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किसी राजनीतिक दल के सदस्य को बार चुनाव लड़ने से रोकने वाला कोई कानून नहीं बनाया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट - POLITICAL PARTY IN BAR COUNCIL

सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दल से जुड़े व्यक्ति को बार निकाय का चुनाव लड़ने से रोकने वाली याचिका को खारिज कर दिया.

Supreme Court Of India
भारत का सर्वोच्च न्यायालय (ANI)
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By Sumit Saxena

Published : Dec 6, 2024, 6:36 PM IST

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो किसी राजनीतिक दल के सक्रिय सदस्य को बार निकायों का चुनाव लड़ने से रोकता हो और वह ऐसा कोई कानून भी नहीं बना सकता है. कोर्ट ने कहा, "लोकतंत्र में हमेशा अलग-अलग विचारधाराओं की गुंजाइश होती है, लेकिन यह संविधान के अनुरूप होनी चाहिए."

यह मामला न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ के समक्ष आया. पीठ ने कहा कि लोकतंत्र में हमेशा अलग-अलग विचारधाराओं की गुंजाइश होती है, लेकिन यह संविधान के अनुरूप होनी चाहिए. "ऐसा कोई कानून नहीं है जो किसी राजनीतिक दल के सक्रिय सदस्य को बार निकायों का चुनाव लड़ने से रोकता हो. आप चाहते हैं कि हम कोई कानून बनाएं. पीठ ने कहा, "क्षमा करें, ऐसा नहीं किया जा सकता."

वरिष्ठ अधिवक्ता सिराजुद्दीन, याचिकाकर्ता अधिवक्ता जया सुकिन की ओर से पीठ के समक्ष उपस्थित हुए. पीठ ने कानूनी दिग्गज राम जेठमलानी का हवाला दिया और कहा कि वे बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष पद पर थे और एससीबीए के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया. पीठ ने पूछा, "यदि बार के किसी पदाधिकारी की कोई राजनीतिक विचारधारा है, तो इसमें क्या गलत है?"

शीर्ष अदालत ने ये टिप्पणियां एक अधिवक्ता द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए कीं, जिसमें केंद्र और बार काउंसिल ऑफ इंडिया को निर्देश देने की मांग की गई थी कि बार निकायों के चुनाव लड़ने वालों को किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं होना चाहिए.

आज सुनवाई के दौरान पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से आगे पूछा, आप कपिल सिब्बल को एससीबीए (सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन) के अध्यक्ष पद से हटाना चाहते हैं? आप (मनन कुमार) मिश्रा (बिहार से राज्यसभा सदस्य) को बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष पद से हटाना चाहते हैं?

जेठमलानी का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि वह संसद में भी थे और विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़े हुए थे. पीठ ने कहा, "क्या आप चाहते हैं कि देश इन प्रतिभाशाली व्यक्तियों के विचारों और योगदान से वंचित रहे?" पीठ ने कहा, "हमें नहीं लगता कि राजनीतिक दलों के साथ जुड़ने से कोई प्रभाव पड़ेगा".

पीठ ने आश्चर्य जताया कि वह किसी राजनीतिक दल से जुड़े व्यक्ति से बार निकाय का चुनाव न लड़ने के लिए कैसे कह सकती है. यह महसूस करते हुए कि अदालत याचिका पर विचार करने के लिए तैयार नहीं है, याचिकाकर्ता के वकील ने इस मुद्दे को विधि आयोग को भेजने का निर्देश देने की मांग की, लेकिन पीठ ने कहा कि वह ऐसा कोई निर्देश पारित नहीं करने जा रही है. पीठ ने याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी.

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यह मामला न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ के समक्ष आया. पीठ ने कहा कि लोकतंत्र में हमेशा अलग-अलग विचारधाराओं की गुंजाइश होती है, लेकिन यह संविधान के अनुरूप होनी चाहिए. "ऐसा कोई कानून नहीं है जो किसी राजनीतिक दल के सक्रिय सदस्य को बार निकायों का चुनाव लड़ने से रोकता हो. आप चाहते हैं कि हम कोई कानून बनाएं. पीठ ने कहा, "क्षमा करें, ऐसा नहीं किया जा सकता."

वरिष्ठ अधिवक्ता सिराजुद्दीन, याचिकाकर्ता अधिवक्ता जया सुकिन की ओर से पीठ के समक्ष उपस्थित हुए. पीठ ने कानूनी दिग्गज राम जेठमलानी का हवाला दिया और कहा कि वे बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष पद पर थे और एससीबीए के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया. पीठ ने पूछा, "यदि बार के किसी पदाधिकारी की कोई राजनीतिक विचारधारा है, तो इसमें क्या गलत है?"

शीर्ष अदालत ने ये टिप्पणियां एक अधिवक्ता द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए कीं, जिसमें केंद्र और बार काउंसिल ऑफ इंडिया को निर्देश देने की मांग की गई थी कि बार निकायों के चुनाव लड़ने वालों को किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं होना चाहिए.

आज सुनवाई के दौरान पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से आगे पूछा, आप कपिल सिब्बल को एससीबीए (सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन) के अध्यक्ष पद से हटाना चाहते हैं? आप (मनन कुमार) मिश्रा (बिहार से राज्यसभा सदस्य) को बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष पद से हटाना चाहते हैं?

जेठमलानी का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि वह संसद में भी थे और विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़े हुए थे. पीठ ने कहा, "क्या आप चाहते हैं कि देश इन प्रतिभाशाली व्यक्तियों के विचारों और योगदान से वंचित रहे?" पीठ ने कहा, "हमें नहीं लगता कि राजनीतिक दलों के साथ जुड़ने से कोई प्रभाव पड़ेगा".

पीठ ने आश्चर्य जताया कि वह किसी राजनीतिक दल से जुड़े व्यक्ति से बार निकाय का चुनाव न लड़ने के लिए कैसे कह सकती है. यह महसूस करते हुए कि अदालत याचिका पर विचार करने के लिए तैयार नहीं है, याचिकाकर्ता के वकील ने इस मुद्दे को विधि आयोग को भेजने का निर्देश देने की मांग की, लेकिन पीठ ने कहा कि वह ऐसा कोई निर्देश पारित नहीं करने जा रही है. पीठ ने याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी.

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