नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर, गोवा, बिहार और मेघालय के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक की हालत एक बार फिर गंभीर हो गई है. अस्पताल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उन्हें रविवार शाम को फिर से आईसीयू में शिफ्ट किया गया है. सत्यपाल मलिक को 11 मई को किडनी में इंफेक्शन बढ़ने के चलते राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
डॉक्टरों के अनुसार, उनकी दोनों किडनी खराब हैं और उनका डायलिसिस हो रहा है. बीच में आराम मिलने पर उन्हें आईसीयू से आरएमएल के नर्सिंग होम में शिफ्ट कर दिया गया था. अब एक बार फिर से नर्सिंग होम के ही आईसीयू में शिफ्ट किया गया है. मलिक का इलाज नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉक्टर ललित की देखरेख में चल रहा है. सतपाल मलिक के एक्स हैंडल से भी उनकी तबीयत फिर से बिगड़ने के बारे में जानकारी दी गई है.
नमस्कार साथियों।
— Satyapal Malik (@SatyapalMalik6) June 7, 2025
मैं पिछले लगभग एक महीने के करीब से हस्पताल में भर्ती हूं और किड़नी की समस्या से जूझ रहा हूं।
परसों सुबह से मैं ठीक था लेकिन आज फिर से मुझे ICU में शिफ्ट करना पड़ा। मेरी हालत बहुत गंभीर होती जा रही है।
मैं रहूं या ना रहूं इसलिए अपने देशवासियों को सच्चाई बताना…
पूर्व राज्यपाल के एक्स हैंडल के पोस्ट पर लिखा गया है, नमस्कार साथियों. मैं पिछले लगभग एक महीने के करीब से हस्पताल में भर्ती हूं और किड़नी की समस्या से जूझ रहा हूं. परसों सुबह से मैं ठीक था लेकिन आज फिर से मुझे आईसीयू में शिफ्ट करना पड़ा. मेरी हालत बहुत गंभीर होती जा रही है. मैं रहूं या ना रहूं इसलिए अपने देशवासियों को सच्चाई बताना चाहता हूं.
पोस्ट में आगे लिखा गया है; ''जब गवर्नर के पद पर था तो उस समय मुझे 150-150 करोड़ रुपए की रिश्वत की पेशकश भी हुई, परंतु में मेरे राजनीतिक गुरु किसान मसीहा स्वर्गीय चौधरी चरणसिंह जी की तरह ईमानदारी से काम करता रहा ओर मेरा ईमान वो कभी डिगा नहीं सकें. जब मैं गवर्नर था उस समय किसान आंदोलन भी चल रहा था, मैंने बग़ैर राजनीतिक लोभ लालच के पद पर रहते हुए किसानों की मांग को उठाया. फिर महिला पहलवानों के आंदोलन में जंतर-मंतर से लेकर इंडिया गेट तक उनकी हर लड़ाई में उनके साथ रहा. पुलवामा हमले में शहीद वीर जवानों के मामले को उठाया, जिसकी आज तक इस सरकार ने कोई जांच नहीं करवाई है.''
केंद्र सरकार पर लगाया CBI का डर दिखाने का आरोप:
पूर्व राज्यपाल के एक्स हैंडल के पोस्ट पर आगे ये भी लिखा गया है, ''सरकार मुझे सीबीआई का डर दिखाकर झूठे चार्जशीट में फंसाने के बहाने ढूंढ रही है, जिस मामले में मुझे फंसाना चाहते हैं उस टेंडर को मैंने खुद निरस्त किया था, मैंने खुद प्रधानमंत्री जी को बताया था इस मामले में करप्शन है और उन्हें बताने के बाद में मैंने खुद उस टेंडर को कैंसिल किया, मेरा तबादला होने के बाद में किसी अन्य के हस्ताक्षर से यह टेंडर हुआ. मैं सरकार को और सरकारी एजेंसियों को बताना चाहता हूं कि मैं किसान कौम से हूं, मैं ना तो डरने वाला हूं ओर ना ही झूकने वाला हूं. सरकार ने मुझे बदनाम करने में पुरी ताकत लगा दी, अंत में मेरा सरकार से ओर सरकारी एजेंसियों से अनुरोध है कि मेरे प्यारे देश की जनता को सच्चाई जरूर बताना कि आपको छानबीन में मेरे पास मिला क्या?
हालांकि सच्चाई तो यह है कि 50 साल से अधिक लंबे राजनीतिक जीवन में बहुत बड़े-बड़े पदों पर देशसेवा करने का मौका मिलने के बाद आज़ भी मैं एक कमरे के मकान में रह रहा हूं ओर कर्ज में भी हूं. अगर आज मेरे पास धन दौलत होती तो मैं प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज करवाता. बता दें कि सतपाल मलिक के जम्मू कश्मीर का राज्यपाल रहते हुए ही वहां पर धारा 370 को हटाकर के जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित राज्य बनाया गया था. जम्मू कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद उनको कुछ समय के लिए उपराज्यपाल की भी जिम्मेदारी दी गई थी. फिर उनको गोवा का राज्यपाल बनाया गया था.''
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