नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा को उनके मूल न्यायालय, इलाहाबाद हाई कोर्ट में वापस स्थानांतरित करने की सिफारिश करते हुए प्रस्ताव जारी किया. इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्च में स्थानांतरित करने के सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के फैसले पर आपत्ति जताई थी.
सीजेआई संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एएस ओका वाले कॉलेजियम द्वारा जारी आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई. सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर एक बयान में कहा गया है, "सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 20 और 24 मार्च 2025 को हुई अपनी बैठकों में दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट में वापस भेजने की सिफारिश की है."
Supreme Court Collegium issues resolution recommending transfer of Justice Yashwant Varma, Judge of High Court of Delhi, back to his parent court, the Allahabad High Court
— ANI (@ANI) March 24, 2025
The Allahabad High Court Bar Association had raised objection over the Supreme Court Collegium’s decision… pic.twitter.com/x2Ro1mJS8U
दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार घोषणा की थी कि जस्टिस यशवंत वर्मा, जिनके आधिकारिक आवास से कथित तौर पर आग लगने के बाद बड़ी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी, से न्यायिक कार्य "तत्काल प्रभाव" से अगले आदेश तक वापस ले लिया गया है.
इससे पहले सीजेआई ने शनिवार को जस्टिस वर्मा के आवास पर भारी मात्रा में नकदी मिलने के आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की. विवाद की शुरुआत 14 मार्च को रात करीब 11:35 बजे तुगलक रोड स्थित न्यायमूर्ति वर्मा के आधिकारिक आवास पर कथित आग लगने से हुई. जांच समिति में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति अनु शिवरामन शामिल हैं.
एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने 22 मार्च को जस्टिस वर्मा के आवास से कथित रूप से भारी मात्रा में नकदी मिलने के संबंध में दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय की जांच रिपोर्ट - जिसमें तस्वीरें और वीडियो भी शामिल हैं - अपनी वेबसाइट पर अपलोड की थीं. वहीं न्यायमूर्ति उपाध्याय द्वारा सीजेआई को दी गई रिपोर्ट में आधिकारिक संचार के बारे में सामग्री शामिल है, जिसमें कहा गया है कि न्यायाधीश के लुटियंस दिल्ली आवास पर "भारतीय मुद्रा नोटों की चार से पांच अधजली बोरियां" पाई गईं.
जस्टिस वर्मा ने नोट बरामदगी विवाद में आरोपों की कड़ी निंदा की है और कहा है कि उनके या उनके परिवार के किसी सदस्य द्वारा उनके आवास के स्टोररूम में कभी भी कोई नकदी नहीं रखी गई. दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को दिए गए अपने जवाब में जस्टिस वर्मा ने कहा है कि उनके आवास से नकदी बरामद होने का आरोप "उन्हें फंसाने और बदनाम करने की साजिश" प्रतीत होता है.
सर्वोच्च न्यायालय के पांच सदस्यीय कॉलेजियम ने 20 मार्च को सर्वसम्मति से जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट में स्थानांतरित करने की सिफारिश की थी. कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति वर्मा के आवास पर कथित रूप से नकदी जलाने के वीडियो के बारे में सदस्यों को अवगत कराए जाने के बाद यह निर्णय लिया.
बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को उनके मूल उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किए जाने का विरोध किया है. बार एसोसिएशन ने कड़े शब्दों में बयान जारी करते हुए कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम के फैसले से एक गंभीर सवाल उठता है कि क्या इलाहाबाद उच्च न्यायालय कूड़ेदान है?
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