चेन्नई: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को सराहा, जिसमें कहा गया कि राज्यपाल द्वारा पारित विधेयकों को उनकी अनुमति के बिना तमिलनाडु विधानसभा में वापस भेजना अवैध था. मुख्यमंत्री ने इस फैसले को 'राज्य स्वायत्तता और केंद्र में संघवाद के लक्ष्य को प्राप्त करने' के लिए एक मार्गदर्शक बताया है. उन्होंने दृढ़ संकल्प के साथ कहा कि उनकी सरकार राज्य स्वायत्तता प्राप्त करने और एक संघीय भारत का निर्माण करने के लिए प्रतिबद्ध है.
चेन्नई में आयोजित एक सम्मान समारोह में, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकीलों को सम्मानित किया गया जिन्होंने तमिलनाडु सरकार की ओर से पैरवी की, मुख्यमंत्री स्टालिन ने इस फैसले को लोकतंत्र और राज्य विधानमंडलों के अधिकारों की बहुत बड़ी जीत करार दिया. उन्होंने कहा कि यह फैसला ऐसे समय में आया है जब राज्यपाल के नियुक्त पद के माध्यम से राज्य सरकारों को नियंत्रित करने के प्रयास किए जा रहे थे.
एक ऐतिहासिक निर्णय: मुख्यमंत्री स्टालिन ने इस बात पर जोर दिया कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला ऐतिहासिक होगा क्योंकि इसने राज्यपाल और राष्ट्रपति के लिए समय सीमा निर्धारित की है. उन्होंने कहा कि सभी भारतीय राज्यों ने इस फैसले का स्वागत किया है और यह हमेशा एक ऐतिहासिक चार्टर के रूप में कायम रहेगा, जो केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों के विभाजन में राज्य सरकारों के अधिकारों की रक्षा करेगा.
तमिलनाडु सरकार की ओर से पैरवी करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ताओं, जैसे मुकुल रोहतगी, अभिषेक सिंघवी, राकेश द्विवेदी और विल्सन, की मुख्यमंत्री स्टालिन ने सराहना की. उन्होंने कहा कि यह जीत न केवल तमिलनाडु की जीत है, बल्कि भारत के सभी राज्यों, सभी राज्यों की जनता और लोकतंत्र की जीत है.
राज्य स्वायत्तता और संघीय भारत का निर्माण:
मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि उनकी सरकार ने इस फैसले से मिली नई आशा और विश्वास के साथ राज्य स्वायत्तता समिति का गठन किया है. उन्होंने महान विद्वान अन्ना के "राज्यों में स्वायत्तता! केंद्र में संघवाद" के लक्ष्य पर जोर दिया, और कहा कि यह निर्णय उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक मार्गदर्शक है. उन्होंने दृढ़ता से कहा कि उनकी सरकार राज्य स्वायत्तता प्राप्त करेगी और एक संघीय भारत का निर्माण करेगी.
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