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'हम हिंदू हैं, हिंदी नहीं', सीएम स्टालिन के बाद राज ठाकरे ने त्रिभाषा फॉर्मूले का किया विरोध - RAJ THACKERAY

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे ने पहली से पांचवीं कक्षा तक हिंदी अनिवार्य करने पर विरोध जताया है.

Raj Thackeray
राज ठाकरे (फाइल फोटो)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : April 17, 2025 at 5:22 PM IST

2 Min Read

मुंबई: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) ने महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी भाषा को अनिवार्य करने के सरकार के फैसले का कड़ा विरोध किया है.इसको लेकर MNS प्रमुख राज ठाकरे ने कहा कि हम हिंदू हैं, हिंदी नहीं. सरकार को टकराव से बचने के लिए तुरंत आदेश वापस लेना चाहिए.

उन्होंने कहा कि भाषा आधारित प्रांतीय गठन के सिद्धांत का उल्लंघन किया जा रहा है. एमएनएस अध्यक्ष राज ठाकरे ने राज्य के स्कूलों में हिंदी भाषा को अनिवार्य करने के फैसले का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना हिंदी भाषा की अनिवार्य पढ़ाई को बर्दाश्त नहीं करेगी.

सरकार से फैसला वापस लेने की अपील
राज ठाकरे ने आगे कहा कि अगर इसको लेकर किसी भी तरह का टकराव होता है तो इसके लिए सरकार जिम्मेदार होगी. साथ ही उन्होंने सरकार से इस फैसले को वापस लेने की अपील भी की है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार हर जगह 'हिंदी' थोपने की कोशिश कर रही है. हम इसे इस राज्य में सफल नहीं होने देंगे.

'हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं'
एमएनएस प्रमुख ने कहा कि हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं है, बल्कि अन्य भाषाओं की तरह एक राज्य भाषा है. इसे महाराष्ट्र में कक्षा 1 से क्यों पढ़ाया जाना चाहिए? त्रिभाषी सूत्र को सरकारी मामलों तक ही सीमित रखें. इसे शिक्षा में न लाएं. महाराष्ट्र पर अन्य प्रांतों की भाषाएं क्यों थोपी जा रही हैं? बता दें कि राज्य विद्यालय पाठ्यक्रम योजना 2024 के अनुसार, महाराष्ट्र में कक्षा 1 से हिंदी अनिवार्य कर दी गई है.

एमके स्टालिन ने भी किया विरोध
उल्लेखनीय है कि यह पहला मौका नहीं है, जब सरकार की त्रिभाषा नीति की आलोचना हो रही है. इससे पहले तमिलनाडु के मुखंयमंत्री एम के स्टालिन ने भी इसकी निंदा की थी. उन्होंने ने कहा था कि हमने दृढ़ता से कहा है कि तमिलनाडु सरकार किसी भी कारण से तीन-भाषा नीति को स्वीकार नहीं करेगी.

मुख्यमंत्री ने कहा कि भले ही वे (BJP) हमें धमकी दें कि अगर हम हिंदी स्वीकार नहीं करेंगे तो हम पैसे नहीं देंगे, लेकिन मैंने विरुधाचलम में आयोजित समारोह के मंच पर, जहां हजारों शिक्षक एकत्रित हुए थे, अपना वादा दृढ़ता से दोहराया है कि हम कोई पैसा नहीं लेंगे और हम मातृभाषा की रक्षा करेंगे.

यह भी पढ़ें- संस्कृत, हिंदी, मराठी, तेलुगु और कितनी भाषाएं जानती हैं सुधा मूर्ति, तीन भाषा नीति का किया समर्थन

मुंबई: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) ने महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी भाषा को अनिवार्य करने के सरकार के फैसले का कड़ा विरोध किया है.इसको लेकर MNS प्रमुख राज ठाकरे ने कहा कि हम हिंदू हैं, हिंदी नहीं. सरकार को टकराव से बचने के लिए तुरंत आदेश वापस लेना चाहिए.

उन्होंने कहा कि भाषा आधारित प्रांतीय गठन के सिद्धांत का उल्लंघन किया जा रहा है. एमएनएस अध्यक्ष राज ठाकरे ने राज्य के स्कूलों में हिंदी भाषा को अनिवार्य करने के फैसले का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना हिंदी भाषा की अनिवार्य पढ़ाई को बर्दाश्त नहीं करेगी.

सरकार से फैसला वापस लेने की अपील
राज ठाकरे ने आगे कहा कि अगर इसको लेकर किसी भी तरह का टकराव होता है तो इसके लिए सरकार जिम्मेदार होगी. साथ ही उन्होंने सरकार से इस फैसले को वापस लेने की अपील भी की है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार हर जगह 'हिंदी' थोपने की कोशिश कर रही है. हम इसे इस राज्य में सफल नहीं होने देंगे.

'हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं'
एमएनएस प्रमुख ने कहा कि हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं है, बल्कि अन्य भाषाओं की तरह एक राज्य भाषा है. इसे महाराष्ट्र में कक्षा 1 से क्यों पढ़ाया जाना चाहिए? त्रिभाषी सूत्र को सरकारी मामलों तक ही सीमित रखें. इसे शिक्षा में न लाएं. महाराष्ट्र पर अन्य प्रांतों की भाषाएं क्यों थोपी जा रही हैं? बता दें कि राज्य विद्यालय पाठ्यक्रम योजना 2024 के अनुसार, महाराष्ट्र में कक्षा 1 से हिंदी अनिवार्य कर दी गई है.

एमके स्टालिन ने भी किया विरोध
उल्लेखनीय है कि यह पहला मौका नहीं है, जब सरकार की त्रिभाषा नीति की आलोचना हो रही है. इससे पहले तमिलनाडु के मुखंयमंत्री एम के स्टालिन ने भी इसकी निंदा की थी. उन्होंने ने कहा था कि हमने दृढ़ता से कहा है कि तमिलनाडु सरकार किसी भी कारण से तीन-भाषा नीति को स्वीकार नहीं करेगी.

मुख्यमंत्री ने कहा कि भले ही वे (BJP) हमें धमकी दें कि अगर हम हिंदी स्वीकार नहीं करेंगे तो हम पैसे नहीं देंगे, लेकिन मैंने विरुधाचलम में आयोजित समारोह के मंच पर, जहां हजारों शिक्षक एकत्रित हुए थे, अपना वादा दृढ़ता से दोहराया है कि हम कोई पैसा नहीं लेंगे और हम मातृभाषा की रक्षा करेंगे.

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