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भाले से वार कर काटी जाती है रावण की नाक, खून बहते ही चूर-चूर हो जाता है घमंड - RATLAM RAVAN KILL CHAITRA NAVRATRI

रतलाम के चिकलाना, कालूखेड़ा और मंदसौर जिले के कुछ गांवो में रावण का अनोखे तरीके से वध कर चैत्र नवरात्रि में दशहरा मनाया जाता है.

RATLAM RAVAN KILLED CHAITRA NAVRATRI
रतलाम में चैत्र नवरात्रि में रावण के वध के साथ दशहरा (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : April 8, 2025 at 2:53 PM IST

3 Min Read

रतलाम: हमारे देश में साल में 2 बार शारदीय और चैत्र नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. कुछ क्षेत्रों में शारदीय नवरात्रि के अलावा चैत्र नवरात्र में भी दशहरा मनाने की परंपरा है. शारदीय नवरात्रि में विजयदशमी पर रावण का वध और दहन कर विजयदशमी का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. लेकिन मध्य प्रदेश के रतलाम में चैत्र नवरात्रि पर दशहरा मनाने की सदियों पुरानी परंपरा है.

चैत्र नवरात्रि में रावण के वध के साथ दशहरा

मध्य प्रदेश के रतलाम में एक गांव ऐसा है जहां रावण का वध 6 महीने पहले ही हो जाता है. वह भी नाभि में तीर मारकर नहीं बल्कि उसकी नाक पर भाले से वार कर रावण का वध किया जाता है. जी हां रतलाम के चिकलाना , कालूखेड़ा और मंदसौर जिले के कुछ गांवो में रावण का अनोखे तरीके से वध कर चैत्र नवरात्रि में दशहरा मनाया जाता है. यहां की परंपरा है कि मिट्टी से बनाए जाने वाले विशाल रावण का वध गांव के सबसे वरिष्ठ व्यक्ति करते हैं. वह भी भाले से वार कर रावण की नाक काटकर. चैत्र नवरात्रि में रामनवमी के ठीक अगले दिन यह अनोखा आयोजन होता है. जिसे देखने आसपास के गांव सहित दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं.

रतलाम में भाले से वार कर काटी जाती है रावण की नाक (ETV Bharat)

400 सालों से चली आ रही परंपरा

रतलाम के चिकलाना और कालूखेड़ा में यह अनोखी परंपरा करीब 400 सालों से जारी है. गांव के नरेंद्र सिंह चंद्रावत ने बताया कि "उनके पूर्वज रावण का वध इसी तरह करते आए हैं. खास बात यह भी है कि नवरात्रि के दौरान दशहरा पर यहां कोई आयोजन नहीं होता है. रावण द्वारा किया गया कृत्य क्षमा के योग्य नहीं था. केवल रावण का दहन कर देना उसके पापों की पर्याप्त सजा नहीं है इसलिए नाक काटकर उसे अपमानित करना और उसके घमंड को चूर करना इस परंपरा का लक्ष्य है."

चैत्र नवरात्रि में दशहरा और मेले का आयोजन

जिसके चलते हर साल चैत्र नवरात्रि की रामनवमी के अगले दिन दशहरा मनाया जाता है. रावण वध के बाद यहां मेले का आयोजन किया जाता है. जिसमें आसपास के गांव के हजारों लोग पहुंचते हैं. रतलाम और मंदसौर के इन गांव में चैत्र नवरात्रि की रामनवमी के अगले दिन दशहरा मनाया जाता है. जिसमें बुराई के प्रतीक रावण की मिट्टी की विशाल प्रतिमा की नाक भाले से काटकर दशहरे का त्यौहार मनाया जाता है. इस दौरान इन गांव में मेले का आयोजन भी किया जाता है.

भगवान राम और रावण की सेना आमने-सामने

बुराई के प्रतीक रावण के वध के बाद चैत्र नवरात्रि की रामनवमी के अगले दिन दशहरे के रूप में धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस दौरान रामलीला का भी प्रदर्शन किया जाता है. इस दौरान रावण और भगवान राम की सेना आमने-सामने होती है. जिनके बीच वाक युद्ध भी होता है. इसके बाद गांव के प्रतिष्ठित व्यक्ति द्वारा हाथ में भाला लेकर रावण की नाक पर वार किया जाता है. रावण की नाक से खून की धारा बहने लगती है और इसके साथ ही रावण वध का कार्यक्रम संपन्न हो जाता है. दरअसल रावण के मुंह के भीतर मिट्टी का मटका रखा होता है, जिसमें लाल रंग का पानी भरा जाता है. जिससे उसकी नाक पर वार करते ही खून बहने लगता है.

रतलाम: हमारे देश में साल में 2 बार शारदीय और चैत्र नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. कुछ क्षेत्रों में शारदीय नवरात्रि के अलावा चैत्र नवरात्र में भी दशहरा मनाने की परंपरा है. शारदीय नवरात्रि में विजयदशमी पर रावण का वध और दहन कर विजयदशमी का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. लेकिन मध्य प्रदेश के रतलाम में चैत्र नवरात्रि पर दशहरा मनाने की सदियों पुरानी परंपरा है.

चैत्र नवरात्रि में रावण के वध के साथ दशहरा

मध्य प्रदेश के रतलाम में एक गांव ऐसा है जहां रावण का वध 6 महीने पहले ही हो जाता है. वह भी नाभि में तीर मारकर नहीं बल्कि उसकी नाक पर भाले से वार कर रावण का वध किया जाता है. जी हां रतलाम के चिकलाना , कालूखेड़ा और मंदसौर जिले के कुछ गांवो में रावण का अनोखे तरीके से वध कर चैत्र नवरात्रि में दशहरा मनाया जाता है. यहां की परंपरा है कि मिट्टी से बनाए जाने वाले विशाल रावण का वध गांव के सबसे वरिष्ठ व्यक्ति करते हैं. वह भी भाले से वार कर रावण की नाक काटकर. चैत्र नवरात्रि में रामनवमी के ठीक अगले दिन यह अनोखा आयोजन होता है. जिसे देखने आसपास के गांव सहित दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं.

रतलाम में भाले से वार कर काटी जाती है रावण की नाक (ETV Bharat)

400 सालों से चली आ रही परंपरा

रतलाम के चिकलाना और कालूखेड़ा में यह अनोखी परंपरा करीब 400 सालों से जारी है. गांव के नरेंद्र सिंह चंद्रावत ने बताया कि "उनके पूर्वज रावण का वध इसी तरह करते आए हैं. खास बात यह भी है कि नवरात्रि के दौरान दशहरा पर यहां कोई आयोजन नहीं होता है. रावण द्वारा किया गया कृत्य क्षमा के योग्य नहीं था. केवल रावण का दहन कर देना उसके पापों की पर्याप्त सजा नहीं है इसलिए नाक काटकर उसे अपमानित करना और उसके घमंड को चूर करना इस परंपरा का लक्ष्य है."

चैत्र नवरात्रि में दशहरा और मेले का आयोजन

जिसके चलते हर साल चैत्र नवरात्रि की रामनवमी के अगले दिन दशहरा मनाया जाता है. रावण वध के बाद यहां मेले का आयोजन किया जाता है. जिसमें आसपास के गांव के हजारों लोग पहुंचते हैं. रतलाम और मंदसौर के इन गांव में चैत्र नवरात्रि की रामनवमी के अगले दिन दशहरा मनाया जाता है. जिसमें बुराई के प्रतीक रावण की मिट्टी की विशाल प्रतिमा की नाक भाले से काटकर दशहरे का त्यौहार मनाया जाता है. इस दौरान इन गांव में मेले का आयोजन भी किया जाता है.

भगवान राम और रावण की सेना आमने-सामने

बुराई के प्रतीक रावण के वध के बाद चैत्र नवरात्रि की रामनवमी के अगले दिन दशहरे के रूप में धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस दौरान रामलीला का भी प्रदर्शन किया जाता है. इस दौरान रावण और भगवान राम की सेना आमने-सामने होती है. जिनके बीच वाक युद्ध भी होता है. इसके बाद गांव के प्रतिष्ठित व्यक्ति द्वारा हाथ में भाला लेकर रावण की नाक पर वार किया जाता है. रावण की नाक से खून की धारा बहने लगती है और इसके साथ ही रावण वध का कार्यक्रम संपन्न हो जाता है. दरअसल रावण के मुंह के भीतर मिट्टी का मटका रखा होता है, जिसमें लाल रंग का पानी भरा जाता है. जिससे उसकी नाक पर वार करते ही खून बहने लगता है.

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