सबरीमला सोना घोटाला: SIT ने शुरू की जांच, हैदराबाद लिंक पर ध्यान केंद्रित
सबरीमला मंदिर में सोने की परत में हुए घोटाले को लेकर एसआईटी ने जांच शुरू कर दी. जांच में आरोपी के दोस्त भी नजर है.

Published : October 13, 2025 at 2:10 PM IST
पथानामथिट्टा (केरल): सबरीमला श्री धर्म संस्था मंदिर में कथित तौर पर बड़े पैमाने पर सोने की हेराफेरी की चल रही जांच तेज हो गई है और एक विशेष जांच दल (SIT) मौके पर पूछताछ शुरू करने के लिए सन्निधानम (मुख्य मंदिर परिसर) पहुंच गया है.
इस बहुचर्चित मामले में मंदिर की द्वारपालक मूर्तियों से 200 से अधिक सोने की चोरी का संदेह है.
एसपी शशिधरन के नेतृत्व में एसआईटी की टीम रविवार दोपहर पहाड़ी मंदिर पहुंची. टीम का सबसे पहला ध्यान द्वारपालक मूर्तियों की मूल बाहरी प्लेटों पर है, जिन्हें कथित तौर पर चेन्नई स्थित स्मार्ट क्रिएशंस को मरम्मत और पुनः स्वर्ण-रोपण के लिए भेजे जाने के बाद सन्निधानम वापस लाया गया था.
स्ट्रांगरूम ऑडिट जारी
हाई कोर्ट द्वारा आदेशित एक समानांतर घटनाक्रम में, सेवानिवृत्त हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति के.टी. शंकरन वर्तमान में सबरीमला स्ट्रांग रूम में श्रद्धालुओं द्वारा जमा किए गए चढ़ावे और कीमती वस्तुओं की सूची की देखरेख कर रहे हैं.
एक बार जब यह गणना पूरी हो जाएगी, तो ऑडिट अरनमुला के स्ट्रांग रूम तक विस्तारित हो जाएगा, जहां भक्तों के चढ़ावे सहित बड़ी मात्रा में सोना संग्रहित है. निष्कर्षों का विवरण देने वाली एक विस्तृत रिपोर्ट बाद में हाई कोरट को सौंपी जाएगी. व्यापक जांच के तहत देवास्वोम के अधिकारियों से भी पूछताछ की जा रही है.
मुख्य आरोपी का हैदराबाद सहयोगी जांच के घेरे में
जांच में मुख्य आरोपी उन्नीकृष्णन पोट्टी के हैदराबाद स्थित मित्र नागेश की गतिविधियों पर सक्रियता से नजर रखी जा रही है. हैदराबाद में सोने की एक दुकान के मालिक नागेश पर पोट्टी द्वारा मंदिर परिसर से कथित तौर पर चुराए गए सोने को जमा करने का संदेह है. शुरुआती जांच से पता चलता है कि नागेश ही सोने की परत चढ़ाने के काम के लिए इन प्लेटों को चेन्नई ले जाने के लिए ज़िम्मेदार था.
जांचकर्ताओं को संदेह है कि पोट्टी ने द्वारपालक की मूर्तियों के असली सोने के पैनल अपनी जेब में रख लिए होंगे या उन्हें बेच दिया होगा. एसआईटी जल्द ही पोट्टी से पूछताछ करने वाली है, क्योंकि उसे विश्वास है कि पूछताछ से अहम जानकारी सामने आएगी.
जांच दल के प्रारंभिक अनुमानों से पता चलता है कि पोट्टी ने अकेले ही द्वारपालक मूर्तियों की मूल परत से 200 से अधिक सोने की चोरी की होगी.
सोने के वजन में भारी कमी से संदेह बढ़ा
मामले को और भी जटिल बना रहा है सोने के वजन में भारी अंतर. 1999 में व्यवसायी विजय माल्या द्वारा प्रायोजित मूल प्लेटिंग में कथित तौर पर 258 सोने के सिक्के थे, लेकिन लौटाई गई प्लेटों में केवल 36 सिक्के ही बचे हैं. स्थिति की गंभीरता को और बनाने वाली एक सतर्कता रिपोर्ट है, जिसमें पुनः स्वर्ण-पल्लवित करने के बाद सबरीमला में लौटाई गई द्वारपालक' मूर्तिकला प्लेटों और सजावटी चादरों की प्रामाणिकता पर संदेह जताया गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्लेटों और शीटों के वापस आने पर उनके वजन में कमी आना संदेह का मुख्य कारण है. सतर्कता अधिकारियों को यह भी संदेह है कि प्लेटों के नागेश तक पहुंचने की प्रक्रिया में कोई रहस्य छिपा हुआ है.
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