रतलाम (दिव्यराज सिंह राठौर): आमतौर पर कर्ज लेना या किसी का कर्जदार बनना कोई नहीं चाहता है, लेकिन रतलाम के एक गांव में हर कोई कर्जदार बने रहना चाहता है. जी हां किसी बैंक या साहूकार के कर्जदार नहीं बल्कि हनुमानजी के कर्जदार बनना चाहते हैं. बिबड़ौद गांव के लोग यहां बकायदा हनुमान जी से गांव के सभी परिवार कर्ज लेते हैं और समय पर उसका ब्याज सहित भुगतान भी करते हैं. हालांकि यह व्यवस्था केवल गांव के ही लोगों के लिए है.
खास बात यह भी है कि हनुमान जी से कर्ज लेना इस गांव के लोग अपना सौभाग्य मानते हैं. करीब 25 वर्षों से चली आ रही यह अनोखी परंपरा गांव में बदस्तूर जारी है. यहां गांव के किसी भी व्यक्ति को न्यूनतम 3 हजार और अधिकतम 7 हजार रुपए तक का कर्ज दिया जाता है. जिसे व्यावहारिक ब्याज के रूप में लोग प्रतिवर्ष हनुमान जी को अर्पित कर देते हैं
गांव के लोग हनुमान जी से लिया हुआ कर्ज समय पर चुकाते हैं. इसी पैसे से मंदिर का मेटेनेंस और कार्यक्रमों का खर्च चलाया जाता है.आइए जानते हैं कैसे काम करता बजरंगबली का यह अनोखा बैंक.

मंदिर के कार्यक्रम में पैसे बचे तो शुरू हुआ लेन-देने का सिलसिला
रतलाम से 6 किलोमीटर दूर बिबडौद गांव में यह अनोखा लोन देने वाला मंदिर स्थित है. यहां भक्त भगवान से कर्ज लेते हैं और समय पर इसका भुगतान भी करते हैं. पैसों के लेनदेन और हिसाब-किताब का कार्य गांव की स्थानीय समिति करती है. समिति के अध्यक्ष कैलाश गुर्जर ने बताया कि "करीब 25 वर्ष पहले मंदिर पर हुए हवन के आयोजन के पश्चात कुछ राशि बच गई.
जिस पर तत्कालीन आयोजन समिति ने यह तय किया कि इस रुपए को कहीं अन्य जगह खर्च करने की बजाय गांव के ही लोगों को लोन के रूप में दे देना चाहिए. इसके बाद लोन देने का यह सिलसिला शुरू हो गया. गांव के लोगों की मान्यता है कि बजरंगबली से लोन लेकर किया गया कार्य जरूर सफल होगा और उन्हें समृद्धि हासिल होगी."
कैसे होता है लोन का वितरण और रिकवरी
25 वर्षों पहले गांव के बुजुर्गों द्वारा स्थापित की गई इस व्यवस्था का संचालन यहां की समिति करती है. एक-एक रुपए का हिसाब रखा जाता है. लोन लेने वालों को तीन हजार रुपए से अधिकतम ₹7000 तक की राशि दी जाती है. जिसे उन्हें ब्याज सहित 1 साल बाद फसल आने पर लौटाना पड़ता है. इसके लिए समय-समय पर समिति की बैठक आयोजित होती है.
मंदिर के पुजारी राकेश द्विवेदी ने बताया कि "यह व्यवस्था केवल बिबड़ौद गांव के रहवासियों के लिए ही है. हालांकि मंदिर की प्रसिद्धि को देखते हुए दूर-दूर से भी लोग यहां भगवान से लोन लेने के लिए पहुंच जाते हैं." लोन लेने वाले ग्रामीण शांतिलाल मानते हैं कि "भगवान से लिया हुआ कर्ज उन्हें धन-धान्य से परिपूर्ण रखता है. व्यापार और व्यवसाय में भी बढ़ोतरी होती है. इसी वजह से गांव का हर परिवार भगवान हनुमान जी का कर्जदार बनना चाहता है."
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बहरहाल हनुमान जी का यह मंदिर कर्ज देने वाले मंदिर के रूप में आसपास के क्षेत्र में प्रसिद्धि हासिल कर रहा है. हालांकि ग्रामीणों ने स्पष्ट किया है कि यह व्यवस्था केवल मंदिर के आयोजनों का खर्च चलाने के लिए सीमित मात्रा में केवल गांव के ही लोगों के लिए रखी गई है. भविष्य में भी केवल स्थानीय लोग ही हनुमान जी के कर्जदार बन सकेंगे.