नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह इस मुद्दे पर विचार करेगा कि क्या दाढ़ी रखने के कारण किसी मुस्लिम व्यक्ति को पुलिस बल से निलंबित करना संविधान के तहत धर्म का पालन करने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है. न्यायालय ने कहा, 'यह संविधान का एक महत्वपूर्ण मुद्दा है.'
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने महाराष्ट्र गृह मंत्रालय के खिलाफ जहीरोद्दीन एस. बेदादे द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की. पीठ में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल थे. सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि इस मामले की सुनवाई लोक अदालत में हुई थी, लेकिन इस मुद्दे का समाधान नहीं हो सका.
पीठ ने कहा, 'यह संविधान का एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. हम इस मामले को गैर-विविध दिन (non-miscellaneous day) सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेंगे.' संविधान का अनुच्छेद 25 अंतरात्मा की स्वतंत्रता और धर्म को स्वतंत्र रूप से मानने, उसका पालन करने और प्रचार करने के अधिकार से संबंधित है. याचिकाकर्ता महाराष्ट्र राज्य रिजर्व पुलिस बल (SRPF) का एक मुस्लिम कांस्टेबल है.
उन्हें दाढ़ी रखने के कारण निलंबित कर दिया गया, जो कि 1951 के बॉम्बे पुलिस मैनुअल का उल्लंघन था. 2015 में उन्होंने अपने निलंबन को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. सुप्रीम कोर्ट ने पहले कहा था कि अगर वह दाढ़ी कटवाने के लिए राजी हो जाएं तो उनका निलंबन रद्द कर दिया जाएगा. हालांकि, याचिकाकर्ता ने तब शर्त मानने से इनकार कर दिया था.