रांची: झारखंड हो या कोई अन्य राज्य कामकाजी महिलाओं समेत स्कूल-कॉलेज की लडकियां कभी न कभी ऐसी हालात की शिकार हो जाती हैं, जिसे वे अपनी शर्म और लाज हया के कारण किसी को बता नहीं पाती हैं. इसमें 'ईव टीजिंग' से लेकर कई मामले शामिल हैं. लेकिन अब झारखंड पुलिस ने कासे कहूं वाली तिलिस्म को तोड़ने के लिए एक प्रयास शुरू किया है, ताकि फीमेल अपनी ऐसी समस्या को आसानी से साझा कर सकें.
कासे कहूं की धारणा को ब्रेक करने की कवायद
सड़क पर आते जाते या फिर कार्यस्थल पर अक्सर महिलाओं और लड़कियों के साथ ईव टीजिंग की घटनाएं सामने आती रहती हैं. जो लड़कियां हिम्मती वाली होती है, वे मनचलों का सीधा सामना करती हैं. यहां तक कि मामले को पुलिस तक भी लेकर जाती हैं, लेकिन वैसी महिलाओं और लड़कियों की संख्या ज्यादा है, जो शर्म, लाज, परिवार वाले कहीं पढ़ाई या काम न छुड़वा दें या फिर बदनामी के डर से सब कुछ सह लेती हैं. लेकिन झारखंड पुलिस के मुखिया डीजीपी अनुराग गुप्ता ने इसके लिए एक बड़ी पहल शुरू की है. महिला थाना और दूसरे थानों में तैनात महिला पुलिस कर्मियों को एक बड़ी जिम्मेदारी दी गई है, जिससे महिलाओं की कासे कहूं की धारणा को तोड़ी जा सके.
खुद जाएंगी महिला पुलिसकर्मी
डीजीपी ने बताया कि थानों में पदस्थापित महिला पुलिसकर्मियों के साथ-साथ महिला थाने की टीम अब खुद गर्ल्स हॉस्टल, महिला वर्किंग हॉस्टल के साथ स्कूल-कॉलेजों में जाएंगी. वहां वे कभी लंच तो कभी ब्रेकफास्ट पर लड़कियों और महिलाओं से मिलेंगी. इस दौरान खासकर इव टीजिंग जैसे मामलों को जानने का प्रयास किया जाएगा.
डीजीपी के अनुसार इस पहल का एकमात्र उद्देश्य यह है कि हमारी बच्चियों को यह लगे कि पुलिस उनके साथ है और वे सुरक्षित हैं. वे भले थाने नहीं जाएं, लेकिन अपनी समस्या और शिकायत महिला पुलिसकर्मियों को खुलकर बता सकती है, जिस पर कार्रवाई भी की जाएगी.
रात के समय भी जाए महिला पुलिसकर्मी
डीजीपी अनुराग गुप्ता के अनुसार इव टीजिंग समाज का कोढ़ है. इसे हर कीमत पर बंद करवाना होगा. यही वजह है कि उन्होंने जिलों के एसपी को निर्देश दिया है कि वह महिला थाना प्रभारी को रात के समय भी महिला हॉस्टल और गर्ल्स हॉस्टल में भेजे. जहां महिला पुलिसकर्मी एक दोस्त और एक बड़ी बहन की जैसी बनकर लड़कियों और महिलाओं के साथ बैठकर खाना खाएं. उनके साथ चाय पियें और उनकी समस्याएं जानें.
ऑन द स्पॉट सजा देने की जरूरत
डीजीपी ने बताया कि वह चाहते हैं कि राज्य के हर शहर में महिला सुरक्षा को लेकर हर जगह पुलिस के नम्बर को डिस्प्ले किया जाए. छेड़खानी करने वाले मनचलों की शिकायत उसी नंबर पर हो और उन्हें ऑन द स्पॉट सजा दी जाए. इसके लिए उन्होंने जिलों के एसपी को निर्देश भी जारी किया है.
क्यों की गई है पहल
यह कड़वी सच्चाई है कि खासकर मध्यम वर्ग के लोग छेड़खानी जैसे मामलों को लेकर थाने तक नहीं जाना चाहते हैं. वे अपने बच्चियों को यही समझाते हैं कि सब कुछ भूलकर पढ़ाई जारी रखें, लेकिन यह परंपरा गलत है. डीजीपी के अनुसार ना तो किसी मनचले के डर से पढ़ाई छोड़ना है और ना ही मनचले को माफ करना है बल्कि हिम्मत के साथ उनका सामना करना है. पुलिस इसमें उनकी पूरी सहायता करेगी. यहां तक की शिकायत मिलने पर बच्चियों के नाम तक को गुप्त रखा जाएगा. यही सबसे बड़ी वजह है कि डीजीपी के द्वारा यह निर्देश जारी किया गया है कि महिला थाना प्रभारी या फिर दूसरे थानों की महिला पुलिसकर्मी खुद से महिला हॉस्टल में जाएं और लड़कियों और महिलाओं की दोस्त बनकर उनके साथ बैठकर उनकी समस्याएं सुने.
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