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आरजी कर मामला: आखिर हो गई जूनियर डॉक्टर और सीएम ममता के बीच बैठक - RG Kar hospital case

RG Kar Hospital Case, आरजी कर अस्पताल में महिला चिकित्सक से दुष्कर्म और उसकी हत्या की घटना के बाद से जूनियर डॉक्टरों द्वारा कार्य बहिष्कार के साथ ही धरना-प्रदर्शन का दौर जारी है. इसी सिलसिले में जूनियर डॉक्टर और सीएम के बीच अंतत: आज बातचीत हो गई. इससे पहले वार्ता विफल हो गई थी.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 16, 2024, 10:16 PM IST

Meeting between junior doctor and CM
जूनियर डॉक्टर और सीएम के बीच बैठक (ANI)

कोलकाता/नई दिल्ली : आरजी कर अस्पताल में महिला चिकित्सक से दुष्कर्म और उसकी हत्या की घटना के बाद से जूनियर डॉक्टरों द्वारा कार्य बहिष्कार जारी है. इसी कड़ी सोमवार को जूनियर डॉक्टर और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच बैठक हुई. बैठक में क्या क्या हुआ उसे सिलसिलेवार लिखा जा रहा है. अभी तक निष्कर्ष के बारे में जानकारी नहीं दी गई है.

बता दें कि एक महीने से अधिक समय से चल रहे गतिरोध को हल करने के लिए बातचीत शुरू करने के चार असफल प्रयासों के बाद, 35 आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टरों का एक प्रतिनिधिमंडल शाम 6.20 बजे महत्वपूर्ण वार्ता के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कालीघाट स्थित आवास पर पहुंचा.

पुलिस की सुरक्षा में करीब 30 चिकित्सक शाम को मुख्यमंत्री बनर्जी के आवास पर पहुंचे. टीवी चैनलों के मुताबिक डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अपनी मांगों को लेकर एक ज्ञापन सौंपा. वहीं बैठक से पहले सीएम बनर्जी ने एक बंगाली न्यूज चैनल के साथ बातचीत में जूनियर डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील की. उन्होंने कहा कि मैं जूनियर डॉक्टरों से अपील करूंगी कि वे आएं और बातचीत के लिए बैठें. उन्होंने कहा कि हर मुद्दे को बातचीत के ज़रिए सुलझाया जा सकता है. हमें समाधान खोजने का प्रयास करना चाहिए. कल (मंगलवार) सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई है, हमें समाधान निकलने की उम्मीद है.

हालांकि इससे पहले बैठक की लाइव स्ट्रीमिंग और वीडियो रिकॉर्डिंग की चिकित्सकों की मांग को राज्य सरकार द्वारा खारिज किए जाने के कारण बातचीत के पिछले प्रयास विफल रहे थे. बाद में प्रदर्शनकारी चिकित्सकों ने अपनी इस मांग में थोड़ी नरमी लाते हुए अब केवल बैठक के विवरण को दर्ज करने और इसकी एक हस्ताक्षरित प्रति दिए जाने की मांग रखी.

राज्य सरकार ने इस शर्त को स्वीकार कर लिया तथा मुख्य सचिव मनोज पंत ने कहा कि दोनों पक्ष बैठक के विवरण पर हस्ताक्षर करेंगे तथा स्पष्टता के लिए इसकी प्रतियां एक-दूसरे को दी जाएंगी. वहीं राज्य सरकार ने डॉक्टरों के साथ आए दो स्टेनोग्राफर को बैठक का विवरण दर्ज करने के लिए आने की अनुमति प्रदान की. इस बीच, चिकित्सकों ने स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय ‘स्वास्थ्य भवन’ के बाहर अपना धरना आठवें दिन भी जारी रखा.

पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फेडरेशन ने न्याय के लिए दिल्ली का दरवाजा खटखटाया

आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में बलात्कार और नृशंस हत्या की पीड़िता को न्याय दिलाने में विफल पश्चिम बंगाल के जूनियर डॉक्टर्स ने दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग को लेकर सोमवार को नई दिल्ली का दरवाजा खटखटाया. देश भर के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (RDA) के समर्थन से आक्रोशित डॉक्टरों ने पीड़िता को न्याय न मिलने पर देशव्यापी हड़ताल फिर से शुरू करने की धमकी दी. पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फेडरेशन (WBJDF) के डॉ. अनुराग मंडल ने कहा कि हम चाहते हैं कि संबंधित अधिकारी, सीबीआई, सुप्रीम कोर्ट जांच प्रक्रिया में तेजी लाएं और दोषियों को बिना किसी देरी के दंडित करें. हम चिकित्सा शिक्षा निदेशक, स्वास्थ्य सेवा निदेशक और स्वास्थ्य सचिव को हटाना चाहते हैं क्योंकि घटनास्थल के तत्काल तत्वावधान में निर्माण कार्य के लिए उनके हस्ताक्षर मौजूद हैं, जबकि घटनास्थल को पूरी तरह से घेर लिया जाना चाहिए था. हम अक्षम और लापरवाह पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई चाहते हैं, सभी अस्पतालों और सरकारी स्वास्थ्य सेवा केंद्रों में उचित सुरक्षा और कार्यात्मक बुनियादी सुविधाएं चाहते हैं, साथ ही सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं के सभी पहलुओं में व्याप्त खतरे की संस्कृति को समाप्त करना चाहते हैं.

राज्य के डॉक्टर बिरादरी ने कहा कि पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के साथ उनकी बातचीत अनिर्णायक रही क्योंकि अधिकारियों ने मुख्यमंत्री के साथ उनकी बैठक की लाइव स्ट्रीमिंग की अनुमति देने से इनकार कर दिया. डॉ. मंडल ने कहा, 'हम मुख्यमंत्री के साथ अपनी बैठक की लाइव स्ट्रीमिंग चाहते हैं. यदि लाइव स्ट्रीमिंग संभव नहीं है, तो बैठक की वीडियोग्राफी होनी चाहिए या बैठक के परिणाम पर एक संयुक्त घोषणा होनी चाहिए.' राज्य के डॉक्टर बिरादरी ने दावा किया कि घटना की क्रूरता ने बड़े पैमाने पर मानवता के अस्तित्व के आधार पर सवाल उठाया है. डब्ल्यूबीजेडीएफ के प्रतिनिधियों ने कहा, 'घटना के दिन से ही हम, पश्चिम बंगाल के प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने अस्पताल के अधिकारियों और कोलकाता पुलिस की ओर से घोर प्रशासनिक विफलता देखी है. सबसे बड़ी शर्म की बात यह है कि शुरू से ही सभी सबूतों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने और असली दोषियों को बचाने की सक्रिय प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी.'

ये भी पढ़ें- कोलकाता रेप-मर्डर मामले में CBI ने पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और एसएचओ को किया गिरफ्तार

कोलकाता/नई दिल्ली : आरजी कर अस्पताल में महिला चिकित्सक से दुष्कर्म और उसकी हत्या की घटना के बाद से जूनियर डॉक्टरों द्वारा कार्य बहिष्कार जारी है. इसी कड़ी सोमवार को जूनियर डॉक्टर और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच बैठक हुई. बैठक में क्या क्या हुआ उसे सिलसिलेवार लिखा जा रहा है. अभी तक निष्कर्ष के बारे में जानकारी नहीं दी गई है.

बता दें कि एक महीने से अधिक समय से चल रहे गतिरोध को हल करने के लिए बातचीत शुरू करने के चार असफल प्रयासों के बाद, 35 आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टरों का एक प्रतिनिधिमंडल शाम 6.20 बजे महत्वपूर्ण वार्ता के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कालीघाट स्थित आवास पर पहुंचा.

पुलिस की सुरक्षा में करीब 30 चिकित्सक शाम को मुख्यमंत्री बनर्जी के आवास पर पहुंचे. टीवी चैनलों के मुताबिक डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अपनी मांगों को लेकर एक ज्ञापन सौंपा. वहीं बैठक से पहले सीएम बनर्जी ने एक बंगाली न्यूज चैनल के साथ बातचीत में जूनियर डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील की. उन्होंने कहा कि मैं जूनियर डॉक्टरों से अपील करूंगी कि वे आएं और बातचीत के लिए बैठें. उन्होंने कहा कि हर मुद्दे को बातचीत के ज़रिए सुलझाया जा सकता है. हमें समाधान खोजने का प्रयास करना चाहिए. कल (मंगलवार) सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई है, हमें समाधान निकलने की उम्मीद है.

हालांकि इससे पहले बैठक की लाइव स्ट्रीमिंग और वीडियो रिकॉर्डिंग की चिकित्सकों की मांग को राज्य सरकार द्वारा खारिज किए जाने के कारण बातचीत के पिछले प्रयास विफल रहे थे. बाद में प्रदर्शनकारी चिकित्सकों ने अपनी इस मांग में थोड़ी नरमी लाते हुए अब केवल बैठक के विवरण को दर्ज करने और इसकी एक हस्ताक्षरित प्रति दिए जाने की मांग रखी.

राज्य सरकार ने इस शर्त को स्वीकार कर लिया तथा मुख्य सचिव मनोज पंत ने कहा कि दोनों पक्ष बैठक के विवरण पर हस्ताक्षर करेंगे तथा स्पष्टता के लिए इसकी प्रतियां एक-दूसरे को दी जाएंगी. वहीं राज्य सरकार ने डॉक्टरों के साथ आए दो स्टेनोग्राफर को बैठक का विवरण दर्ज करने के लिए आने की अनुमति प्रदान की. इस बीच, चिकित्सकों ने स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय ‘स्वास्थ्य भवन’ के बाहर अपना धरना आठवें दिन भी जारी रखा.

पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फेडरेशन ने न्याय के लिए दिल्ली का दरवाजा खटखटाया

आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में बलात्कार और नृशंस हत्या की पीड़िता को न्याय दिलाने में विफल पश्चिम बंगाल के जूनियर डॉक्टर्स ने दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग को लेकर सोमवार को नई दिल्ली का दरवाजा खटखटाया. देश भर के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (RDA) के समर्थन से आक्रोशित डॉक्टरों ने पीड़िता को न्याय न मिलने पर देशव्यापी हड़ताल फिर से शुरू करने की धमकी दी. पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फेडरेशन (WBJDF) के डॉ. अनुराग मंडल ने कहा कि हम चाहते हैं कि संबंधित अधिकारी, सीबीआई, सुप्रीम कोर्ट जांच प्रक्रिया में तेजी लाएं और दोषियों को बिना किसी देरी के दंडित करें. हम चिकित्सा शिक्षा निदेशक, स्वास्थ्य सेवा निदेशक और स्वास्थ्य सचिव को हटाना चाहते हैं क्योंकि घटनास्थल के तत्काल तत्वावधान में निर्माण कार्य के लिए उनके हस्ताक्षर मौजूद हैं, जबकि घटनास्थल को पूरी तरह से घेर लिया जाना चाहिए था. हम अक्षम और लापरवाह पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई चाहते हैं, सभी अस्पतालों और सरकारी स्वास्थ्य सेवा केंद्रों में उचित सुरक्षा और कार्यात्मक बुनियादी सुविधाएं चाहते हैं, साथ ही सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं के सभी पहलुओं में व्याप्त खतरे की संस्कृति को समाप्त करना चाहते हैं.

राज्य के डॉक्टर बिरादरी ने कहा कि पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के साथ उनकी बातचीत अनिर्णायक रही क्योंकि अधिकारियों ने मुख्यमंत्री के साथ उनकी बैठक की लाइव स्ट्रीमिंग की अनुमति देने से इनकार कर दिया. डॉ. मंडल ने कहा, 'हम मुख्यमंत्री के साथ अपनी बैठक की लाइव स्ट्रीमिंग चाहते हैं. यदि लाइव स्ट्रीमिंग संभव नहीं है, तो बैठक की वीडियोग्राफी होनी चाहिए या बैठक के परिणाम पर एक संयुक्त घोषणा होनी चाहिए.' राज्य के डॉक्टर बिरादरी ने दावा किया कि घटना की क्रूरता ने बड़े पैमाने पर मानवता के अस्तित्व के आधार पर सवाल उठाया है. डब्ल्यूबीजेडीएफ के प्रतिनिधियों ने कहा, 'घटना के दिन से ही हम, पश्चिम बंगाल के प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने अस्पताल के अधिकारियों और कोलकाता पुलिस की ओर से घोर प्रशासनिक विफलता देखी है. सबसे बड़ी शर्म की बात यह है कि शुरू से ही सभी सबूतों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने और असली दोषियों को बचाने की सक्रिय प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी.'

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