सागर (कपिल तिवारी) : शहर के आईआईटियन आनंद जैन ने ऐसा कमाल कर दिखाया है, जो अभी तक देश में नहीं हुआ है. उन्होंने 16 एकड़ के परिसर में बिजली उत्पादन के साथ जैविक खेती करने का कमाल किया है. दरअसल उन्होंने 16 एकड़ में सोलर प्लांट लगाया है. लेकिन सोलर प्लांट के नीचे आमतौर पर खेती नहीं हो पाती है, क्योकिं पौधों को सूरज की रोशनी की जरूरत होती है. उन्होनें सोलर प्लांट इस तरह लगाए हैं कि पौधों को पर्याप्त सूरज की रोशनी भी मिलती है और बिजली उत्पादन भी होता है. खास बात ये है कि सोलर प्लांट के नीचे वो जैविक तरीके से करीब 16 तरह की फल सब्जियां भी उगा रहे हैं. इस तकनीक को एग्री वोल्टाइक सोलर प्लांट कहा जाता है. देश में दूसरी जगहों पर भी ऐसे प्रयोग हुए हैं लेकिन इतने बड़े पैमाने पर यह पहला प्रयोग बताया जा रहा है.
क्या है एग्री वोल्टाइक सोलर प्लांट
आईआईटियन आनंद जैन बताते हैं कि "करीब एक साल पहले उन्होंने सोलर प्लांट लगाने के लिए प्रयास शुरू किए थे. उस दौरान उन्होंने टीकमगढ़ के खरगापुर में एक निजी एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड से संपर्क किया. मैं हमेशा खेती और खासकर आधुनिक जैविक और औषधीय खेती से जुड़ा रहा हूं, तो मैने कंपनी के मैनेजर मनीष खरे से चर्चा कर उन्हें एग्री वोल्टाइक सोलर प्लांट तकनीक का सुझाव दिया. जिसमें बिजली उत्पादन के साथ-साथ खेती भी की जा सकती है. इस तकनीक के तहत सोलर पैनल लगाने के लिए जमीन से 13-14 फीट ऊंचे पिलर स्थापित किए जाते हैं. जिसकी वजह से नीचे जमीन खाली रहती है और सोलर पैनल के बीच इस तरह से जगह छोड़ दी जाती है कि नीचे लगे पौधों को जरूरी सूरज की रोशनी मिल सके."


आईएआरआई के वैज्ञानिक ने बताया सबसे बड़ा प्लांट
इस एग्री वोल्टाइक सोलर प्लांट को देश के सबसे बड़े प्लांट होने के बारे में आईआईटियन आनंद जैन को पता नहीं था. उनको इतना जरूर पता था कि ये प्लांट मध्य प्रदेश का सबसे बडा एग्री वोल्टाइक सोलर प्लांट है. लेकिन जब उनका प्लांट देखने पिछले दिनों भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ( आईएआरआई) दिल्ली के प्रमुख वैज्ञानिक डाॅ डी के सिंह आए तो उन्होंने बताया कि यह देश का सबसे बड़ा एग्री वोल्टाइक सोलर प्लांट है. उन्होंने कहा कि जो किसान अपने यहां इस तरह से खेती करना चाहते हैं, उन्हें जरूर यहां आकर ये प्लांट देखना चाहिए.


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मल्चिंग पद्धति से फल और सब्जियों की खेती
आईआईटी रुड़की से 1984-85 में एमटेक करने वाले आनंद जैन बताते हैं कि "उनका शुरू से खेती में लगाव रहा है. खासकर औषधीय और जैविक खेती में उन्होंने काफी काम किया है और वो हमेशा खेती से जुड़े रहना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि प्लांट स्थापित करने के बाद मैंने यहां मल्चिंग पद्धति से जैविक खेती की शुरूआत की. यहां जैविक तरीके से करीब 16 तरह की फल सब्जियों की खेती की जा रही है. जिनमें टमाटर, खीरा, तरबूज, खरबूज, शिमला मिर्च आसानी से मिल जाएंगे. आनंद जैन बताते हैं कि पहाड़ी राज्यों के अलावा इस सीजन में मध्य प्रदेश में स्ट्रॉबेरी उगाना एक सपने जैसा है, लेकिन इस प्लांट के नीचे अप्रैल माह में स्ट्रॉबेरी हो रही है.
