांव में फुटबॉल के प्रेम और टैलेंट के बारे में जानने की उत्सुकता तेज हो गई है.

अंग्रेजों के जमाने से फुटबॉल खेल रहा खानदान (ETV Bharat)

विचारपुर के इस ग्राउंड पर बच्चों को फुटबॉल का गुर सिखाने वाले नीलेंद्र कुंडे ने बताया कि "इस गांव में फुटबॉल की शुरुआत करीब 50 साल पहले उनके पिता सुरेश कुंडे ने की थी. साल 1999 में इस प्रगति फुटबॉल क्लब का रजिस्ट्रेशन हुआ था." उनके पिता द्वारा बनाया गया यह फुटबॉल क्लब आज फुटबॉल की नर्सरी बन गया है. अब नीलेंद्र कुंडे अपने पिता द्वारा स्थापित इस क्लब को आगे बढ़ा रहे हैं और बच्चों को ट्रेनिंग दे रहे हैं.

क्लब के खिलाड़ी जीत चुके हैं कई ट्रॉफियां

सुरेश कुंडे बहुत पहले विचारपुर में अपना परिवार लेकर आ गए थे. इसके बाद उन्होंने यहां के युवाओं को फुटबॉल से जोड़ना शुरू किया. इसकी शुरुआत उन्होंने पहले एक छोटे मैदान बनाकर की. फिर गांव वालों के सहयोग से बड़ा मैदान हो गया और क्लब का रजिस्ट्रेशन भी हो गया. हालांकि क्लब के रजिस्ट्रेशन होने से पहले ही यहां के खिलाड़ी दूर-दूर टूर्नामेंट में भाग लेना शुरू कर दिए थे और कई ट्राफियां भी जीत चुके थे. रजिस्ट्रेशन होने के बाद उनके हौसले और बढ़ गए. इसके बाद धीरे-धीरे बड़े लेवल के खिलाड़ी यहां से निकलने लगे. जिसमें कई ने नेशनल लेवल पर भी प्रतिनिधित्व किया. यहां से कॉलरी, धनपुरी, जबलपुर, बिलासपुर, रीवा संभाग, छत्तीसगढ़ के कई जगहों पर टीम मैच खेलने जाती थी और जीतती भी थी.

Pragati Club in Vicharpur Village
ये क्लब है फुटबॉल की नर्सरी (ETV Bharat)

ये क्लब है फुटबॉल की नर्सरी

नीलेन्द्र कुंडे बताते हैं कि "प्रगति फुटबॉल क्लब से अब तक 40-50 से अधिक खिलाड़ी नेशनल खेल चुके हैं. कई खिलाड़ी तो यहां से नेशनल खेलने के बाद अब दूसरी जगह लोगों को सिखाने भी लगे हैं. विचारपुर में नेशनल खेलने वाले अधिकतर बच्चे इसी क्लब से निकले हैं. यहीं से उन्होंने फुटबॉल की एबीसीडी सीखी है. पहले हमारे सीनियर ट्रेनिंग देते थे. मेरे पिताजी सुरेश कुंडे खुद सिखाते थे और अब मैं यहां ट्रेनिंग देने लगा हूं, क्योंकि स्वास्थ्य कारणों से पिताजी ट्रेनिंग नहीं दे पाते. इसलिए अब क्लब की पूरी जिम्मेदारी मैंने ले ली है."

MINI BRAZIL OF MADHYA PRADESH
नई पीढ़ी के खिलाड़ियों के किया जा रहा तैयार (ETV Bharat)

अंग्रेजों के जमाने से फुटबॉल खेल रहा खानदान

नीलेंद्र कुंड बताते हैं कि "उनका पूरा खानदान अंग्रेजों के जमाने से फुटबॉल खेल रहा है. नीलेन्द्र के बड़े पिताजी पहले रेलवे में थे और वे रेलवे में अंग्रेजों के साथ फुटबॉल खेला करते थे. मेरे बड़े पिताजी मुरलीधर कुंडे से मेरे पिताजी सुरेश कुंडे ने फुटबॉल के गुरु सीखे थे. फिर वो जब विचारपुर पहुंचे, तो वहां उन्होंने पूरे गांव को फुटबॉल के प्रति मोड़ना शुरू किया. गांव वालों को फुटबॉल सिखाना शुरू किया. सुरेश कुंडे एक बहुत अच्छे फुटबॉल प्लेयर रहे हैं. सुरेश कुंडे तीन नेशनल खेल चुके हैं, जिसमें ओपन नेशनल भी शामिल है. वो अच्छे एथलीट भी रहे चुके हैं. 100 मीटर में फर्स्ट रैंक लाकर उन्होंने नेशनल लेवल पर मेडल भी जीता है."

VICHARPUR VILLAGE AS MINI BRAZIL
क्लब के खिलाड़ी जीत चुके हैं कई ट्रॉफियां (ETV Bharat)

फुटबॉल के लिए कई नौकरी छोड़ी

नीलेन्द्र कुंडे बताते हैं कि "विचारपुर में फुटबॉल की शुरुआत करने वाले सुरेश कुंडे में फुटबॉल के प्रति इतना प्रेम था कि उन्होंने कई नौकरियां छोड़ दी थी. उन्होंने रेलवे, कोल माइंस, एयर इंडिया, बैंक जैसी कई नौकरियां कुर्बान कर दी थी, सिर्फ इसलिए कि उनको फुटबॉल से प्रेम था और वह फुटबॉल के लिए ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ी तैयार करना चाहते थे." नीलेन्द्र कुंडे बहुत खुश हैं. वो कहते हैं कि "आज उनके पिताजी का सपना साकार हो गया. उनके पिताजी चाहते थे की विचारपुर का फुटबॉल बड़े लेवल पर जाए. आज उसका फल दिखना शुरू हो चुका है. विचारपुर अब मिनी ब्राजील के नाम से जाना जाने लगा है."

पिता के नक्शे कदम पर बेटा

सुरेश कुंडे जिस फुटबॉल को दशकों पहले विचारपुर गांव में लेकर आए अब उस फुटबॉल को आगे बढ़ाने के लिए गांव के कई लोग आ चुके हैं. खेलों इंडिया का सब सेंटर भी खुल चुका है. नीलेन्द्र भी अपने पिता के क्लब को आगे बढ़ा रहे हैं. नीलेन्द्र भी अपने जमाने के स्टार खिलाड़ियों में से एक रहे. वो 5 बार नेशनल लेवल पर खेल चुके हैं, जिसमें एक ओपन नेशनल भी है. उनका चयन 2 बार इंडियन टीम के लिए भी हुआ था लेकिन दुर्भाग्य से उनके देश के लिए खेलने का मौका नहीं मिला.

Shahdol MINI BRAZIL Football player
नीलेन्द्र कुंडे जीत चुके हैं कई बार खेल चुके हैं नेशनल (ETV Bharat)

नीलेंद्र बताते हैं कि "सागर में नेशनल हुआ था. वहां वे बेस्ट स्कोरर रहे थे. जिसके बाद श्रीलंका के खिलाफ उनका सिलेक्शन हो गया, लेकिन उस समय श्रीलंका में सुनामी आ गई और टूर्नामेंट नहीं हो पाया था. इसके अलावा वे बेंगलुरु में हुए नेशनल गेम में भी टॉप स्कोरर रहे थे. तब उन्हें पता चला था कि उनका चयन जर्मनी के खिलाफ टीम इंडिया में हुआ है, लेकिन फिर बाद में उसका कुछ पता नहीं चला." नीलेन्द्र एक बेस्ट फारवर्ड खिलाड़ी रह चुके हैं.

क्लब में फ्री में ट्रेनिंग, आज भी कई बच्चे

आपको बता दें कि प्रगति क्लब में बच्चों को फुटबॉल की फ्री ट्रेनिंग दी जाती है. उनसे किसी भी प्रकार को कोई शुल्क नहीं लिया जाता. नीलेंद्र ने बताया कि "यह निशुल्क सुविधा शुरू से ही है. इस समय 30 से 40 बच्चे सीखने के लिए आते हैं. जिसमें छोटी उम्र से लेकर बड़ी उम्र तक के बच्चे शामिल हैं. हमने एक टीम तैयार की है जो टूर्नामेंट खेलने जाती है. नए बच्चों को अगली पीढ़ी के लिए तैयार कर रहे हैं. जब हमारे खिलाड़ी सीनियर होंगे तो वो उन्हें रिप्लेस करेंगे."

PRAGATI CLUB IN VICHARPUR VILLAGE
क्लब के संस्थापक सुरेश कुंडे और उनके बेटे नीलेंद्र कुंडे (ETV Bharat)

जब फ्री में ट्रेनिंग कर रहे हैं तो उसका खर्च कैसे चलता है, इसे लेकर नीलेंद्र कुंड कहते हैं "पैसे खुद से जोड़कर फुटबॉल आदि खरीद लेते हैं. कुछ समाजसेवी भी कभी-कभी हेल्प कर देते हैं. खेल युवा कल्याण से अजय सोंधिया भी मदद कर देते हैं. इसके अलावा फुटबॉल के लिए हम आवेदन कर देते हैं तो वहां से फुटबॉल मिल जाता है."

नीलेंद्र को है सरकार से मदद की आस

नीलेन्द्र कहते हैं कि "अगर सरकारी सहयोग मिल जाए, तो मैदान मेंटेन हो जाए. बच्चों को किट आदि मिल जाए. समय-समय से फुटबॉल मिल जाए तो इस फुटबॉल की नर्सरी से कई और ऐसे नेशनल खिलाड़ी निकल सकते हैं जो आगे अब इंटरनेशनल तक का सफर भी तय कर सकते हैं. इस मिनी ब्राजील के खिलाड़ी ब्राजील के खिलाफ भी खेलते नजर आ सकते हैं, बस जरूरत है समय से संसाधन और अवसर देने की."

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