हैदराबाद: तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में राष्ट्रीय सम्मेलन में वैज्ञानिकों ने बताया कि जड़ वाली सब्जियों की खेती करके किसान अधिक से अधिक लाभ कमा सकते हैं.
हैदराबाद में आयोजित एक राष्ट्रीय सम्मेलन में बागवानी वैज्ञानिकों ने बताया कि जड़ वाली सब्जियों की खेती करने से किसानों को बड़ा लाभ मिल रहा है. ये उनके लिए लाभदायक साबित हो रहे हैं. इससे उन्हें कम समय में जल्दी लाभ मिलता है. साथ ही रोजगार के अवसर मिलते हैं. इससे निर्यात की संभावना बढ़ती है. इसके साथ ही खेत की पोषण सुरक्षा भी बढ़ती है.
हैदराबाद में कंद फसलों पर आयोजित अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना की 25वीं वार्षिक समूह बैठक में विशेषज्ञों ने कहा कि 40 दिवसीय चक्र में जड़ वाली फसलें उगाने वाला तीन सदस्यीय परिवार हर महीने औसतन ₹13,000 से ₹15,000 रुपए कमा सकता है. यह कमाई धान जैसी पारंपरिक फसलों की तुलना में काफी अधिक है. देखा जाए तो धान की फसल उगाने में औसतन 120 दिन लगते हैं. और इससे प्रति माह केवल ₹3,000 से ₹4,000 की उपज होती है.
यह राष्ट्रीय सम्मेलन तेलंगाना बागवानी विश्वविद्यालय के राजेंद्र नगर स्थित सब्जी अनुसंधान केंद्र में हुआ था. यह केरल के कंद फसल अनुसंधान संस्थानों के सहयोग से आयोजित किया गया था. बैठक की अध्यक्षता तेलंगाना बागवानी विश्वविद्यालय के कुलपति डांडा राजीरेड्डी ने की.
बैठक में आईसीएआर के उप महानिदेशक डॉ. संजय कुमार सिंह, सहायक महानिदेशक डॉ. सुधाकर पांडे, त्रिवेंद्रम कंद फसल निदेशक डॉ. जी. बैजू, अटारी निदेशक डॉ. शेख एन. मीरा और 21 राज्यों के 50 अनुसंधान केंद्रों के वैज्ञानिक शामिल हुए.
वैज्ञानिकों ने इस बात पर जोर दिया कि कंद की फसलें वैश्विक स्तर पर अनाज और दालों के बाद तीसरी सबसे महत्वपूर्ण फसल समूह हैं. कंद की फसलों में 155 उच्च उपज वाली किस्में उपलब्ध हैं.
वैज्ञानिकों ने उपभोक्ताओं की उपलब्धता बढ़ाने के लिए शहरों के 50 किलोमीटर के भीतर खेती का विस्तार करने का आग्रह किया. उन्होंने किसान उत्पादक समूह बनाने, ब्रांडिंग के लिए स्वयं सहायता समूहों के साथ सहयोग करने और बाजार तक पहुंच बढ़ाने के लिए प्रसंस्करण और भंडारण सुविधाओं में सुधार करने की भी सिफारिश की.
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