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कैंसर का सस्ता इलाज! सागर यूनिवर्सिटी की रिसर्च लंदन में पब्लिश, हेल्दी व बीमार कोशिकाओं की चुटकियों में पहचान - SAGAR UNIVERSITY RESEARCH

शरीर में स्वस्थ और बीमार कोशिका का पता लगाने सागर यूनिवर्सिटी ने मुंबई स्थित भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर के साथ शोध किया है.

SAGAR UNIVERSITY RESEARCH
सागर यूनिवर्सटी की रिसर्च लंदन से पब्लिश (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 22, 2025, 10:49 AM IST

Updated : Jan 23, 2025, 1:31 PM IST

सागर: सेंट्रल यूनिवर्सिटी सागर और मुंबई स्थित भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर ने ऐसा शोध किया है, जो कार्बन नैनोपार्टिकल के जरिए हमारे शरीर की स्वस्थ और बीमार कोशिकाओं की आसानी से पहचान कर सकेगा. इसका फायदा ये होगा कि हमारे शरीर में कैंसर जैसी बीमारियों का कारक बन रही कोशिकाओं की आसानी से पहचान हो सकेगी. इसके जरिए हम टार्गेटेड ड्रग थेरेपी का उपयोग कर सकेंगे. एक फायदा ये भी होगा कि कैंसर जैसी बीमारियों का सस्ता इलाज हो सकेगा. इस रिसर्च को लंदन के साइंस जर्नल नैनोस्केल ने इसी माह के अंक में प्रकाशित किया है.

शरीर की बीमारियों की पहचान के लिए कारगर
सागर यूनिवर्सिटी के माइक्रोबाॅयलाजी डिपार्टमेंट के असि. प्रोफेसर डाॅ. योगेश भार्गव बताते हैं कि, ''हमारे शरीर का निर्माण कोशिकाओं के जरिए होता है. यही कोशिकाएं हमारे शरीर की बीमारियों का कारण बनती हैं. ऐसे में अगर शरीर के अंदर की कोशिकाओं को पहचाना जा सके कि कौन सी कोशिका स्वस्थ है और कौन सी कोशिका बीमार है, तो हम किसी भी बीमारी की आसानी से पहचान और इलाज कर सकेंगे.''

हेल्दी व बीमार कोशिकाओं की चुटकियों में होगी पहचान (ETV Bharat)

''इसके लिए हमनें भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर के साथ मिलकर रिसर्च की है. इस रिसर्च में हमने कार्बन नैनोपार्टिकल (एक मीटर का एक अरबवां हिस्सा) प्रयोगशाला में तैयार किए हैं. इनकी खूबी ये है कि ये शरीर के अंदर पहुंचकर स्वस्थ और बीमार कोशिकाओं की पहचान करेगा. खास बात ये है कि इससे स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान नहीं होगा और इनके जरिए दवा रूपी कैमिकल फंक्शनल ग्रुप कोशिका तक भेजे जाएंगे. जो बीमार कोशिकाओं को दुरुस्त करने का काम करेंगे.''

cells identify carbon nanoparticles
कार्बन नैनोपार्टिकल करेंगे बीमार और स्वस्थ कोशिकाओं की पहचान (ETV Bharat)

हुक्स की तरह काम करते हैं कार्बन के ग्रुप
असि. प्रोफेसर डाॅ. योगेश भार्गव ने बताया कि, ''कार्बन के बहुत सारे फंक्शनल ग्रुप होते हैं. जो हुक्स की तरह काम करते हैं. अगर इन हुक्स पर दवाईयां लगा दें, तो ये कोशिकाओं तक आसानी से पहुंच सकती है. अभी जो दवाईयां दी जाती हैं, वो पूरे शरीर के प्रमुक अंगों में पहुंच रही हैं. इसकी वजह से साइड इफेक्ट बहुत ज्यादा है और बहुत ज्यादा महंगी दवाईयां लग रही हैं. कार्बन नैनोपार्टिकल्स के जरिए हम टार्गेटेड ड्रग डिलेवरी की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं.''

SAGAR UNIVERSITY RESEARCH
सागर यूनिवर्सटी और भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर का शोध (ETV Bharat)

लंदन की नैनोस्केल साइंस जर्नल में प्रकाशित हुआ शोध
इस रिसर्च के बारे में डाॅ. योगेश भार्गव बताते हैं कि, ''ये रिसर्च कई सालों की मेहनत का परिणाम है. पहले लैड, आयरन और मैग्नीशियम से नैनोपार्टिकल्स की खोज की जाती थी. भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर और हमारे माइक्रोबाॅयलाजी डिपार्टमेंट ने कार्बन नैनोपार्टिकल्स पर काम किया है. जो लंदन के मशहूर साइंस जर्नल नैनोस्केल में प्रकाशित हुआ है. हमारे रिसर्चर अश्विनी बाघमारे ने इसमें अहम भूमिका निभाई है. भविष्य में इस रिसर्च के कई फायदे सामने देखने मिलेंगे.''

कार्बन नैनोपार्टिकल्स से बना रहे कैमिकल्स
डाॅ. योगेश भार्गव बताते हैं कि, ''नैनो पार्टिकल की फील्ड नयी नहीं है. इसे समझने के लिए मैंडलीफ टेबिल को दो भागों में बांट सकते हैं. एक कार्बन और एक नाॅन कार्बन वाली है. नाॅन कार्बन पर बहुत काम हो चुका है. लेकिन कार्बन वाली फील्ड पर काम एक तरह से शुरू हुआ है. कार्बन डाॅट नैनोपार्टिकल सबसे नया सदस्य है.''

BHABHA ATOMIC RESEARCH CENTER
स्वस्थ और बीमार कोशिकाओं पर रिसर्च (ETV Bharat)

''भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर के साथ इसी नए सदस्य पर शोध कर रहे हैं. इसके जरिए हम ये पता लगा रहे हैं कि जो कैंसर की महामारी है, हमारे शरीर में कैंसर की कोशिकाएं और सामान्य कोशिकाएं होती है, लेकिन इनमें अंतर नहीं कर पाते हैं. जब हमारी शरीर की कोशिकाएं ही शरीर को नुकसान पहुंचा रही हैं, तो इनका कैसे पता लगाएं. इसलिए हमें ऐसे केमिकल चाहिए, जो कैंसर कोशिकाओं का पता लगा सकते हैं. तो नैनोपार्टिकल का उपयोग करके केमिकल्स बना रहे हैं.''

रेडियोएक्टिव जांच से शरीर को हो सकती है दूसरी बीमारी
डाॅ. योगेश भार्गव बताते हैं कि, ''जो रेडियोएक्टिविटी से जुड़ी जांच होती है. उससे हजारों करोड़ों एटम के बीच एक रेडियोएक्टिव अणु का सिग्नल पकड़ सकते हैं. लेकिन इससे आपको कैंसर भी हो सकता है. इन हालातों में कार्बन नेनोपार्टिकल, जिनको कार्बन डाट्स या कार्बन क्वांटम डाॅट्स भी कहा जाता है. इसके जरिए सिर्फ बीमार कोशिकाओं का पता लगा सकते हैं. ये रिसर्च की एकदम नयी फील्ड है, जो भविष्य में क्रांति लाएगी. फिलहाल इस पर भरपूर रिसर्च चल रही है. इसमें इतने ज्यादा आयाम हैं कि आपके विचार सीमित हो सकते हैं, लेकिन ये क्षेत्र असीमित है.''

सागर: सेंट्रल यूनिवर्सिटी सागर और मुंबई स्थित भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर ने ऐसा शोध किया है, जो कार्बन नैनोपार्टिकल के जरिए हमारे शरीर की स्वस्थ और बीमार कोशिकाओं की आसानी से पहचान कर सकेगा. इसका फायदा ये होगा कि हमारे शरीर में कैंसर जैसी बीमारियों का कारक बन रही कोशिकाओं की आसानी से पहचान हो सकेगी. इसके जरिए हम टार्गेटेड ड्रग थेरेपी का उपयोग कर सकेंगे. एक फायदा ये भी होगा कि कैंसर जैसी बीमारियों का सस्ता इलाज हो सकेगा. इस रिसर्च को लंदन के साइंस जर्नल नैनोस्केल ने इसी माह के अंक में प्रकाशित किया है.

शरीर की बीमारियों की पहचान के लिए कारगर
सागर यूनिवर्सिटी के माइक्रोबाॅयलाजी डिपार्टमेंट के असि. प्रोफेसर डाॅ. योगेश भार्गव बताते हैं कि, ''हमारे शरीर का निर्माण कोशिकाओं के जरिए होता है. यही कोशिकाएं हमारे शरीर की बीमारियों का कारण बनती हैं. ऐसे में अगर शरीर के अंदर की कोशिकाओं को पहचाना जा सके कि कौन सी कोशिका स्वस्थ है और कौन सी कोशिका बीमार है, तो हम किसी भी बीमारी की आसानी से पहचान और इलाज कर सकेंगे.''

हेल्दी व बीमार कोशिकाओं की चुटकियों में होगी पहचान (ETV Bharat)

''इसके लिए हमनें भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर के साथ मिलकर रिसर्च की है. इस रिसर्च में हमने कार्बन नैनोपार्टिकल (एक मीटर का एक अरबवां हिस्सा) प्रयोगशाला में तैयार किए हैं. इनकी खूबी ये है कि ये शरीर के अंदर पहुंचकर स्वस्थ और बीमार कोशिकाओं की पहचान करेगा. खास बात ये है कि इससे स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान नहीं होगा और इनके जरिए दवा रूपी कैमिकल फंक्शनल ग्रुप कोशिका तक भेजे जाएंगे. जो बीमार कोशिकाओं को दुरुस्त करने का काम करेंगे.''

cells identify carbon nanoparticles
कार्बन नैनोपार्टिकल करेंगे बीमार और स्वस्थ कोशिकाओं की पहचान (ETV Bharat)

हुक्स की तरह काम करते हैं कार्बन के ग्रुप
असि. प्रोफेसर डाॅ. योगेश भार्गव ने बताया कि, ''कार्बन के बहुत सारे फंक्शनल ग्रुप होते हैं. जो हुक्स की तरह काम करते हैं. अगर इन हुक्स पर दवाईयां लगा दें, तो ये कोशिकाओं तक आसानी से पहुंच सकती है. अभी जो दवाईयां दी जाती हैं, वो पूरे शरीर के प्रमुक अंगों में पहुंच रही हैं. इसकी वजह से साइड इफेक्ट बहुत ज्यादा है और बहुत ज्यादा महंगी दवाईयां लग रही हैं. कार्बन नैनोपार्टिकल्स के जरिए हम टार्गेटेड ड्रग डिलेवरी की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं.''

SAGAR UNIVERSITY RESEARCH
सागर यूनिवर्सटी और भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर का शोध (ETV Bharat)

लंदन की नैनोस्केल साइंस जर्नल में प्रकाशित हुआ शोध
इस रिसर्च के बारे में डाॅ. योगेश भार्गव बताते हैं कि, ''ये रिसर्च कई सालों की मेहनत का परिणाम है. पहले लैड, आयरन और मैग्नीशियम से नैनोपार्टिकल्स की खोज की जाती थी. भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर और हमारे माइक्रोबाॅयलाजी डिपार्टमेंट ने कार्बन नैनोपार्टिकल्स पर काम किया है. जो लंदन के मशहूर साइंस जर्नल नैनोस्केल में प्रकाशित हुआ है. हमारे रिसर्चर अश्विनी बाघमारे ने इसमें अहम भूमिका निभाई है. भविष्य में इस रिसर्च के कई फायदे सामने देखने मिलेंगे.''

कार्बन नैनोपार्टिकल्स से बना रहे कैमिकल्स
डाॅ. योगेश भार्गव बताते हैं कि, ''नैनो पार्टिकल की फील्ड नयी नहीं है. इसे समझने के लिए मैंडलीफ टेबिल को दो भागों में बांट सकते हैं. एक कार्बन और एक नाॅन कार्बन वाली है. नाॅन कार्बन पर बहुत काम हो चुका है. लेकिन कार्बन वाली फील्ड पर काम एक तरह से शुरू हुआ है. कार्बन डाॅट नैनोपार्टिकल सबसे नया सदस्य है.''

BHABHA ATOMIC RESEARCH CENTER
स्वस्थ और बीमार कोशिकाओं पर रिसर्च (ETV Bharat)

''भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर के साथ इसी नए सदस्य पर शोध कर रहे हैं. इसके जरिए हम ये पता लगा रहे हैं कि जो कैंसर की महामारी है, हमारे शरीर में कैंसर की कोशिकाएं और सामान्य कोशिकाएं होती है, लेकिन इनमें अंतर नहीं कर पाते हैं. जब हमारी शरीर की कोशिकाएं ही शरीर को नुकसान पहुंचा रही हैं, तो इनका कैसे पता लगाएं. इसलिए हमें ऐसे केमिकल चाहिए, जो कैंसर कोशिकाओं का पता लगा सकते हैं. तो नैनोपार्टिकल का उपयोग करके केमिकल्स बना रहे हैं.''

रेडियोएक्टिव जांच से शरीर को हो सकती है दूसरी बीमारी
डाॅ. योगेश भार्गव बताते हैं कि, ''जो रेडियोएक्टिविटी से जुड़ी जांच होती है. उससे हजारों करोड़ों एटम के बीच एक रेडियोएक्टिव अणु का सिग्नल पकड़ सकते हैं. लेकिन इससे आपको कैंसर भी हो सकता है. इन हालातों में कार्बन नेनोपार्टिकल, जिनको कार्बन डाट्स या कार्बन क्वांटम डाॅट्स भी कहा जाता है. इसके जरिए सिर्फ बीमार कोशिकाओं का पता लगा सकते हैं. ये रिसर्च की एकदम नयी फील्ड है, जो भविष्य में क्रांति लाएगी. फिलहाल इस पर भरपूर रिसर्च चल रही है. इसमें इतने ज्यादा आयाम हैं कि आपके विचार सीमित हो सकते हैं, लेकिन ये क्षेत्र असीमित है.''

Last Updated : Jan 23, 2025, 1:31 PM IST
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