नई दिल्लीः दिल्ली सरकार ने कैबिनेट की बैठक में अध्यादेश के जरिए निजी स्कूलों द्वारा फीस बढ़ोत्तरी को रोकने के लिए बिल को अध्यादेश के जरिए लागू करने का निर्णय लिया है. यह बिल एक अप्रैल 2025 से मान्य होगा.
शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने मंगलवार को घोषणा की कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अगुवाई वाली दिल्ली कैबिनेट ने स्कूलों द्वारा ली जाने वाली फीस को विनियमित करने के लिए अध्यादेश को मंजूरी दे दी है.
#WATCH | On Cabinet decision, Delhi Minister Ashish Sood says, " today, delhi cabinet has approved the delhi school education (transparency in fixation and regulation of fees) bill. it will be implemented retrospectively from april 1, 2025. this bill will be sent to the president… pic.twitter.com/ik8t3CAHNd
— ANI (@ANI) June 10, 2025
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, सूद ने कहा कि आठवीं कैबिनेट बैठक में, भाजपा सरकार ने प्रस्तावित दिल्ली स्कूल शिक्षा (फीस के निर्धारण और विनियमन में पारदर्शिता) विधेयक, 2025 के आधार पर अध्यादेश को मंजूरी दी.
बता दें कि दिल्ली सरकार की कैबिनेट की मंगलवार को आठवीं कैबिनेट बैठक हुई. इसमें निजी स्कूलों द्वारा फीस बढ़ोतरी पर रोक लगाने के लिए दिल्ली स्कूल एजुकेशन ट्रांसपेरेंसी इन फिक्सेशन एंड रेगुलेशन ऑफ फीस बिल 2025 को अध्यादेश के जरिए लागू करने का निर्णय लिया है. दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने सचिवालय में प्रेस वार्ता कर यह जानकारी दी. सूद ने बताया कि सीएम रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में ये कैबिनेट की बैठक हुई. हर बैठक की तरह इस बैठक में भी महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं.

प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों के लिए अहम फैसला
दिल्ली के प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों के लिए यह अहम फैसला लिया गया है. मंगलवार को दिल्ली प्राइवेट फीस बिल को कैबिनेट ने पास कर दिया है. शिक्षा मंत्री सूद ने बताया कि अब उस बिल को एलजी और फिर राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा और यह कानून बनेगा. दिल्ली में अभिभावकों के लिए बहुत लाभदायक साबित होगा. अब कोई भी प्राइवेट स्कूल अपनी मनमानी से फीस नहीं बढ़ा सकेगा जो भी स्कूल इस नियम का उल्लंघन कानून का उल्लंघन करेगा उसको पेनल्टी देनी पड़ेगी. यह बिल कानून बनने के बाद एक अप्रैल 2025 से लागू हो जायेगा.
इस तरह लागू होगा बिल
- पहले स्कूल लेवल फीस रेगुलेशन कमेटी बनेगी.
- कमेटी में पैरेंट्स, स्कूल की प्रिंसिपल और तीन टीचर होंगी.
- स्कूल का डायरेक्टर उसका ऑब्जर्वर होगा.
- स्कूल अपनी मनमानी नहीं कर पाएगा, जितने पेरेंट्स हैं ड्रॉ के माध्यम से पेरेंट्स को चुना जाएगा.
- यह कमेटी 3 साल के लिए फीस बढ़ाने का निर्णय लेगी.
- स्कूल फीस रेगुलेशन कमेटी 18 बिंदुओं के आधार पर स्कूल कौन सा ग्रेड देता है, कौन सी पे कमीशन टीचर्स को देता है, लैब कितनी है, लाइब्रेरी कितनी है. लाइब्रेरी डिजिटल है या नहीं ऐसे 18 नियमों के आधार पर स्कूल यह निर्णय करेगा.
- कमेटी तय करेगी कि फीस बढ़नी चाहिए या नहीं बढ़नी चाहिए.
- यह कमेटी 31 जुलाई तक फॉर्म हो जाएगी.
- अगले अकादमिक ईयर के लिए लागू होने वाली फीस की चर्चा करने के लिए 30 दिन के अंदर रिपोर्ट देनी होगी.
- अगर यह कमेटी 30 दिन के अंदर रिपोर्ट नहीं दे पाएगी तो डिस्ट्रिक्ट लेवल कमिटी के पास मामला चला जाएगा.
- इस कमेटी में डायरेक्टरेट ऑफ एजुकेशन का चेयरपर्सन डिप्टी डायरेक्टर होंगे, एक चार्टर्ड अकाउंटेंट होगा, दो टीचर ड्रा ऑफ लॉट्स से चुने जाएंगे और दो पेरेंट्स डिस्ट्रिक्ट लेवल अपील को सुनेंगे.
- यह कमेटी 30 से 45 दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट देगी. अगर यहां पर भी सहमति नहीं होगी तो स्टेट लेवल की कमेटी जिसका चेयरपर्सन मंत्रालय तय करेगा.
- उसके साथ एजुकेशनिस्ट, चार्टर्ड अकाउंटेंट, प्राइवेट स्कूल के प्रतिनिधि, पेरेंट्स के प्रतिनिधि, एडिशनल डायरेक्टर एजुकेशन के प्रतिनिधि ऐसे सात लोगों की कमेटी रिव्यू करेगी और अपना निर्णय देगी.
- बिल में यह भी प्रावधान किया गया है कि अगर स्कूल बिना अनुमति के फीस बढ़ाता है तो उस पर एक लाख रुपये से 10 लाख रूपये तक का जुर्माना लगेगा.
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